वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में गरम रोला फैक्टरियों के मजदूरों का जुझारू संघर्ष
दिल्ली के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में गरम रोला मशीन वाली सभी 26 फैक्ट्रियों के लगभग 1000 मजदूर 10 अप्रैल से गरम रोला मजदूर एकता कमेटी के नेतृत्व में अपने श्रम अधिकारों के लिए अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू कर दी। मील मालिकों ने मजदूरों की हड़ताल से बोखला कर उन्हें पुलिस से प्रताड़ित करवाया, काम से निकलने की धमकी दी परंतु मजदूरों की एकता के बल पर 16 अप्रैल को मील मालिकों ने सभी मजदूरों का वेतन 1500 रुपये बढ़ाने, सभी मजदूरों को ई एस आई देने, हड़ताल के सात दिनों में से 4 दिन का पैसा देने तथा मील मालिक किसी मजदूर को काम से नहीं निकालेंगे पर सहमती के साथ हड़ताल खत्म हुई. पेश है गरम रोला मजदूर एकता कमेटी की संघर्ष रिपोर्ट और ज्ञापन;
10 अप्रैल को मजदूरों ने वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र से एक रैली निकाल कर उप श्रम आयुक्त नीमड़ी कालोनी, अशोक विहार, दिल्ली तक पहुंचे, जिसमें अन्य मजदूरों समेत लगभग 1500 मजदूर शामिल थे। वहां उन्होंने एक सभा की व उप श्रम आयुक्त को अपनी मांगों के संबंध में एक ज्ञापन दिया। उसके बाद से मजदूर रोज सुबह 9 बजे से वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के बी ब्लॉक के राजा पार्क में अपना शांतिपूर्वक धरना दिये हुए थे। 12 तारीख को मजदूरों के पास संदेश आया कि मालिक ने 1000 रुपये बढ़ा दिये हैं और मजदूर अपने काम पर चले जायें। पर मजदूरों ने बात नहीं मानी। इसके बाद इंकलाबी मजदूर केन्द्र व एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता के नेतृत्व में 12 तारीख को अपनी एक कमेटी ’गरम रोला मजदूर एकता कमेटी’ का गठन किया गया। तब से मजदूर अपनी कमेटी के नेतृत्व में आन्दोलन लड़ रहे थे।
मजदूरों की कमेटी बनने व उनकी एकता से आन्दोलन को आगे ले जाने से फैक्टरी मालिक बोखलाये हुए थे और मजदूरों की एकता को भंग करने के चालें चलने लगे। 15 अप्रैल को पुलिस प्रशासन ने मजदूरों को धरना स्थल से हटाने का प्रयास किया। पुलिस ने कहा कि आपके पास धरने करने की इजाजत नहीं है जबकि मजदूरों का कहना था कि 13 अप्रैल को अशोक विहार थाने में सूचना दी जा चुकी है। इसके बावजूद मजदूरों का नेतृत्व करने वाले साथियों को पुलिस चौकी ले जाने लगे तो सभी मजदूर उनके साथ गये और पुलिस चौकी तक एक जुलूस निकाला वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के ए-ब्लॉक पुलिस चौकी मे पुलिस के मजदूर विरोधी पक्ष का विरोध किया और नारे लगाये। इस पर पुलिस ने कहा कि ठीक है आप लोग पार्क में धरना कर लें।
15 अप्रैल को ही लगभग 1000 मजदूर चौकी से सीधे उप श्रम आयुक्त के यहां पहुंचे और उन्होंने वहां पर विरोध प्रदर्शन किया और 26 फैक्ट्रियों की शिकायत उप श्रम आयुक्त को लिखित में दी, जिसमें निम्नलिखित मुख्य मांगें थींः-
1 दिल्ली सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन लागू किये जाये।
2 8 घंटे का कार्यदिवस लागू किया जाये।
3 ई. एस. आई व पी. एफ की सुविधा लागू की जाये।
उप श्रम आयुक्त ने भी मजदूरों को टालेन की कोशिश की और कहा कि मजदूर अपनी फैक्ट्रियों में काम पर चले जायें और इन्सपेक्टर आकर फैक्ट्रियों में जांच कर लेगा। मजदूरों के यह ने मानने पर उप श्रम आयुक्त ने कहा कि 15 अप्रैल को अस्टिेन्ट लेबर असिस्टेन्ट (ए. एल. सी) और 2 इन्सपेक्टर राजा पार्क धरना स्थल पर आकर मजदूरों के साथ फैक्ट्रियों में आकर जांच करेंगे।
16 अप्रैल को मालिकों ने मजदूरों की हड़ताल खत्म करने के लिय फिर कोशिश की। पूर्व निगम पार्षद धरना स्थल पर आये और मजदूरों से हड़ताल खत्म करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से धमकी दी। मालिकों की तरफ से एक प्रस्ताव उन्होंने रखा जो सिर्फ 1400 रुपये बढ़ाने का था। मजदूरों ने उसे अस्वीकार कर दिया। इसी बीच एक बार फिर पुलिस वाले आये और मजदूरों से चले जाने को कहा और धमकी दी कि अभी पुलिस आयेगी और सबको गिरफ्तार करेगी और भगा देगी। नेतुत्वकारी साथियों से पुलिस चौकी चल कर बात करने के लिए कहा इस पर मजदूर ने कहा की हम शांतिपूर्ण धरना कर रहे है। यदि आप को ले जाना हैं तो हम सभी को गिरफ्तार कर ले जाओ। उसके बाद पुलिस वाले चले गये. लगभग 4 बजे मजदूर अपने घर चले गये.
16 अप्रैल को लगभग 6 बजे पुलिस वाला ने मजदूरों को बातचीत के लिए बुलाया। रघुराज (सामाजिक कार्यकर्ता) और मुन्ना प्रसाद (इंकलाबी मजदूर केंद्र ) के साथी जब पुलिस चौकी पहुंचे को पुलिस वालो ने एक षड़यंत्र के तहत उन पर आरोप लगाया की तुम लोग मजदूर के साथ एक फैक्टरी में गए और ठेकेदार व मजदूरों के साथ मारपीट की . जब मजदूरों को इस घटना का पता चला तो वह भी पुलिस चौकी पहुँच गए . इस पर पुलिस ने उन में एक छात्र समेत 8 मजदूरों पकड़ कर चौकी ले गये. चौकी के अन्दर सभी के नाम, पिता का नाम, पता आदि लिख कर व क्या क्या सामान है उसका एक फोर्म भर कर हस्ताक्षर कराये . चौकी के बहार बाकी मजदूरों पर हलका लाठी चार्ज कर डंडे मार कर भगाया जिसमें कुछ मजदूर घायल हो गये। मजदूरों ने बताया कि कुछ मजदूरों को पुलिस ने गिरा कर पीटा।
चौकी में पहले से ही मालिकों की एसोसिएशन व सभी मालिक इकट्ठा हो रखे थे। उसके बाद मजदूरों के नेतृत्व पर दबाव डाला कि वे हड़ताल खत्म कर समझौता करें। लगभग 2-3 घंटे तक यह चला। मालिकों व पुलिस वालों ने मजदूरों पर बहुत दबाव बनाया इसके बाद मालिकों की एसोसिएशन व मजदूरों के बीच एक समझौते पर राय बनी, जिसमेंः-
1 सभी मजदूरों का 1500 रुपये बढ़ाने ।
2 सभी मजदूरों को ई एस आई देने ।
3 हड़ताल के सात दिनों में से 4 दिन का पैसा देने ।
4 मालिक किसी मजदूर को काम से नहीं निकालेंगे।
विरोध - प्रतिरोध
चौकी बाहर जब मजदूरों को इस समझौते बारे में बताया तो मजदूर इस समझौते से सहमत नहीं थे परन्तु हालात को देखते हुए उन्होंने इस पर हामी भरी। इसके बाद यह लिखित समझौता हुआ। मजदूरों ने यह समझौता मालिक व पुलिस के बहुत दबाव में किया। चौकी इंचार्ज, एस आई वेद प्रकाश द्वारा यह समझौता कराया गया। जबकि श्रम कानूनों में समझौता कराने का अधिकार उनका नहीं था।
इस आन्दोलन में मजदूरों की सफलता यह रही कि मजदूरों ने ‘गरम रोला मजदूर एकता समिति’ का गठन कर नेतृत्व को अपने हाथ में लिया। और जो मालिक मजदूरों से बात करने को राजी नहीं थे उनको हिला कर रख दिया और सभी मालिकों को चोकी तक आने के लिए मजबूर कर दिया।
मजदूरों ने तय किया है कि वे अपनी ‘गरम रोला मजदूर एकता समिति’ को और मजबूत करेंगे और संघर्ष को जारी रखेंगे।
गरम रोला मजदूर एकता समिति द्वारा उप श्रम आयुत को दिया गये ज्ञापन की कोपी;