संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

नगड़ी के ग्रामीणों की अपील: झारखंड विधानसभा के सदस्यों के नाम

नगड़ी के खेतों में खून-पसीना बहा कर हमने धान रोपा और काटा. उसी धान का यह गुच्छा हम आपकों भेंट कर रहे हैं. हमारा इरादा और संकल्प साफ है. यह जमीन हमारी है जिसे हमारे पुराखों ने बनाया हमारी अनेक पीढि़यों को पाला-पोसा. हमारा दायित्व है कि हम अपने पुराखों के इन खेतों की रक्षा करें ताकि हमारी भावी पीढि़ के लिए हम अपने इतिहास,भाषा,संस्कृति और जमीन को हरकीमत पर बचाए रखें. इस धान के गुच्छे में हमारा इतिहास और भविष्य है. हम इस उम्मीद के साथ इसे आप को भेंट कर रहे हैं कि आप एक संवैधानिक संस्था के चुने हुए प्रतिनिधि हैं. विधान सभा सदस्य के रूप में आपका कर्तव्य है कि आप पीडि़तों के पक्ष में खड़ा हों और इंसाफ करें.

हम नगड़ी के आदिवासी-मूलवासी झारखंड के सभी 32 हजार गांवों के लोगों के लिए लड़ रहे है. हमारे संघर्ष में हमारी तीन महिलाएं धरना के समय लू का शिकार हो मर गयी. वे हमारे लिए शहीद हैं और हमें लगातार प्रेरित कर रहीं हैं. दर्जनों ग्रामीणों को पुलिस बर्बरता का शिकार होना पड़ा और हमारें आंदोलन में गांव के चार लोंगों को जेल भी जाना पड़ा. हमारे आंदोलन की एक अह्म साथी दयामनी बरला अब भी जेल में हैं.

हमने अनुभव किया है कि विधान सभा के ज्यादातर सदस्यों के लिए जल जंगल जमीन की हिफाजत का सवाल हाशिए पर है. हम कहना चाहते हैं की कारपोरेट घरानों के निर्देश पर झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन छीनने की राजनीति बंद होनी चाहिए. विकास का अर्थ आदिवासियों मूलवासियों को उजाड़ना नहीं है. हम चाहते हैं कि कि एक नया और उन्नत झारखंड निर्मित हो जिसके मूल में यहां के लोग और उनकी इच्छाएं हों.

हम आप से कहना चाहते हैं कि आप एक संवैधानिक संस्था के सदस्य हैं और झारखंड में पांचवीं अनुसूची , छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संतालपरगना काश्तकारी अधिनियम का सख्ती से पालन हो. इन संवैधानिक प्रावधानों का भूमि अधिग्रहण कानून 1884 से ज्यादा महत्व है तथा वे सर्वोपरि हैं. पेसा एक्ट भी हमारे लिए अह्म है.

हम यह कहना चाहते हैं कि हम एक इंच जमीन नहीं देंगे. आप इस मांग के पक्ष में अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करें. हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और हमारा यकीन पक्का है कि आखिरी जीत हमारी होगी. लोकतंत्र में सर्वोपरि जनता होती है. इस संदेश को समझना चाहिए. हम कहना चाहते हैं के हर पांच साल में अपको हमारे बीच ही आना पड़ता है और हम जानते हैं कि राज्य के 32 हजार गांवों में लोग हमारी तरह ही अपनी लड़ाई लड़ रहे है. इसलिए कारपोरेट राजनीति की पैरवी बंद होनी चाहिए और जनता की सर्वोच्चाता स्थापित होनी चाहिए.

हम अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे. आप आइए और हमारा साथ दीजिए. हमारी लड़ाई जबरन भूमि हड़पने के खिलाफ है और हम अपनी जमीन बचाने के लिए किसी भी कुर्बानी के लिए तैयार है. यह धान का गुच्छा आपकी अंतरआत्मा को जगा सकें इसीलिए हम आपके पास यह पहुंचा रहे हैं.

जोहार
हम नगड़ी के ग्रामीण

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