कारपोरेट लूट- पुलिसिया दमन के विरोध में दुर्ग में दस्तक: किसान-मजदूर-आदिवासियों ने किया प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ में आज तथाकथित विकास के नाम पर आदिवासियों के जंगल-जमीन-नदियों को आँख मूंदकर राज्य सरकार बेच रही है. सिर्फ कोरपोरेट को लाभ पहुचने के लिये लाखों आदिवासियों के जीवन को दाव पर लगाया जा रहा है. अकेले जांजगीर चांपा जिले में 34 थर्मल पॉवर प्लांट लगाये जाने है. जिससे पूरा जिला, गांव, जनजीवन, पशु-पक्षी सभी समाप्त हो जायेंगे, तो ऐसे विकास का क्या मतलब है.चौतरफ़ा यही सीन सामने है कि कंपनियां अपनी मर्ज़ी की मालिक़ हैं और सरकार पर हावी हैं। उनके ख़िलाफ़ मुंह खोलनेवालों पर फ़र्ज़ी मुक़दमे हैं और हमले हैं, लड़ाकू ताक़तों की एकता को तोड़ने के तरह-तरह के हथकंडे हैं। इन हालातों के विरोध में 15 जनवरी को भिलाई-सुपेला चौक में एकदिवसीय धरना दिया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सोपा गया. पेश है यहाँ पर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मजदूर कार्यकर्ता समिति के अगुआकार कलादास डेहरिया की यह रिपोर्ट;
कंपनियों की जागारी नहीं, छत्तीसगढ़ हमारा है!,लाठी गोली की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी!! इस उद्घोष के साथ छत्तीसगढ़ के रायपुर-दुर्ग से आए किसानो, मजदूरों आदिवासियों, दलितो, स़्त्री-पुरूषों ने छत्तीसगढ़ सरकार को चेतावनी दी कि वह कंपनियों की दलाली करना और प्रदेश की जनता पर जुल्म ढाना बंद करें। सयुंक्त ट्रेड यूनियन मंच द्वारा आयोजित इस धरने में हजारों की संख्या में आम जनता 15 जनवरी को भिलाई-सुपेला चौक में इकट्ठे हुए और एकदिवसीय धरना दिया ।
आज छत्तिसगढ़ में लूट और दमन का राज कायम हो गया है। लगातार महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना से अखबार पटे रहते है। 1 रूपयें किलो का चावल देकर रमन सिंह हुंकार भरता है कि हम विकास कर रहे है,? परन्तु वही गांव के बुजर्ग अच्छी कहावत में कहतें है, सब्बल की चोरी और सुई का दान, वाह रमन तू कितना बईमान। पूरे छत्तीसगढ़ में पुलिस फोर्स की छावनी बनाया जा रहा है। शिक्षाकर्मियों को लगातार बर्खास्त किया जा रहा है। अभी तक 19 शिक्षाकर्मीओं की सदमें से मौत हो गई है, लगातार रमन सिंह हिटलर से भी अधिक तानाशाह की ओर अग्रसर है। सरकार अपने काले करतुतों को दबाने के लियें भारत, पाकिस्तान के झगडे़ को आगे कर रही है। चाहे केन्द्र की सरकार हो या चाहे राज्य की सरकार हो, दोनों में कोई फर्क नही है क्योंकि दोनों ही लोकतंत्र को लहुलुहान कर साम्राज्यवादी, पेंजीवादी नितियों के समझ घुटने टेक चुके है।
छत्तीसगढ़ के औघोगिक क्षेत्रों में मजदूरो का हाल बेहाल है। 12- 12 घंटा कार्यवधि धडल्ले से चल रहा है। वही पर छत्तीसगढ़ की अधिकरत नदियां बेची जा चुकी है, शिवनाथ, महानदी, इंद्रावती, अरपा आदि सभी नदियों को बांध बनाकर पानी को उघगों को दिया जा रहा है। किसान का खेत सुखकर फंट जाने की स्थिति में है। पक्ष हो या विपक्ष अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिये जनता को गुमराह करने का तरह-तरह का इजात अपना रहे है। उदाहरण स्वरूप चना बांटना, गोल्लर बांटना, गाय बांटना, जूता बांटना इत्यादी। इस तरह छत्तीसगढ़ में आज मेहनत जनता रोज-बरोज मौत और जिंदगी से जुझ रहे है। वही पर फटकर व्यापारी एफडीआई के चलते अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित है।
धरना को बीजेन्द्र तिवारी, जे, पी, नायर राष्ट्रीय सचिव एक्टू, नवजवादी लोकमंच के गोरखनाथ सिंह, सुरेन्द्र मोहंती, भाकपा माले के सौरा यादव, मृदुल सेन गुत्त, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोंर्चा कार्यकर्ता समिति के बंशी साहू, कौशल साहू, महिला मुक्ति मोंर्चा के पिंकी वर्मा, नीरा डेहरिया ने संबोधित किया. अंत में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सोपा गया.
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