.
दिल्ली
कंकरीट के जंगलों से घुट रही यमुना की साँसे
संभवत दिल्ली की पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारें यही सोचती हैं कि निर्माण ही खाली पङी जगह का एकमेव उपयोग है। यमुना की ज़मीन पर खेल गांव निर्माण के विरोध में हुए 'यमुना सत्याग्रह' को याद कीजिए। इस बाबत् तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी के एक पत्र के जवाब में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने लिखा था - 'हाउ कैन वी…
और पढ़े...
भारत में किसान आत्महत्याओं का सच
आंकड़ों की बाजीगरी से किसानों की आत्महत्याओं के दुखद पहलू को छुपाया नहीं जा सकता। आंकड़ों का विश्लेषण और वर्गीकरण…
कबीर कला मंच की कवि और गायक शीतल साठे 7 फरवरी 2016 को दिल्ली में
आमंत्रण
स्थान – प्रेस क्लब आफ़ इंडिया, रायसीना रोड, नई दिल्ली
दिनांक - 7 फरवरी 2016, दिन –…
नकद नहीं, खाद्यान चाहिए
केंद्र व राज्य सरकारें अपने सलाहकारों की बेहूदी सलाहों को मानते हुए लगातार जनविरोधी निर्णय ले रही हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के बजाय खातों में सीधे नकद हस्तांतरण से भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा भूखे रहने को मजबूर हो जाएगा। इसकी बानगी चंडीगढ़ में दिखाई भी दे गई है। क्या सरकार इससे सबक लेगी ? सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए खातों…
और पढ़े...
रोहित की ज़िंदगी : परतदार दर्द की उलझी हुई दास्ताँ
सुदीप्तो मंडल, हिंदुस्तान टाइम्स, गुंटूर/हैदराबाद. 27 जनवरी, 2016
अनुवादः रश्मि शर्मा
रोहित वेमुला की कहानी…
छत्तीसगढ़ में कैद बेगुनाह पत्रकारों के समर्थन में उतरे प्रतिष्ठित लेखक,…
नई दिल्ली, 20 दिसंबर : छत्तीसगढ़ की जेल में फर्जी मुकदों में बंद दो पत्रकारों संतोष यदव व सोमारू नाग की…
सुरेंद्र मोहन की 5 वीं पुण्यतिथि पर संगोष्ठी : लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां और चुनाव सुधार
समाजवादी चिंतक एवं पूर्व सांसद सुरेंद्र मोहन की पांचवीं पुण्यतिथि पर सुरेंद्र मोहन मेमोरियल फाउंडेशन, जनता ट्रस्ट और समाजवादी समागम द्वारा 17 दिसंबर 2015 को नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां और चुनाव सुधार विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिसकी अध्यक्षता जस्टिस राजेंद्र सच्चर…
और पढ़े...
समाजवादी चिंतक पूर्व सांसद सुरेन्द्र मोहन की पुण्यतिथि पर लोकतंत्र के समक्ष…
समाजवादी चिंतक पूर्व सांसद सुरेन्द्र मोहन की 5वीं पुण्यतिथि पर सुरेन्द्र मोहन मेमोरियल फाउंडेशन, जनता ट्रस्ट और…
कागज तुम्हारा जमीन हमारी : डॉ. ब्रह्मदेव शर्मा
वंचितों के हित में लगातार संघर्षरत डॉ. बी.डी. शर्मा का विगत 6 दिसंबर को देहावसान हो गया। जनसंघर्षों, जनांदोलनों…
कोलंबस के बाद जमीन की सबसे बड़ी लूट
पिछले कुछ सालों में किसानों के खेती छोड़ने की दर भी बढ़ी है. शहरी मजदूर के रूप में उनका पलायन बढ़ा है. जब किसान खेती छोड़ रहा है तो आखिर भूमि अधिग्रहण के ख़िलाफ़ संघर्ष कौन कर रहा है और क्यों? देश भर के किसान आंदोलनों, खेती और किसानी की दुश्वारियों, जमीनों पर पसरते रियल इस्टेट के जाल पर अलग-अलग हिस्सों में घूमकर किए गए अध्ययन पर अभिषेक…
और पढ़े...