झारखण्ड : कोल्हान में संघर्ष तेज कने का संकल्प
झारखण्ड के जमशेदपुर में 21 अगस्त 2016 को ग्राम सभा सशक्तिकरण एवं जन संघर्षों की भावी रणनीति पर गांव गणराज्य परिषद, सिंहभूम द्वारा एक दिविसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया । सम्मेलन में झारखण्ड सरकार द्वारा बनाई गई आदिवासी-मूलवासी विरोधी स्थानीयता नीति को वापस करने, छोटानागपुर -संथाल परगना कस्तकारी अधिनियम अध्यादेश रद्द करने तथा वनाधिकार अधिनियम-2006 को सक्ती से लागू करने, आदिवासीयों-मूलवासीयों को विकास के नाम पर विस्थापन बन्द करने तथा पाचवी अनुसूची के सवैधानिक प्रवधानों को अनुसूचित क्षेत्रों अक्षरश: लागू करने सबंधी विषयों पर विचार विमर्श कर आगे की रणनीति बनाई गई । दीपक रंजीत की संक्षिप्त रिपोर्ट;
ग्राम सभा सशक्तिकरण एवं संघर्ष का भावी रणनीति विषय पर गांव गणराज्य परिषद् सिंहभूम, झारखण्ड के बैनर तले कल दिनांक 21/08/2016 को जन विकास केंद्र सुंदरनगर, जमशेदपुर में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था. जिसमे आस पास के गांवों के ग्राम प्रधानों के अलावे सामाजिक सरोकार रखने वाले लगभग 60 सद्श्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी.
सम्मलेन का मुख्य उद्देश था ग्राम सभा का सश्क्तिकरण करना ताकि को और मजबूती मिल सके. ग्राम सभा को सभी और सुचारू रूप से चलाने के लिए पूर्वी सिंहभूम स्तरीय एक को-आँडीनेशन कमिटी का गठन किया गया.
साथ ही कई प्रस्ताव भी पारित किया गया:-
- ग्राम सभा को कमजोर करने वाली वार्ड व्यवस्था को ख़त्म हो सी एन टी एक्ट और एस पी टी एक्ट के साथ छेड़छाड़ न करे
- ग्राम सभा को खनिजों का अधिकार मिले
- ग्राम सभा के अनुमति के बिना जमीन स्थान्तरण न हो
- ग्राम से सीधे जुड़े प्रमाण पत्रों, भू सर्बेक्षणों, जन्म प्रमाण पत्रों का निर्माण का अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए
- अवैध खनन पर रोक लगे
- केन्द्रीय पेसा कानून को सारे प्रावधानों को झारखण्ड कानून में लागु किया जाय