परमाणु नहीं, सौर ऊर्जा चाहिए
सरकार बहादुर परमाणु ऊर्जा के पक्ष में हैं। इसलिए कि वे हर क़ीमत पर विकास चाहते हैं। इसके लिए अगर एटामिक लायबिलिटी बिल है तो परमाणु ऊर्जा के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण विरोध को ‘देख लेने’ का हमलावर तेवर भी है। लेकिन लोग हैं कि सच और इंसाफ़ के मोर्चे पर डटे हुए हैं। परमाणु परियोजनाओं से प्रभावित लोग ऐसा विकास नहीं चाहते जो उन्हें अपनी ज़मीन, आजीविका, परंपरा, संस्कृति से उजाड़ दे और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश को न्यौता दे।
इस आरपार की लड़ाई के माहौल में परमाणु ऊर्जा के विरोधियों के लिए करेंट साइंस में छपा एक अध्ययन उनका नया हथियार भी बन सकता है। याद रहे कि करेंट साइंस वैज्ञानिकों के बीच महत्वपूर्ण और विश्वसनीय शोध जर्नल के तौर पर जाना जाता है। इसके अक्टूबर अंक में सौर ऊर्जा पर फ़ोकस हीरेमठ मितवचन और जयरमन श्रीनिवासन द्वारा किये गये साझा अध्ययन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। दोनों वैज्ञानिक बंगलुरू स्थित लब्ध प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफ़ेसर हैं। उनके अध्ययन के मुताबिक़ देश की ऊर्जा ज़रूरतों को केवल सौर ऊर्जा और अन्य दूसरे स्रोतों से सुविधापूर्वक पूरा किया जा सकता है।