किसान विरोधी काले कानूनों के विरोध में प्रतिरोध मार्च : 26-27 नवम्बर 2020 ‘दिल्ली चलो’
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) का आह्वान
किसान-विरोधी तीन काले कानूनों व विजली बिल 2020 के खिलाफ 26-27 नवम्बर 2020 दिल्ली चलो
गाँव-गाँव में संघर्ष – कमेटी बनाये, काले कानूनों की होली जलाएं
देश के किसानों से अपील
किसान भाइयों व बहनों,
भाजपा की मोदी सरकार किसान-विरोधी तीन काले कानून बना कर अब खुल्लमखुल्ला बड़ी व्यापारिक कंपनियों, कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में खड़ी हो गई है और शोषित-पीड़ित किसानों को बाज़ार के चक्रव्यूह में अलेके लाचार छोड़ दिया है। इन कानूनों का मकसद खेती पर पूर्ण रूप से पूंजीपतियों का शिकंजा कायम करना है ताकि वे बेतहासा मुनाफ लुट सके। यधि इन्हें रोका नहीं गया तो इसमें देश के 86 प्रतिशत छोटी व मध्यम दर्ज के जोत के किसानों का तबाह होना तय है।
अब भाजपा सरकार ने ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955’ में सशोंधन करके भोजन की 6 जरुरी चीजो का स्टॉक असीमित मात्रा में जमा करने की इज्जाजत दे दी है। इसमें सभी अनाज, दाले, आलू, प्याज वनस्पति तेल और तिलहन शामिल है। यह जमाखोरी व कालाबाजारी की खुली छुट है। किसानों से जमाखोर कंपनिया सस्ता खरीदेगी और गोदामों में जमा कर बाज़ार में बनावटी कमी पैदा कर उपभोक्ताओं से अर्थात आम लोगों को कई गुणा दामों पर महंगा बेचेगी। स्पषट है की इससे किसानों के साथ-साथ उन सभी पर भी आफत आएगी जिनकी रोजी-रोटी खेती पर शामिल है।
सरकार ने नया मंडी कानून बनाकर मौजूदा मंडियों को बंद करने का इंतजाम कर दिया है, और प्राइवेट कंपनियों को तमाम कृषि उपज पुरे देश में कही भी बेरोकटोक खरीदने-बेचने की छुट दे दी है। वे अपनी मनमर्जी के भाव तय करेगी, पूरा थोक व खुरदरा बाज़ार इनकी मुट्टी में होगा। अडातियों से आजादी छिनने की बाते बहुत बड़ा छल है। क्योंकि वे कंपनियां अडातियों के मुकाबले हजारों हज़ार गुना बड़ी व ताकतवर व्यापारी है। इनका विदेशी कंपनियों से गठजोड़ है जाहीर है इन कानूनों से ‘आजादी’ या ‘रक्षा कवच’ किसानों को नहीं बल्कि प्राइवेट कंपनियों को मिला है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग अर्थात अनुबंध खेती फार्म सर्विस के नाम पर कंपनी किसान को खाद, बीज कीटनाशक और नकदी आदि उधार देगी। फसल आने पर कंपनी सबसे पहले इनके दाम वसूल करेगी। किसान के हाथ मन कितना पैसा आयेग, यह कोई नहीं जनता। कमायेगा किसान, मालामाल होगी कंपनियां। कम्पनियों व किसानों के बीच भाव व लेन –देन का जो कर्रार होगा, उसमे मनमानी कंपनी की चलेगी। बाज़ार में भाव कम पर कंपनियां कर्रार से मुकर जाएगी। फसल में कमी निकल कर खरीदने से लेकर इंकार क्र देगी। तजुर्बा बताता है की कंपनियां शुरू-शुरू में लुभाती है परन्तु बाद में इनके चंगुल से बहार निकलना मुश्किल हो जाता है। विवाद होने पर अदालत में फरयाद करने पर रोक है। किसान मरे जायेंगे और अपनी कृषि भूमि से हाथ धो बैठेगे।
नये तीन साल कृषि कानून में न्यूनतम समथर्न मूल्य (एमएसपी) का कोई जिक्र नहीं है। इन कानूनों के आने के बाद इस साल मक्का व सूरजमुखी के दाम समर्थन मूल्य से आड़े भी नहीं मिले। फसल पर टमाटर, प्याज, आलू अधि के दाम किसान को 2 रूपये किलो भी नहीं मिलते जबकि बाज़ार में 40-50-100 रूपये किलो तक बिकते है। डीजल, बीज, कीटनाशक दवाईया, उर्वरक (खाद) तथा कृषि के औजारों के दाम लगातार बढ़ा दिया जाता है। इस प्रकार खेती का लगत खर्च तो लगातार बढता है परन्तु दाम उस अनुपात से नहीं बढ़ते। यही कारन है की कर्ज में दबकर 4 लाख से जयादा किसान आत्महत्या कर चुके है।
बिजली भी पूरी तरह से प्राइवेट कंपनियों के हाथ में दी जा रही है। घरेलू मीटर, बीपीएल परिवार या खेती के ट्यूबवेल सब के बिजली बिल कामर्सियल आधर पर आयेंगे इसे गरीब लोग बिजली से बंचित हो जायेंगे और किसान बबार्द हो जाएगी।
आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने देश के 250 किसान संगठनों के साझा मंच –अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) आह्वान पर 25 सितम्बर का ‘ग्रामीण भारत बंद’ 14 अक्टूबर 2020 का ‘अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस’ और 5 नवम्बर का रोड-जाम सफल बनाने में बढ़-चढ़कर भागीदारी की है। इसी कड़ी में 2 नवम्बर 2020 को झज्जर में एक विशाल विरोध विरोध प्रदशन किया गया था। संगठन जून महीने में ही इन काले कानूनों के विरोध में आंदोंलन चला रहा।
अब हम गाँव-गाँव में जनसभाएं कर रहे है। जैसे –जैसे किसानों को इन कानूनों की असिलियत मालूम होती जा रही, वे आंदोंलन में शामिल होते जा रहे है। आप सबसे अपेल है की आन्दोंलन को सशक्त बनने के लिए गाँव-गाँव में संघर्ष कमेटियां बनाओं और इन कानूनों की प्रतियाँ फाड़ कर इनकी होली फूंको। 26-27 नवम्बर 2020 को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान सफल बनाओं। भरी सख्यां में शामिल हो।
संकल्प
यह देश मेहनतकशों का है। हमारे बाप-दादाओं ने बनाया है-इसे पूंजीपतियों की मुट्ठी में हरगिज नहीं जाने देंगे। तीनों काले कृषि कानूनों व बिजली बिल को रद्द करके ही हम दाम लेंगे।
निवेदन
आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन (AIKKMS)