दयामनी बारला का अंतहीन संघर्ष: सरकार गरीबों से डरती है, कोर्ट को आगे करती है
आज रांची के सेशन कोर्ट में आदिवासी नेता दयामनी बारला के मामले पर चली सुनवाई में फैसला टाल दिया गया है और केस की अगली सुनवाई 14 और 17 नवंबर को तय की गयी है. इसी बीच झारखंड उच्च न्यायालय ने नगड़ी आंदोलन के दौरान 4 अक्टूबर को रांची में उच्च न्यायालय के पुतलादहन के एक मामले में उदयामनी बारला और सालखन मुर्मू व अन्य से यह जवाबतलब किया गया है कि उनपर अदालत की अवमानना का मामला क्यों नहीं चलाया जाए. 16 अक्टोबर से अबतक एकके बाद एक तीन फर्जी केसों में दयामनी जी को फंसाया गया है. साफ़ तौर पर यह उनको नगड़ी आंदोलन से अलग-थलग कर ज़मीन हथियाने की साजिश है. सबसे दुखद बात यह है कि राज्य के सरकार ने गलत तथ्यों के आधार पर कोर्ट को गुमराह कर लोगों के खिलाफ कर दिया है. पेश है इन केसों के तहत दयामनी बारला की प्रताडना की दास्तान, जो रांची से प्रमुख समाजकर्मी आलोका जी ने हमें भेजी है:
दयामनी बारला ने 16 अक्टूबर 2012 को केस सं0 42/06, धारा-147/ 148/ 149/ 341 / 303 / 337/ 292 / 353/ 504 में कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. इस केस में दयामनी बारला सहित 12 लोगों पर आरोप था कि इन्होंने 29 अप्रेल 2006 में अनगड़ा प्रखंड कार्यालय के समक्ष रोड़ जाम किया, नाजायज मजमा लगाकर सरकारी काम में बाधा डाली, अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, गाली ग्लौज करने, मार-पीट किया.
केस सं0 42/06 की प्रष्ठभूमि
जेल से दयामनी बारला की चिठ्ठी
दयामनी की हिरासत बड़ी, नगड़ी में पुलिस के साए तले निर्माण का अदालती फरमान जारी
दयामनी बारला: 3 अगस्त 2011 को भूमि अधिग्रहण के विरोध में जंतर मंतर पर पर दिया गया भाषण
कानून के बनने के बाद ग्रामीण अपने अपने प्रखंड कार्यालयों से जॉब कार्ड उपलब्ध कराने, रोजगार देने की मांग प्ररंभ हुई। रांची जिला के अनगड़ा प्रखंड के ग्रामीण भी गोलबंद होकर प्रखंड विकास पदाधिकारी से सभी सक्षम व्यक्ति के लिए जॉब कार्ड बनवाने की मांग करने लगे। ग्रामीण अबुआ बेजाई संगी होड़ो नामक संगठन के बैनर से जॉब कार्ड की मांग को लेकर प्रखंड कार्यालय का घेराव किये। इस कार्याक्रम मैं नहीं थी। लेकिन जानकारी मिली-कि जबग्रामीण पंरखंड कार्यालय का घेराव किये-इसको लेकर सरकारी अधिकारियों ने आंदोलनकारियों पर केस थोप दिया।