पोस्को के खिलाफ जनसंगठनों की लामबंदी तेज
भुबनेश्वर में पोस्को विरोधी रैली में नियमगिरि के डोंगरिया कोंड आदिवासी |
गुजरी 12 अप्रैल को उड़ीसा के भुवनेश्वर में पोस्को प्रतिरोध दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से लोयर पीएमजी स्ट्रीट तक एक रेली का आयेाजन किया गया था दूसरे दिन उड़ीसा सरकार के द्वारा जनांदोलनों पर जारी दमन के बीच लोक शक्ति अभियान, जन संघर्ष समन्वय समिति, इंसाफ व जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के द्वारा लोहिया एकेडमी में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के 12 राज्यों के जनसंघर्षों/संगठनों के प्रतिनिधयों ने मिलकर ‘विकास के नाम पर राज्य आतंकवाद एवं प्राकृतिक संसाधनों की लूट’ को लेकर गंभीर चिंतन किया।
12 अप्रैल को जब उड़ीसा के भुवनेश्वर में पोस्को प्रतिरोध दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से लोयर पीएमजी स्ट्रीट तक हजारों आदिवासी जब अपने हक-अधिकारों की रक्षा के लिये रैली-प्रदर्शन कर रहे थे उसी समय पोस्को कम्पनी पत्रकारों को मनोरंजन ट्रिप के नाम पर मुंबई और गोवा की सैर करवा रही थी. इससे पहले भी पोस्को कम्पनी पत्रकारों को कोरिया की सैर करवा चुकी हैं.
आगे उन्होंने आर्थिक विकास वृद्धि दर को छलावा बतलाते हुए कहा कि समाज के जो बहुसंख्यक वर्ग इससे जुड़ गये हैं उन्हें राजनीतिक तौर पर गोलबंद कर संघर्ष को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
किसान संघर्ष समिति मध्य प्रदेश के डॉ. सुनीलम ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कि पोस्को प्रभावित किसानों के एक गांव ने आठ साल से दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी को रोक कर ग्राम समाज की ताकत को देश व दुनिया के सामने रखा है।
उन्होंने आगे कहा कि बीजू जनता दल के अलावा सभी राजनीतिक दल पोस्को परियोजना का विरोध करते दिखते हैं लेकिन यदि वास्तव में अकेले कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया होता तो परियेाजना को आगे बढ़ना वह भी बिना वना अधिकार कानूनों तथा पर्यावरण संबंधी स्वीकृति न मिलने के बावजूद संभव नहीं था।
आगे डॉ सुनीलम ने कहा कि असल में देश में राजनीतिक दलों के बीच नयी आर्थिक नीतियों, विदेश नीति तथा वर्तमान विकास के ढांचे को लेकर सर्वानुमति बनी हुई है। जब भी कभी इन नीतियों को गंभीर चुनौती दी जाती है तब उसे गोली चालन के माध्यम से कुचल दिया जाता है। जिस में अब तक 84 हजार निहत्थे, निर्दाष मारे जा चुके हैं। यही विकास के नाम पर राज्य द्वारा थोपा जा रहा आतंकवाद है।
झारखण्ड से आयी दयामनी बारला ने कहा कि झारखण्ड राज्य बनने के बाद राज्य सरकार ने देशी-विदेशी 104 कंपनियों के साथ समझौते किये परंतु हमारा शुरू से ही एक ही नारा था कि हम अपने पूर्वजों की एक इंच भी जमीन नहीं देंगे। मैं आपको को बताती हूं कि हमने अभी तक किसी भी कंपनी को स्थापित नहीं होने दिया है।
समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लिंग राज भाई ने कहा कि मौजूदा दौर में जन आंदोलनों के सामने चार चुनौतियां हैं- विभिन्न विचारधाराओं के नेतृत्व में चल रहे आंदोलनों को एक कैसे करें?, मौजूदा विकास के मॉडल का विरोध तो कर रहे हैं लेकन जनवादी विकास का मॉडल क्या हो?, राष्ट्र की और से सभी जनआंदोलनों को विकास विरोधी तथा आतंकवादी कह कर हिंसा के बल पर कुचलने से कैसे रोंकें? जब सभी स्थापित राजनीतिक दल नव उदारवादी हमले के दौर में एक ही नीति के समर्थक हो चुके हैं तब एक वैकल्पिक राजनीति कैसे खड़ा करें?
पोस्को प्रतिरोध सग्राम समति के प्रशांत पैकरा ने आंदोलन के उतार-चढ़ावों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि भूमि अधिग्रहण को लेकर चल रहा पोस्को विरोधी आंदोलन बहुप्रचारित है लेकिन महानदी के पानी को पोस्को कंपनी द्वारा लेने, बंदरगाह के विरोध में जटाधार बचाओ आंदोलन तथा खंडधार में पोस्को के लिए होने वाले खनन के विरोध में आंदोलन जारी है।
उन्होंने आगे अपील करते हुए कहा कि देश के जनसंगठन एकजुट होकर विस्थापन के सवाल पर राष्ट्रीय मंच तैयार करे, एक राष्ट्रीय समावेश पोस्को क्षेत्र में आयोजित करे, साथ में ही देशभर में पोस्को विरोधी प्रतिरोध दिवस मनाने की अपील की।
इंसाफ के पूर्व महासचिव विलफ्रेड डिकोस्टा ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हम वर्तमान आतंकी विकास के मॉडल को अस्वीकार करते हैं। यदि कोई हमें विकास विरोधी कहता है तो हमें चिंता नहीं करनी चाहिए। क्योंकि हम आम आदमी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला विकास चाहते है.
सम्मेलन के अंत में रणनीति सत्र की अध्यक्षता करते हुए अनिल चौधरी ने कहा कि आज हम देख रहे है कि राज्य अपने द्वारा ही बनाये गये सामाजिक समझोतों को नहीं मान रहा है. राज्य के इस चरित्र का जो लोग विरोध कर रहे है उन पर राज्य आज बंदूक से हमले करवा रहा है. पहले जो लोग राज्य को संगठित हिंसक गिरोह कहा करते थे आज राज्य उसे आपने क्रियाकलापों से साबित कर रहा है.
आज जरूरत है कि स्थानीय संघर्ष की मानसिकता से बहार निकल कर व्यापक संघर्ष की मानसिकता को अपनाया जाये. जन संघर्षों के सामूहिक प्रयास तेज किये जाये जहाँ पर झंडा और नाम को लेकर झगड़ा न हो तथा वैकल्पिक विकास की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिये एक सम्मेलन का आयोजन किया जाये.
सम्मेलन से पूर्व 12 अप्रैल को पोस्को प्रतिरोध दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से लोयर पीएमजी स्ट्रीट तक एक रेली का आयेाजन किया गया था। इस रैली में उड़ीसा के विभिन्न जनआंदोलनों से आये तकरीबन 1500 आदिवासियों ने भाग लिया।
रैली के अंत में राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया जिसमें उद्योग एवं खनन के लिए कृषि भूमि के हस्तांतरण पर रोक लगाने, जोर-जबरदस्ती विस्थापन पर रोक लगाने, भूमि अधिग्रहण कानून रद्द करने, नारायण पटन में पुलिस दमन रोकने, पोस्को क्षेत्र से पुलिस बल हटाने, समूची खदानों की लीज की सीबीआई जांच कराने की मांग की गयी।
रैली और सम्मेलन में उड़ीसा के जगतसिंहपुर में पोस्को कंपनी, बलामीर जिलने में लोअर सुमेत बांध, बलामी जिले के टिटलागढ में सहारा के पॉवर प्लांट, नुआपाड़ा जिले के लोकरइण्डा के विस्थापितों के हक की लड़ाई, कालाहाण्डी जिले में वेदांता कंपनी के विरोध में नियामगिरी आदिवासियों, कोरापुट जिले में माली पर्वत की सुरक्षा की लड़ाई, अंगुल जिले में जिंदल के विस्थापितों के हक की लड़ाई और अदानी पॉवर प्लांट विरोधी, इसी जिले के किशेर नगर के पॉवर प्लांट, ढिकियानाल जिले के जीएमआर के पॉवर प्लांट, एनटीपीसी पॉवर प्लांट, पुरी में अस्तरम के बंदरगाह की लड़ाई, मयूरभंज में स्वर्ण रेखा परियोजना के विस्थापितों के हक की लड़ाई तथा कटक जिले में टाटा पॉवर प्लांट विरोधी आंदोलनों से आये हजारों आदिवासियों ने भाग लिया.
इसके अलावा देश के अन्य राज्यों में चल रहे भूमि अधिग्रहण आंदोलन, हिमाय नीति अभियान, किसान संघर्ष समिति, मध्य प्रदेश आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, झारखण्ड, गंगा एक्सप्रेस वे विरोधी आंदोलन, उत्तरप्रदेश, नवलगढ़ भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन, राजस्थान, सेज विरोधी आंदेालन उत्तर प्रदेश तथा काकीनाडा सेज विरोधी आंदोलन, आंध्र प्रदेश आदि जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
रैली की तसवीरें ;
नियमगिरि के डोंगरिया कोंड आदिवासी भुबनेश्वर रैली में