नगड़ी के युवाओं कि क्या गलती है?
इनमें से अधिकतर लड़के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और कई लड़कों को नौकरी के लिए साक्षात्कार का बुलावा भी आया है। जो लड़के कल तक बैंक, डाकघर और लाइब्रेरी के चक्कर लगाते थे, उन्हें आज हाजिरी देने और जमानत करवाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे है। उन्हें जमानत देने में भी जान-बुझकर देरी की जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि जिन लड़कों पर यह मुकदमे किये गये हैं, उनके माता-पिता नगड़ी में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ़ हो रहे आंदोलन में बढ़-चढ़ के हिस्सा लेते रहे हैं। गाँव के लड़के इस बात से चिंतित है की मुकदमों से उनके करियर प्रभावित होंगे। इन लड़कों के करियर की वजह से ही इनके माता-पिता ने इन्हें आंदोलन में सीधे तौर पर शामिल नहीं होने दिaया। ये झुठे मुकदमे सरकार की दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है ताकि गाँववालें अपना आंदोलन बन्द कर दे। लेकिन नगड़ीवासी अपनी 227 एकड़ उपजाऊ जमीन छोड़ कर दर-बदर की ठोकरें खाने को तैयार नहीं है। गाँव के एक युवक विकास टोप्पो ने कहा है कि सरकार की इन दमनकारी नीतियों से हमारा आंदोलन कमजोर नहीं होगा, बल्कि और मजबूत होगा।