कला पर बंदिश के खिलाफ उठी आवाजें
प्रतिवाद मार्च की शुरुआत ‘पलटन’ के कलाकारों ने भगत सिंह तुम जिंदा हो गीत को गाते हुए की। यह वही गीत है जो शीतल साठे की आवाज में काफी मकबूल हुआ है। मार्च और सभा में अस्मिता, संगवारी और इप्टा के कलाकारों ने अपने जनगीतों के जरिए संस्कृतिकर्मियों पर हो रहे हमलों का मुखर प्रतिवाद किया। नारे लगाते और हाथों में कलाकारों के दमन को बंद करने और उन्हें रिहा करने की मांग वाले प्लेकार्ड लिए प्रदर्शनकारी महाराष्ट्र सदन पहुंचे, जहां उन्हें रोक दिया गया। उसके बाद उन्हांेने वहीं सभा की। सभा को संबोधित करते हुए कथाकार-पत्रकार नूर जहीर ने कहा कि सरकारें जनता से कट चुकी हैं, इसलिए वे जनता का साथ देने वाले कलाकारों का दमन करने पर उतारू हैं। कवि नीलाभ ने कहा कि दमन दरअसल पूरी जनता पर हो रहा है और हमें हर दमन का प्रतिरोध करना होगा। रेखा अवस्थी ने जनवादी लेखक संघ की ओर से इस लड़ाई का समर्थन किया।
-सुधीर सुमन, राष्ट्रीय सहसचिव, जन संस्कृति मंच, संपर्क: 9868990959