भोपाल गैस त्रासदी के 32 वर्ष : हजारों जानों के कातिल डाउ कंपनी को फिर न्यौता दे आए नरेंद्र मोदी
2 दिसंबर 2016 को भोपाल गैस त्रास्दी को 32 साल पूरे हो गए। 1984 में इसी दिन मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाईड प्लांट (अब Dow Chemicals) 40 टन मेथिल आइसोसायनाइट लीक हो जाने की वजह से करीब 5 हजार लोगों की मौत हो गई और 5 लाख लोग इस जहरीली रसायन के शिकार हुए। लेकिन मौतों का सिलसिला रुका नहीं। रसायन के जहर से मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती रही। अब तक इस संख्या के 20000 हो जाने का अनुमान है। मगर मोदी ने सितंबर 2015 के अपने अमेरिका दौरे के दौरान डाउ कंपनी के सीईओ एंड्रयू लिवेरिस को एक शानदार भोज में आमंत्रित कर भारत में निवेश का न्यौता दिया।
मुनाफे की हवस में हजारों को मौत की घाट उतारने वाली इस कंपनी के सीईओ एंडरसन को 7 दिसंबर 1984 यानि की घटना के पांच दिन बाद देश से सफलतापूर्वक भाग जाने का इंतजाम कर दिया गया। और इसमें उसकी मदद के लिए सामने आया हमारे लोकतंत्र के खंबे। पुलिस प्रशासन से लेकर न्यायालय तक ने इस प्रकरण में कंपनी मालिकों का साथ दिया।
जहां एक तरफ इस जघन्य हत्याकांड के भुक्तभोगी अभी भी न्याय का इतंजार कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2015 के अपने अमेरिका दौरे के दौरान डाउ कंपनी के सीईओ एंड्रयू लिवेरिस को एक शानदार भोज में आमंत्रित कर भारत में निवेश का न्यौता दिया। हजारों जानों के कातिल डाउ कंपनी को दिए इस न्यौते ने इस देश के शासक वर्ग का जन-विरोधी चरित्र साफ कर दिया। यह बात अब खुलकर स्पष्ट हो गई है कि इन सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए इस देश की आम जनता महज पांच साल में एक बार उंगली पर स्याही लगवाकर अपना वोट देने के अलावा कोई मायने नहीं रखती है। इनकी जवाबदेहिता और वफादारी पूरी तरह से पूंजीपति वर्ग के साथ है जो जब-तब अपने मुनाफे की हवस में हजारों मासूमों को मौत के घाट उतारता रहता है।
किंतु 32 साल बीत जाने के बाद भी घटना के प्रभावित परिवारों के साथ-साथ इस देश की इंसाफ पसंद जनता का जज्बा अभी टूटा नहीं है। वह न्याय के लिए लड़ रही है और तब तक लड़ती रहेगी जब तक कि उसे न्याय नहीं मिल जाता है।