जमीन के बदले नकद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं : सर्वोच्च न्यायालय
सरदार सरोवर परियोजना के संबंध में सुनवाई के दौरान भारतीय उच्च न्यायालय द्वारा नर्मदा के किसानों के भूमि अधिकार को बरकरार रखते हुए 10 जनवरी को कहा गया है कि परियोजना में जमीन के बदले नकद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। एक तीन जजों की बेंच का नेतृत्व कर रहे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश जे.एस.खेहर ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से स्पष्ट कहा है कि आपके द्वारा जमीन के बदले नकद दिया जाना किसी भी तरीके से स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की तरफ से सुनवाई में भाग ले रहे अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि जमीन के बदले नकद का प्रावधान किसानों को उनकी आजीविका से वंचित करता है जो कि सर्वोच्च न्यायालय के 2000 तथा 2005 के पूर्व आदेश का उल्लंघन है।
मुख्य न्यायाधीश ने सरकारी अधिकारियों को इस मामले में विस्तृत सुनवाई की तैयारी करने के लिए सुनवाई को 19 जनवरी तक स्थगित कर दिया है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नर्मदा घाटि विकास प्राधिकरण द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के 2000 तथा 2005 के आदेशों में संशोधन संबंधी याचिका खारिज करते हुए सरदार सरोवर परियोजना द्वारा प्रभावित किसानों के सभी व्यस्क पुत्रों को 5 एकड़ जमीन के पूर्वादेश को बरकार रखा है।