डिमना बांध : टाटा के विरोध में विस्थापितों का जल सत्याग्रह शुरू
डिमना डेम के पहले यहाँ 12 गाँव हुआ करते थे। जो आज भी हैं बसे हैं पर दुसरी जगह पर । आज जिस तरह से लोग विस्थापन के विरोध में उठ खड़े हो रहे हैं और नारे लगा रहे हैं की “जान देंगे जमीन, जमीन नहीं देंगे।” पहले इस तरह का कुछ नहीं होता था एक शाही फरमान निकलता था और लोगों को भारी मन से आपने माँ-माटी को छोड़ना पड़ता था। नजराना स्वरूप जो मिला कबूल करना होता था। कुमार दिलीप की रेपोर्ट;
दूसरी और टाटा कंपनी टाटा ( जमशेदपुर) से ले कर भारत को छोड़ दिजीये सात समुन्दर पार कोरस को खरिद लिया है इस से हमें कोई दिक्कत नहीं हैं। हमारा तो बस ये सवाल हैं की इस बिच में आप झारखंडियो को कैसे भूल गए। जिसके मिट्टी, पानी, खनिज सम्पद्दा को लगभग मुफ्त में दोहन कर रहे है?
ज्ञातव्य हैं कि 30/09/2013 को भी पूर्वी सिंहभूम जिला कार्यालय के समक्ष 23 जुलाई 2013 को एक दिवसीय धरना दिया। उपायुक्त की अनुपस्थिति में ए.डी.एम. को 11 सू़त्री मांग पत्र सौपा गया। ए.डी.एम. ने आश्वाशन दिया कि उपायुक्त से परामर्श के बाद शीघ्र ही एक निर्णायक बैठक की जायेगी। ए.डी.एम. ने दूरभाष से अनुमंडलाधिकारी, धालभुम से संपर्क किये और अब तक की प्रगति की रिपोर्ट ली। उन्होने कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी से अभिलेख मांग कर अब तक की गयी कार्रवाई से अवगत होंगे। बैठक आयोजन की तिथि एक सप्ताह में सुचित कर दी जायेगी। ज्ञात हो कि विगत पांच वर्षों से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन चल रहा है। उस समय से लेकर आज तक प्रशासन की पहल से टाटा स्टील के अधिकारियों एवं विस्थापित प्रतिनिधियों के बीच 18 दौर की त्रिपक्षीय वार्ता हो चुकी है। इस क्रम में कई समस्यायें पूरी तरह से स्पष्ट हो गई और वह निष्कर्ष तक पहुंच गया है। अब इस पर सिर्फ निर्णय लेना बाकी रह गया है। पिछले वर्ष जब 13-17 फरवरी 2012 को अनिश्चितकालिन अनशन हुआ था तब अनुमंडलाधिकारी के आश्वासन पर अनशन स्थगित किया गया था। लेकिन दुःख की बात है कि लगभग एक वर्ष बीतने के बावजूद टाटा स्टील एवं प्रशासन की ओर से अपेक्षित गंभीरता नहीं रही है, जिसकी वजह से मामला टलता जा रहा है। इस परिस्थिति में डिमना बांध के विस्थापितों ने पुनः एक बार ध्यान आकृष्ट करने के लिए धरना दिया। हमारी मांगें टिस्को अतिक्रमित 102 एकड़ जमीन की क्षतिपूर्ति दी जाय। डिमना बांध में अन-अधिग्रहित 3.84 एकड़ जमीन के फसल के नुकसान की क्षतिपूर्ति दी जाय, उसे मुक्त किया जाय या कानूनी व्यवस्था की जाय। डिमना बांध के विस्थापितों को बकाया मुआवजा, नौकरी तथा पुनर्वास का हक दिया जाय। टाटा कंपनी द्वारा विस्थापित परिवारों को डिमना बांध के पानी के उपयोगिता मूल्य तथा लाभांश का आधा हिस्सा दिया जाय। डिमना बांध में नौका विहार एवं मछली पालन का अधिकार विस्थापितों के समूह को दिया जाय। टाटा कंपनी के कर्मचारियों की तरह विस्थापित परिवारों को भी चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधा दी जाए। डिमना बांध के किनारे अमरी पौधे की झाड़ियों को नियमित रूप से साफ किया जाये।
इस से पहले भी 23 जुलाई 2013 को एक दिवसीय धरना दिया। उपायुक्त की अनुपस्थिति में ए.डी.एम. को 11 सू़त्री मांग पत्र सौपा गया। ए.डी.एम. ने आश्वाशन दिया कि उपायुक्त से परामर्श के बाद शीघ्र ही एक निर्णायक बैठक की जायेगी। ए.डी.एम. ने दूरभाष से अनुमंडलाधिकारी, धालभुम से संपर्क किये और अब तक की प्रगति की रिपोर्ट ली। उन्होने कहा कि अनुमंडल पदाधिकारी से अभिलेख मांग कर अब तक की गयी कार्रवाई से अवगत होंगे। बैठक आयोजन की तिथि एक सप्ताह में सुचित कर दी जायेगी।
ज्ञात हो कि विगत पांच वर्षों से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन चल रहा है। उस समय से लेकर आज तक प्रशासन की पहल से टाटा स्टील के अधिकारियों एवं विस्थापित प्रतिनिधियों के बीच 18 दौर की त्रिपक्षीय वार्ता हो चुकी है। इस क्रम में कई समस्यायें पूरी तरह से स्पष्ट हो गई और वह निष्कर्ष तक पहुंच गया है। अब इस पर सिर्फ निर्णय लेना बाकी रह गया है। पिछले वर्ष जब 13-17 फरवरी 2012 को अनिश्चितकालिन अनशन हुआ था तब अनुमंडलाधिकारी के आश्वासन पर अनशन स्थगित किया गया था। लेकिन दुःख की बात है कि लगभग एक वर्ष बीतने के बावजूद टाटा स्टील एवं प्रशासन की ओर से अपेक्षित गंभीरता नहीं रही है, जिसकी वजह से मामला टलता जा रहा है।
इस परिस्थिति में डिमना बांध के विस्थापितों ने पुनः एक बार ध्यान आकृष्ट करने के लिए जल सत्याग्रह शुरू किया हैं।
हमारी मांगें
- टिस्को अतिक्रमित 102 एकड़ जमीन की क्षतिपूर्ति दी जाय।
- डिमना बांध में अन-अधिग्रहित 3.84 एकड़ जमीन के फसल के नुकसान की क्षतिपूर्ति दी जाय, उसे मुक्त किया जाय या कानूनी व्यवस्था की जाय।
- डिमना बांध के विस्थापितों को बकाया मुआवजा, नौकरी तथा पुनर्वास का हक दिया जाय।
- टाटा कंपनी द्वारा विस्थापित परिवारों को डिमना बांध के पानी के उपयोगिता मूल्य तथा लाभांश का आधा हिस्सा दिया जाय।
- डिमना बांध में नौका विहार एवं मछली पालन का अधिकार विस्थापितों के समूह को दिया जाय।
- टाटा कंपनी के कर्मचारियों की तरह विस्थापित परिवारों को भी चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधा दी जाए।
- डिमना बांध के किनारे अमरी पौधे की झाड़ियों को नियमित रूप से साफ किया जाये।
- डिमना बांध के किनारे-किनारे लिफ्ट एरीगेशन द्वारा सिंचाई की व्यवस्था की जाय।
- कॉरर्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत डूब प्रभावित क्षेत्र में ग्रामसभा की सहमति से विकास कार्य किया जाय।
- लायलम एवं बोंटा पंचायत को पूर्ववत पटमदा प्रखंड में रखा जाय।
- वनाधिकार कानून को शीघ्रता से लागू किया जाय।