भोपाल गैस पीड़ितों के समर्थकों के बयान
30 साल बाद भी भोपाल गैस हादसे का कानूनी हल न होने की वजह से हादसे के पीड़ितों को लम्बे समय तक गम्भीर पीड़ा झेलनी पड़ रही है। 2012 में अमरीकी न्याय मंत्रालय ने डीपवॉटर होराइज़न हादसे में 11 व्यक्तियों की मौत के लिए बी.पी. कंपनी से 400 करोड़ डॉलर का आर्थिक दण्ड वसूला था। यूनियन कार्बाइड के मालिक डाव केमिकल से इंसाफ़ के लिए भी अमरीकी सरकार को उतनी ही सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिए – गैरी कोहेन – हेल्थ केयर विदाउट हार्म के संस्थापक और 2013 में ‘बदलाव के चैंपियन’ अमरीका के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत
अमरीका की सरकार अगर चाहे तो डाव को सही रास्ते पर ला सकती है पर यह न करते हुए न्याय मंत्रालय पिछले 25 साल से डाव और यूनियन कार्बाइड को उसकी जिम्मेदारियों से बचा रही है और अब डाव केमिकल और डुपोंट के विलयन होने की बात चल रही है। इस वक्त अगर हम चुप रहे तो एक बार फिर कम्पनी की जिम्मेदारियों को भुला दिया जाएगा ।
मार्टिन शीन – हॉलीवुड के अभिनेता और समाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने 2014 के फिल्म ‘भोपाल: ए प्रेयर फॉर रेन’ में यूनियन कार्बाइड के भूतपूर्व अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन का किरदार निभाया था ।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय क़ानून तो मौजूद हैं। लेकिन इन कानूनों को लागू करने वाली कोई ताकत मौजूद नहीं है। अगर कानूनों को किसी के द्वारा लागू करने की जरुरत होती है – अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को कौन लागू करे ? अगर अमरीकी सरकार भी इन कानूनों को लागू नहीं करे तो फिर इनका कोई मतलब नहीं है।
नओम चोम्स्की: एम.आई.टी. के प्रोफ़ेसर, भाषा वैज्ञानिक, दार्शनिक, इतिहासकार, सामाजिक चिंतक, राजनैतिक कार्यकर्ता।
अमरीकी अधिकारियों के पक्के समर्थन के बगैर यूनियन कार्बाइड और डाव केमिकल के लिए यह मुमकिन ही नहीं होता कि वह 30 सालों से भारतीय अदालतों को ठेंगा दिखाते रहे। इसलिए भोपाल पीड़ितों की अंतहीन तकलीफों के लिए अमरीकी सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार है – एड्रियन कौरवीन – भोपाल में इंसाफ़ के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुहिम के कैंपेन आर्गेनाइज़र
वी द पीपल पिटीशन के बारे में
अमरीका के संविधान के तहत अमरीकी नागरिकों को अपनी सरकार को ज्ञापन देने का अधिकार प्राप्त है । इसी परिपेक्ष में ओबामा सरकार ने 5 साल पहले वाइट हॉउस की वेबसाईट पर वी द पीपल (जनता की आवाज)
ज्ञापन की शुरुवात की थी । इसके वर्तमान नियमों के अनुसार यदि ज्ञापनकर्ता 30 दिनों के अंदर 13 साल की उम्र से अधिक 1 लाख व्यक्तियों के हस्ताक्षर कर लेते है तो ओबामा सरकार यह सुनिश्चित करेगी की ज्ञापन उपयुक्त नीति विशेषज्ञों के समक्ष पेश किया जाए और इस बात की पूरी कोशिश करेगी की 60 दिनों के अंदर ज्ञापन का आधिकारिक जवाब दिया जाए ।