मध्य प्रदेश : मंडला को विकास के नाम पर केवल विस्थापन मिला; अब धोखा और आश्वासन नहीं चलेगा
चकदेही (मंडला)- बसनिया बांध (मंडला- डिंडोरी) की आवश्यकता और प्रभाव पर 30 सितम्बर 2020 को परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा की भूमिका रखते हुए बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा ने कहा कि नर्मदा घाटी में 29 बड़े बांध प्रस्तावित है और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दिया गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन का विस्थापन विरोधी लम्बे संघर्ष ने सरकार को प्रस्तावित बांधों पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है।
3 मार्च 2016 को विधान सभा में विधायक जितेंद्र गहलोत द्वारा नर्मदा नदी पर बनने वाले बांधों के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखित में जबाब दिया है कि “राघवपुर,रोसरा और बसनिया बांध नए भूअर्जन अधिनियम से लागत में वृद्धि होने,अधिक डूब क्षेत्र होने,डूब क्षेत्र में वन भूमि आने से असाध्य होने के कारण निरस्त की गई है।” अब सवाल उठता है कि बांध निरस्त होने के बाद ऐसी क्या मजबूरी है कि प्रदेश सरकार दुबारा इस परियोजना की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति दिया है और ग्राम सभा को इस निर्णय से वंचित रखा गया।
कार्यक्रम के आयोजक निवास विधायक डाक्टर अशोक मर्सकोले ने कहा कि विकास के नाम पर कान्हा, बरगी बांध, मनेरी, हालोन, चुटका आदि विकास परियोजनाओं से लोगों को उजाड़ा गया है परन्तु पुनर्वास और जमीन मुआवजा के नाम पर केवल ठगा गया है।जबकि अन्य प्रदेशों में मुआवजा राशि यहां से बीस गुना ज्यादा का भुगतान किया जा रहा है। यह दोहरा मापदंड बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अब कम से कम विस्थापन और प्रभावितो को लाभ में हिस्सेदारी के सिद्धांतों पर ही परियोजना कार्य को आगे बढने दिया जाएगा। प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन और मकान के बदले मकान देने की योजना ही प्रभावी कदम होगा। उपस्थित प्रभावित समुदाय को कहा कि कोई भी ग्राम सभा इस परियोजना पर अपनी सहमति प्रदान नहीं करे।
पांचवीं अनुसूची क्षेत्र होने के कारण सरकार को प्रभावित गांव को समस्त जानकारी देकर विश्वास में लेना चाहिए था जो अब तक नहीं किया गया है। चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति के दादु लाल कुङापे और मीरा बाई मरावी ने बरगी बांध के विस्थापन की त्रासदी का अनुभव साझा करते हुए कहा कि जिंदगी बचाना है तो इस बसनिया बांध को नहीं बनने देना। मजदूर अध्यक्ष मनेरी के घनश्याम सूर्यवंशी ने कहा कि औधोगिक क्षेत्र मनेरी में कौड़ियों के भाव से जमीन अधिग्रहण कर लिया गया है और और प्रभावित रोजगार के लिए दर – दर भटकने को मजबूर है।
शहपुरा,डिंडोरी के विधायक भूपेन्द्र मरावी ने कहा कि हमारे क्षेत्र के गांव भी बसनिया बांध से प्रभावित हो रहा है। परन्तु इस सबंध में जनप्रतिनिधियों से आजतक कोई चर्चा नहीं किया है जो चिंता का विषय है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के संवाद कार्यक्रम जल्द ही मेंहदवानी विकास खंड में आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में उपस्थित समुदाय की सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया गया कि “प्रभावित गांव के प्रमुख प्रतिनिधियों को मिला कर एक कार्य समिति का गठन किया जाए। बसनिया बांध परियोजना के अन्य विकल्पों और लाभ हानि का अध्ययन किया जाए। इस परियोजना की समस्त जानकारी हिन्दी एवं सरल भाषा में लेने हेतु ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित कर सबंधित जिला कलेक्टर को पत्र दिया जाए। इस तरह का संवाद कार्यक्रम अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी आयोजित किया जाए।
गठित कार्य समिति की बैठक प्रत्येक माह किया जाए। कार्यक्रम में आसपास क्षेत्र के लगभग 500 महिला पुरुष शामिल रहे। इस कार्यक्रम को बरगी संघ के शारदा यादव,नगर पालिका अध्यक्ष चेन सिंह बरकङे,पुर्व जिला पंचायत सदस्य गुलाब सिंह परसते ,जनपद उपाध्यक्ष नारायणगंज भूपेन्द्र बरकङे,सरपंच संघ के अशोक मरावी, शांति सदभावना मंच के पी.डी.खैरवार,तारा परस्ते,सिवनी टोला सरपंच,मोती सिंह ध्रुवे, इकबाल भाईजान,मेंहदवानी जनपद अध्यक्ष सुरंजना ध्रुवे आदि ने संबोधित किया। जिला पंचायत सदस्य अनुसुइया मरावी,जयस गोपाल सिंह उर्रेती,आदिवासी महपंचायत गुलाब सिंह मर्दरिया,नफीस मलिक,पवन कुलस्ते,राजू मरावी,ईन्दरजित भंडारी,कमलेश तिलगाम,गंगा राम मसराम,रमेश विश्वकर्मा,हितेन्दर गोस्वामी,रत्न सिंह पेनद्राम,धरम सिंह उददे की गरीमामय उपस्थिति रही। मंच का संचालन क्षेत्र के जनपद सदस्य बजारी लाल सरवटे ने किया।