बिहार : भूमि अधिकार की मांग पर जन संगठनों द्वारा आयोजित भूमि अधिकार जन जुटान
खूब चली आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट की हवा
विधान सभा चुनाव के बाद लोक सभा में भी जारी
पटना, 20 फरवरी। भूमि अधिकार जन जुटान रैली के संयोजक हैं प्रदीप प्रियदर्शी। इनके बहुआयामी नेतृत्व में 15 से अधिक जन संगठनों का महा संगठन बना। जन संगठन एकता परिषद, जन मुक्ति वाहिनी (जसवा), दलित अधिकार मंच, लोक समिति, लोक मंच, असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, लोक परिषद, शहरी गरीब विकास संगठन,मुसहर विकास मंच,भूमि सत्याग्रह अभियान, कोशी नवनिर्माण मंच व लोक संघर्ष समिति। सभी मिलकर कर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भूमि अधिकार जन जुटान में करीब 15 हजार से अधिक सत्याग्रहियों को जुटाने में सफल हो गए।
जनांदोलन 2018 सत्याग्रह पदयात्रा का नेतृत्व करने वाले गांधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल आए थे।इस रैली में शामिल होने वाले भी अधिकांश पदयात्री भी थे। ग्वालियर से मुरैना तक यह हवा चलायी गयी कि आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट। उसका व्यापक असर मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि के विधान चुनाव पर पड़ा। किसानों,आवासीय व खेतिहर भूमिहीनों की बात नहीं सुनने वाले कई बार मुख्यमंत्री पद संभालने वालों के चूल्हा हिल गया। सत्ता से बाहर हो गए। अब लोक सभा का चुनाव सामने है। केंद्र और राज्य सरकार ने आवासीय व खेतिहर भूमिहीनों के पक्ष में कोई कदम नहीं उठाएं है। उसका असर जरूर ही चुनाव पर पड़ने जा रहा है।
सहरसा जिले से आए हीरा सदा ने कहा कि बिहार भूदान यज्ञ कमिटी द्वारा दी गयी जमीन पर दबंगों का कब्जा है। इसी जिले की महिलाओं ने कहा कि सड़क निर्माण होने के कारण हमलोगों को जमीन पर से हटा दिया गया है। काफी मुश्किल से जीवन बिता रहे हैं। कटिहार जिले के बुलो मंडल का कहना है कि उनके साथ भूदान की जमीन मिली थी। सभी का कब्जा जमीन पर होने के कारण दाखिल खारिज हो गया। बुलो मंडल जमीन पर कब्जा नहीं कर सके तो वह जमीन बिहार सरकार की हो गयी। सभी तरह का कागजात बुलो मंडल के पास है। पटना जिले के सुगवा देवी कहती है कि दीघा रेलवे लाइन के चाट पर रहते थे। 6 लेन की सड़क निर्माण होने वाला है। हमलोगों को जमीन से हटा दिया गया है। अभी खुले आकाश में रहने को बाध्य है। इसी जिले के नेहरू नगर में रहने वाले महादलितों ने कहा कि वासगीत पर्चा नहीं मिल रहा है। रामजीचक नहर ऐलिवेटेड पुल के नीचे रहने वाले मुसहर समुदाय को पुनर्वास के बिना विस्थापित कर दिया गया। पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन बनने से विस्थापितों का कहना है माननीय पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया गया। माननीय न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया था कि छह माह के अंदर विस्थापितों को पुर्नवासित किया जाए तो ऐसा नहीं करने पर पटना उच्च न्यायालय में अवमानना दायर किया गया है। यह कहना है कि विस्थापित सुनील कुमार का। पश्चिमी चम्पारण की ज्ञांति देवी का कहना है कि बगहा में वनभूमि पर रहते हैं उसका स्वामित्व प्रदान नहीं किया जा रहा है। जमुई जिले के लोगों को वनभूमि का पर्चा नहीं मिल रहा है। लगभग भूमि संबंधी समस्याओं का अम्बार है। उन समस्याओं को लेकर रैली में शामिल होने वाले वासभूमि स्वामित्व अधिकार कानून बनाने पर जोर दे रहे हैं।
गेंद सरकार के पाले में है
कुल मिलाकर प्रसिद्ध गांधी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल का कहना है कि जनांदोलन 2018 सत्याग्रह पदयात्रा के समय सत्याग्रहियों ने सरकार पर प्रेशर बनाने के लिए नारा बुलंद किए कि आगे जमीन पीछे वोट नहीं जमीन तो नहीं वोट। उसको लेकर खूब हवा चली। जो पतझड़ साबित हुआ और उसमें सत्ताधारी सरकार उखड़ गयी। गांधी मैदान में भूमि अधिकार जन जुटान रैली में आए सत्याग्रही भी हवा चला रहे हैं। निश्चित तौर पर आसन्न पर असर पड़ेगा। आम चुनाव के बाद विधान सभा का भी चुनाव होने वाला है। इसके आलोक में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूमि अधिकार को लेकर ठोस कदम उठाएं। बिहार भूमि सुधार आयोग बनाएं गए मगर आयोग की अनुशंसा लागू नहीं की गयी। इसके बाद कोर टीम बनायी गयी। उसका क्रियान्वयन बेहतर ढंग से नहीं हो रहा है। अब जरूरत है कि लोगों को चयन करके जन आयोग बनाएं। अब गेंद सरकार के पाले में है। अगर सरकार चाहे तो क्षणभर में भूमि समस्या का अंत हो जाएगा।
आलोक कुमार