छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 9 अप्रेल 2021 को परसा कोल ब्लाक हेतु कोल बेयरिंग एक्ट के तहत बिना ग्रामसभा सहमती के किये जा रहे जबरन भूमि अधिग्रहण पर नोटिश जारी कर केंद्र सरकार, राज्य व अडानी से जबाव माँगा है. ज्ञात रहे कि पिछले दो वर्षो से हसदेव अरण्य के ग्रामीणों ने अडानी और राजस्थान सरकार हेतु किए जा रहे इस जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पढ़िए अलोक शुक्ला की टिप्पणी;
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने परसा कोल ब्लाक हेतु कोल बेयरिंग एक्ट के तहत बिना ग्रामसभा सहमती के किये जा रहे भूमि अधिग्रहण पर केंद्र व राज्य सरकार एवं अडानी कंपनी को नोटिश जारी किये l पांचवी अनुसूचित क्षेत्र होने के बाबजूद कोल मंत्रालय ने ग्रामसभा सहमति लिए बिना ही , 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के बजाए 1957 के कोल बेयरींग एक्ट के तहत अधिग्रहण किया हैं वह भी निजी कंपनी के लिए।
इस भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पिछले दो वर्षो से हसदेव अरण्य के ग्रामीण आन्दोलनरत है । 75 दिनों तक अनिश्चतकालीन धरना के बाद भी मोदी और भूपेश सरकार ने कोई संज्ञान तक नही लिया।
कुछ दिन पहले ही फतेहपुर और साल्ही और हरिहरपुर गांव के लोगों ने अडानी कंपनी पर फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव तैयार कर वन स्वीकृति हासिल किए जाने के खिलाफ जांच और कार्यवाही हेतु पुनः मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया लेकिन कार्यवाही तो दूर जांच के भी आदेश नही दिए गए। रमन सरकार के समय अडानी कंपनी द्वारा किये गए समस्त फर्जीवाड़े और गैरकानूनी कार्यो पर वर्तमान राज्य सरकार की न सिर्फ चुप्पी है बल्कि परियोजनाओ को भी स्वीकृति देने का कार्य कर रही हैं।