संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

इंसाफ और हिफाज़त के लिए – अखिलेन्द्र के उपवास का पांचवां दिन

दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले पांच दिन से आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का दस दिवसीय उपवास जारी है। उपवास पर बैठे अखिलेन्द्र को विभिन्न संगठनों, पत्रकारों व बुद्धिजीवियों ने आकर दिया समर्थन दिया है. पेश है इंसाफ और हिफाजत के लिए जारी धरने पर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) का पर्चा;

विभिन्न संगठनों, पत्रकारों व बुद्धिजीवियों ने आकर दिया समर्थन, उर्मिलेश, डॉ. सुनीलम, चितरंजन पहुँचे उपवास पर !! 

अखिलेन्द्र का यह उपवास कॉरपोरेट घरानों व एनजीओं को लोकपाल कानून के दायरे में लाने, रोजगार के अधिकार को नीति निर्देशक तत्व की जगह संविधान के मूल अधिकार में शामिल करने, साम्प्रदायिक हिंसा निरोधक बिल को संसद से पारित कराने, कृषि योग्य भूमि के कॉरपोरेट खरीद पर रोक लगाने, कृषि लागत मूल्य आयोग को वैधानिक दर्जा देने, राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति व सर्वागीण जनपक्षीय खनन नीति बनाने, कॉरपोरेट पर टैक्स बढ़ाने, शिक्षा-स्वास्थ्य-कृषि समेत जनहित के मदों पर खर्च बढ़ाने
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देश में एक बार फिर बदलाव के पक्ष में जनता का विश्वास बढ़ा है। जिन लोगों ने अवाम की जिंदगी को तबाह कर रखा है उनकी शिनाख्त अब जनता करने लगी हैं आने वाले दिनों में ऐसी ताकतों के बारे में जनता की समझ और भी साफ हो जायेगी। लोकपाल कानून देश में पारित हो गया। कौन नहीं जानता कि कारपोरेट घरानों यानी बड़े पूंजीपतियों ने पूरे राजनीतिक तंत्र को भ्रष्ट कर दिया हैं, सरकारी परियोजनाओं में ठेके, टेण्डर या पीपीपी प्रोजेक्ट हासिल कर प्राकृति संसाधनों व जनता की सम्पत्ति को औने-पोने दाम पर सरकारों से खरीद लिया है, अपने मुनाफे के लिए देश को तबाह कर दिया है। लेकिन कारपोरेट को लोकपाल के दायरे में नहीं रखा गया है। इस सवाल पर देश में अभी और लड़ाई होनी बाकी है।

आए दिन पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस के दाम तेल कंपनियों को फायदा पहुंचाने और सरकारी तामझाम पर खर्च करने के लिए बढ़ाए जा रहे हैं। यहां तक कि खाने की चीजों व सब्जियों में भी सट्टेबाजी हो रही है और जिसके कारण दाम बढ़ रहे हैं। यहां तक कि खाने की चीजों व सब्जियों में भी सट्टेबाजी हो रही है और जिसके कारण दाम बढ़ रहे हैं लेकिन इस पर रोक नहीं लग रही हैं प्रधानमंत्री महोदय ने यह स्वीकार किया है कि वह महंगाई नहीं रोक पाए पर वह यह नहीं बता रहे हैं कि महंगाई की प्रमुख वजह सट्टेबाजी पर रोक क्यों नहीं लगा पाए? प्रधानमंत्री कहते है कि हम रोजगार नहीं दे पाए, महोदय जब आप खेतीबाड़ी, कल-कारखानों को विदेशी कंपनियों और कारपोरेट घरानों के हवाले करने की रोजगारविहीन आर्थिक नीतियों को लागू करने में लगे रहे तब रोजगार पैदा ही कहां से होगा।

देश आजाद हो रहा था, गांधी जी देश के विभाजन से हताश और निराश थे, बन रहे संविधान में रोजगार को मौलिक अधिकार नहीं बनाया गया, उनके दबाव में इसे संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में डाला गया। वीपी सिंह की सरकार बनी, सरकार और राष्ट्रपति ने घोषणा भी की कि रोजगार के अधिकार को संविधान के मौलिक अधिकारों में शामिल किया जायेगा लेकिन आज तक यह नहीं हुआ। नौजवान ही नहीं प्रधानमंत्री जी आकी नीतियों, जिसके पैरोकार मोदी से लेकर मुलायम तक हैं, ने किसानों और हमारे कुटीर उद्योगों में लगे लोगों की जिंदगी को तबाह कर दिया। लाखों किसान और गरीब आत्महत्या कर चुके हैं और रोज ब रोज हो रही आत्महत्याओं का कोई आंकड़ा नहीं है। हालत यह हो गयी है कि किसानों के लाभकारी मूल्य की बात तो छोड़ दीजिए जो उन्होंने पैदा किया हे वह भी खरीदा नहीं जा रहा है और जो कुछ खरीदा गया है उसका न्यायालयों के आदेश के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। कानून व्यवस्था की हालत यह है कि आए दिन तमाम विरोधों के बावजूद महिलाओं को अपमान और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। समाज के उत्पीड़ित तबके चौतरफा हमले के शिकार हैं। हमारे देश में जो लोग दंगाईयों द्वारा घरों से बेदखल किए जा रहे हैं और कब्रगाहों तक में शरण लिए हैं उनके रैनबसेरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है।

साथियो, जब तक लोकतंत्र के नाम पर कारपोरेट राज चलेगा तब तक देश में तबाही, बर्बादी, दंगा-फसाद जारी रहेगा। इसलिए कारपोरेट राज के खिलाफ जनता के राज के लिए निर्णायक लड़ाई लड़़नी होगी, बीच का कोई रास्ता नहीं है। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) अपने जन्मकाल से ही जनपक्षीय नीतियों और जनराजनीति के लिए लड़ाई जारी रखे हुए है। रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने, कारपोरेट घरानों को लोकपाल कानून के दायरे में ले आने व उन पर टैक्स बढ़ाने, राष्ट्रीय वेतन नीति बनाने, शिक्षा- स्वास्थ्य-कृषि समेत जनहित के मदों पर खर्च बढ़ाने, अल्पसंख्यकों व महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी और पूरे देश में कानून का राज स्थापित करने जैसे महत्वपूर्ण सवालों पर 07 फरवरी से जंतर-मंतर पर धरना व उपवास किया जायेगा। आपसे अपील है कि इस आंदेालन में हिस्सेदार बनें और हर संभव सहयोग करें।
आंदोलन के मुद्दे
साम्प्रदायिकता के खिलाफ-

  1. अल्संख्यकों की हर हाल में सुरक्षा की गारंटी की जाए और साम्प्रदायिकता पर रोक लगाने के लिए कड़ा कानून बनाकर कड़ी कार्रवाई की जाए।
  2. साम्प्रदायिकता के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा की जाए।
  3. मुजफ्फरनगर के साथ ही सपा सरकार के शासनकाल में हुए दंगों की न्यायिक जांच करायी जाए और इसके लिए जवाबदेह नेताओं, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को दंडित किया जाए।
  4. आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार बेकसूर अल्पसंख्यक युवकों के मुकदमों के निसतारण के लिए विशेष अदालतों का गठन हो और जितनी जल्दी हो सके जो निर्दोष हो, उनकी रिहाई हो और जो लोग अदालत द्वारा निर्दोष करार देकर छूट गये हैं, उन सबके पुनर्वास की गारंटी की जाए और उन्हें क्षतिपूर्ति दी जाए।
  5.  उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक आयोग का तत्कला गठन किया जाए।

सामाजिक न्याय के संबंध में-

  1. पिछड़े मुसलमानों का कोटा अन्य पिछड़े वर्ग से अलग किया जाए। धारा 341 में संशोधन कर दलित मुसलमानों व ईसाइयों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जाए। सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्रा कमेटी की सिफारिशों को लागू किया जाय।
  2. अति पिछड़ी जातियों को अन्य पिछड़े वगै में से अलग आरक्षण कोटा दिया जाए।
  3. एससी/एसटी के कोटे के रिक्त सरकारी पदों को भरा जाए और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण दिय जाए।

किसानों के हित में-

  1. तत्काल प्रभाव से कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए।
  2. कृषि के कारपोरेटीकरण की प्रत्यक्ष व परोक्ष पहल पर रोग लगे और इसके स्थान पर सहकारी कृषि को आर्थिक एवं प्रशासनिक मदद दी जाए।
  3. बंद पड़ी अथवा बंदी के कगार पर खड़ी निजी चीनी मिलों को किसान सहकारी समितियों को सौंपा जाए तथा इनके संचालन के लिए राज्य सरकार द्वारा पूरी मदद दी जाए।
  4. कृषि योग्य उपजाऊ भूमि के अधिग्रहण पर रोक लगे और किसानों व भूमिहीनों के हितों कीरक्षा करने वाली भूमि अधिग्रहण व भूमि उपयोग नीति बनायी जाए।
  5. किसानों को सस्ते दर पर खाद, बीज, डीजल, बिजली आदि की व्यवस्था की जाए और उनके कर्जे माफ किए जाएं और गन्ना किसानों के बािए का तत्काल भुगतान किया जाए।
  6. ठेका खेती और जेनेटिक सीड के इस्तेमाल पर रोक लगायी जाए।

भ्रष्टाचार व महंगाई के खिलाफ-

  1. कारपोरेट घराने जो सरकारी परियोजनाओं में ठेके, टेण्डर या पीपीपी प्रोजेक्ट हासिल करते हैं उन्हें लोकपाल  के दायरे में लाया जाए।
  2. बढ़ती महंगाई रोकने के लिए सट्टेबाजी, कालाबाजारी व जमाखोरी के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए और वायदा कारोबार पर रोक लगायी जाए।
  3. मूलभूत जरूरतों की आपूर्ति में बिचौलियों के संगठनों की भूमिका को नियंत्रित कर महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया जाए।

रोजगार के संबंध में-

  1. रोजगार के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकार घोषित किया जाए।
  2. देश के बड़े पूंजीपतियों यानी कारपोरेट घरानों पर सम्पत्ति कर में भारी बढ़ोतरी की जाए तथा तमाम छूटों एवं इसके कानूनों व नियमों में मौजूद कमियों का अंत कर इसके दायरे को व्यापक बनाया जाए। उत्तराधिकार कर को लागू किया जाए।
  3. एक राष्टीय वेतन और आय नीबित बनायी जाए जो विभिन्न क्षेत्रों व वर्गों के बीच असमानता में भार कमी करे।
  4. आंगनबाड़ी, आशा, शिक्षा मित्रों व रसोइयों समेत सभी स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए व ठेक मजदूरों को विनियमित किया जाए।
  5. न्यूनतम मजदूरी 10,000 रुपये निर्धारित की जाए।
  6. सार्वजनिक क्षेत्रों, सरकारी सेवाओं व सभी स्तर के शिक्षा संस्थानों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।
  7. मनरेगा में हर हाल में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए, रोजगार न देने की स्थिति में बेकारी भत्ता दिया जाय और मनरेगा जैसी योजना को शहरों में भी लागू किया जाए।

उद्योग व मजदूरों के लिए-

  1. बिजली दरों को बढ़ाना बंद किया जाए। बिजली क्षेत्र के निजीकरण पर रोग लगायी जाए और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को पूरी क्षमता से चलाया जाए। बिजली क्षेत्र के भ्रष्टाचार की सीबीआई से जांच करायी जाए।
  2. बुनकरों के कर्ज माफ किये जाएं और उन्हें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की तरह अन्य सभी सुविधायें मुहैया करायी जाए। लघु व कुटीर उद्योगों को मुफ्त में बिजली दी जाए।

जनहित के संबंध में-

  1. कृषि, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत जनहित के मदों में खर्च को बढ़ाया जाए।
  2. शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा का बाजारीकरण बंद किया जाए और सार्वजनिक स्वास्थ्य व शिक्षा सेवा का विस्तार किया जाए।

महिलाओं के संबंध में-

  1. महिला आरक्षण बिल संसद द्वारा पारित किया जाए और महिलाओं की हर हाल में सुरक्षा की गारंटी की जाये और मानवीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार सभी विभागों में ‘वूमेन सेल’ का तत्काल गठन किया जाए।

महेश सिंह, मो0 आरिफ अंसारी, मो0 साबिर अजीजी, मो0 युसुफ अजीजी, मो0 वली अंसारी, षैलेन्द्र कुमार सिंह उर्फ बब्बू सिंह, क्रांति कुमार सिंह कैसरगंज, राजेश त्रिपाठी अध्यक्ष बहराइच विकास मंच, छक्कन राम चौहान एडवोकेट, शमीम अहमद इद्रीसी, भूपेन्द्र श्रीवास्तव भा0 किसान क्रांति दल, देव प्रकाश मिश्र, दयाराम गोस्वामी, हरीशचंद कौशल, शिव कुमार कान्दू, लाल चंद भारती, शोनू सरदार,, शेख अब्दुल गफ्फार, अमरनाथ सिंह, गणेश दत्त सिंह, शिव राम, जान मो0 अंसारी, रमजान खां, नसीब अली, षेख रफीउल्ला अंसारी, जिलेदार चौहान, रमेश चौहान, डा0 ए के सिंह, सुरेश सिंह, अली हुसैन, सुहेल अहमद व आल इण्डिया पपीफलस फ्रंट व सामाजिक न्याय मंच द्वारा जारी।
सम्पर्क पताः कर्नलगंज बाजार, गांण्डा, मो.  09450505926, 9473804899, 9721968731.

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