मध्य प्रदेश भाजपा सरकार का नया पैंतरा : परमाणु खनिज के नाम पर शुरु हुई आदिवासियों के खेतों की खुदाई
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के शाहपुर ब्लाक के भौरां से लेकर फोफ्ल्या तक के गाँवों में केंद्र सरकार के परमाणु खनिज निर्देशालय द्वारा गैरकानूनी और दादागिरी से बिना किसी भी मंजूरी के लोगों की निजी जमीन – खेत और बाड़ी – जंगल, नदी आदि में बोरिंग का कार्य किया जा रहा है। इसके आलावा सर्वे के नाम पर एक हेलीकाप्टर एक बड़ा सा ढांचा अपने नीचे बांधकर गावों के उपर से उड़ता रहता है । इस सबसे आदिवासियों में दहशत है। किसानों के खेतों की इस जबरन खुदाई के विरुद्ध समाजवादी जन परिषद ने 20 अप्रैल 2017को बैतूल के जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है । हम यहां पर आपके साथ समाजवादी जन परिषद का ज्ञापन साझा कर रहे है;
प्रति,
कलेक्टर,
बैतूल जिला,
बैतूल
विषय : परमाणु खनिज निर्देशालय व्दारा गैरकानूनी और दादागिरी के तरीके से बिना मंजूरी के जारी में बोरिंग का कार्य पर रोक लगे| वन अधिकार कानून, 2006 एवं पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के प्रावधानों का पूर्ण परिपालन सुनिश्चित हो|
महोदयजी,
जुलाई 2016 से शाहपुर ब्लाक के भौरां से लेकर फोफ्ल्या तक के गाँवों में केंद्र सरकार के परमाणु खनिज निर्देशालय व्दारा गैरकानूनी और दादागिरी के तरीके से बिना किसी भी मंजूरी के लोगों की निजी जमीन – खेत और बाड़ी – जंगल, नदी आदि में बोरिंग का कार्य किया जा रहा है| इसके आलावा सर्वे के नाम पर एक हेलीकाप्टर भी एक बड़ा सा ढांचा अपनी नीचे बांधकर गावों के उपर से उड़ता रहा| इस सबसे आदिवासियों में दहशत है|
आप जानते है यह छेत्र पांचवी अनुसूची में शामिल है और उडीसा के नियामगिरी मामले ओडिशा माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड वि. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, याचिका क्रमांक w. p. 180/2011 में तो सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रेल 2013 को जो फैसला दिया उसके आलोक में यह फिर से स्थापित हो गया है कि गाँव और उसके जंगल, नदी आदि में आदिवासीयों के धार्मिक और परम्परागत अधिकार की संरक्षक ग्रामसभा है| इतना ही नहीं यहाँ पर्यावरण और लोगों के धार्मिक और परम्परागत अधिकारों पर प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करने का काम भी ग्रामसभा करेगी| सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है:
- वन अधिकार कानून, 2006 की धारा ५ ( घ) के अनुसार ग्रामसभा छेत्र में जैव-विविधता और वन्यजीव पर विपरीत असर डालने वाली गतिविधियों को रोकने का अधिकार है और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 की धारा ४(घ) के अनुसार भी इस मामले में ग्रामसभा को अधिकार है|
- कोर्ट ने यह भी कहा कि वन अधिकार कानून, 2006 की धारा 13 के अनुसार पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के प्रावधान भी इस कानून में लागू रहेंगे|
- इस आधार पर कोर्ट ने उत्खनन हेतु पर्यावरण मंजूरी के लिए ग्रामसभा में मंजूरी लेने का आदेश दिया|
इसके आलावा न्याय का समान सिद्धांत के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति किसी के घर , खेत गाँव में घुसता है और कोई कार्य करता है तो उसे उस घर केदरवाजे पर दस्तक दे घर के मालिक की अनुमति लेना चाहिए| आदिवासीयों के घरों में उस तरह से दरवाजे नहीं होते, खेतों में बागुड या फेंसिंग नहीं होती उसका मतलब यह नहीं है कि कोई भी कभी घुसकर कुछ भी कर सकता है| जिस तरह से परमाणु खनिज निर्देशालय आदिवासीयों के खेतों, बाडीयों में घुसकर क्या उस तरह से शहरों में लोगों के घरों आँगन में घुसकर बोरिंग कर सकता है|
इस मामले में कोचामाऊ गाँव के निवासी बल्ला और कल्ला आदिवासी एवं उनके साथ रहने वाले आलोक सागर के विरोध के बावजूद भी उनके खेतों में खनन का कार्य जोरजबरदस्ती किया जा रहा है; इस हेतु पेड़ो को छीलकर बोरिंग हेतु निशान लगा दिए गए है|
अत: हमारा यह कहना है:
- यह ग्राम पांचवी अनुसूची के आदिवासी छेत्र में शामिल है और इस कार्य को ग्रामसभा की मजूरी जरुरी के बिना आगे ना बढ़ने दिया जाए| और इस मामले को छेत्र की सभी ग्रामसभाओं में मंजूरी हेतु पेश किया जाए|
- वन अधिकार कानून, 2006 की धारा ५ ( घ) के अनुसार ग्रामसभा छेत्र में जैव-विविधता और वन्यजीव पर विपरीत असर डालने वाली गतिविधियों को रोकने का अधिकार है और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 की धारा ४(घ) के अनुसार भी इस मामले में ग्रामसभा को अधिकार है|
- उडीसा के नियामगिरी मामले ओडिशा माइनिंग कारपोरेशन लिमिटेड वि. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, याचिका क्रमांक w. p. 180/2011 में तो सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रेल 2013 को जो फैसला दिया उसके आलोक में वन अधिकार कानून, 2006 एवं पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 के प्रावधानों का पूर्ण परिपालन सुनिश्चित हो|
- कोचामाऊ गाँव के निवासी बल्ला और कल्ला आदिवासी सहित पूरे इलाके में परमाणु खनिज निर्देशालय व्दारा जारी बोरिंग और मार्किंग का कार्य तुरंत रोका जाए|
भवदीय
समाजवादी जन परिषद