जल-जंगल-जमीन के अधिकारों पर जन संसद
तिल्दा-रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के डेढ़ दशक बाद भी प्रदेश के स्थानीय आदिवासी, किसान और भूमिहीन अपने अधिकारों से वंचित हैं। डेढ़ दशक बाद भी प्रदेश में आदिवासी नीति नहीं बन पाया है। राज्य के जल संसाधनों का लाभ किसानों के बजाय उद्योगपतियों को मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में वंचित वर्ग के अधिकार और स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय समुदाय के अधिकार को लेकर भी आज तक कोई नीति नहीं बन पाई। जो नीतियां एवं कानून बने हैं, उनका सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है या फिर आधे-अधूरे ढंग से हो रहा है।
छत्तीसगढ़ में विगत 28 सालों से एकता परिषद और सहयोगी संगठनों ने मिलकर न केवल इन सवालों को उठाया है, बल्कि प्रदेश के हजारों गांवों और लोगों को स्वाभिमानपूर्वक उनका अधिकार हासिल करने में सहयोग भी किया है। एकता परिषद समाज के स्वावलंबन और सम्मानजनक जीविकोपार्जन के बुनियाद पर विश्वास करता है। संगठन का यह प्रयास रहा है कि राज्य सरकार, जनता से संवाद के आधार पर उपयुक्त कानूनों और नीतियों का जनता के सहयोग से ही क्रियान्वयन करे।
इस कड़ी में एकता परिषद और सहयोगी संगठनों द्वारा कल से दो दिवसीय जन संसद का आयोजन तिल्दा के प्रयोग संस्था के कैम्पस में किया जा रहा है। जिसका उद्घाटन कल कल 8 फरवरी को सुबह 11 बजे किया जायेगा ।
जन संसद में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के ग्रामीण मुखिया साथी आ रहे हैं। जन संसद में विशेष रूप से एकता परिषद के संस्थापक श्री राजगोपाल पी.व्ही. एवं अन्य वरिष्ठ समाज सेवी उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस. सिंहदेव, विधायक श्री सत्यनारायण शर्मा, छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी, विधायक श्री विमल चोपड़ा, पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविन्द नेताम, पूर्व सांसद श्री सोहन पोटई तथा आदिवासी नेता श्री बी.पी.एस. नेताम भी शरीक होंगे। जन संसद में संगठन के द्वारा घोषित ‘जनान्दोलन 2018‘ पर भी विस्तार से चर्चा होगी, जिसमें 2 अक्टूबर 2018 को पलवल से दिल्ली तक की पदयात्रा होगी।
मोहम्मद खान
राज्य संयोजक, एकता परिषद
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