संपादकीय, मार्च 2011
फलतः एक तरफ जहां वनों, नदियों, पहाड़ों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के लोग वेदान्ता, पोस्को, जे.पी, मित्तल, जिंदल,भूषण, आर.पी.जी. जैसी कंपनियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं वहीं राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बंगाल, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक के किसान अपनी कृषि योग्य भूमि बचाने के निर्णायक संघर्ष की राह पर हैं। जैतापुर (महाराष्ट्र), गोरखपुर (हरियाणा), हरिपुर (प. बंगाल), मिथिबिर्दी (गुजरात), सिरीकाकुलम (आं.प्र.) में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ संघर्ष करते हुए लोग कुर्बानियां दे रहे हैं। छाता (झारखण्ड), शिवनाथ व केलो (छत्तीसगढ़), जरगो, सोन, कनहर व पाँगन (उत्तर प्रदेश) नदियों को बचाने के लिए लोग हर स्तर पर संघर्षरत हैं।