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दिल्ली
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : महिलाओं के नाम रहा आज पूरा किसान आंदोलन
सयुंक्त किसान मोर्चा प्रेस नोट
103 वां दिन, 8 मार्च 2021
सयुंक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को 'महिला किसान दिवस" के तौर पर मनाया गया। हज़ारों की संख्या में महिला किसानों ने दिल्ली बोर्डर्स पर पहुंचकर मोदी सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया और नारी शक्ति का प्रदर्शन किया।
कल से ही देश के अनेक हिस्सो…
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दिल्ली के 100 गांव एकजूट : किसान आंदोलन के समर्थन का ऐलान
-दीवान सिंह
दिल्ली के नजफ़गढ़ में 7 मार्च 2021 को किसान आंदोलन के समर्थन में आयोजित पंचायत में 100 गांवों के…
लैंड टाइटल एक्ट : विश्व बैंक के एजेंडे को आगे बढ़ाते नीति आयोग की नयी पेशकश
जिनके सरोकार बदलती दुनिया और एक नियमित अंतराल पर केंचुल बदलते पूंजीवाद से रहे हैं वे लंबे समय से यह बात कहते आ रहे…
100 दिन : अधिकारों और न्याय के संघर्षों में परिवर्तित होता किसान आंदोलन
-जगदीप सिंग संधू
कृषि पारंपरिक तौर से भारतीय समाज की सांस्कृतिक पहचान है। कृषि ही जीवन पद्धति की धुरी है। कृषि के साथ पशुपालन मौलिक अंग है। अन्य सहायक जीव-जन्तुओं के प्रति सौहार्द, पर्व उत्सव मेले फसलों व अनाज के महत्व पर आधारित।
भूमि, गगन, वायु, अग्नि, नीर, प्रकृति को भगवान मानने वाले, पाखण्ड और आडम्बर से दूर, निराकार में देवशक्ति व अलौकिकता…
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किसान आंदोलन के 100 दिन : एक रिपोर्टर की नज़र से देखें दिल्ली बॉर्डर के हाल
-गौरव गुलमोहर
किसान आंदोलन तीन महीने का कठिन दौर पार कर चौथे महीने में प्रवेश कर चुका है। किसानों के सौ दिन डटे…
पच्चीसवें साल में पेसा : ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आया कानून खुद कितना मजबूत!
-कुंदन पाण्डेय
पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून 1996 में आया था। इस कानून को आदिवासी-बहुल क्षेत्र में स्व-शासन (ग्राम सभा) को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से लाया गया था।
इस कानून के वर्तमान स्थिति का अनुमान इस एक तथ्य से लगाया जा सकता है कि पच्चीस साल होने को है पर कुल दस में से चार राज्यों ने इसके लिए जरूरी…
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सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश
- चौधरी सवित मलिक
तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर…
किसान आंदोलन के 100वें दिन KMP एक्सप्रेसवे की नाकाबंदी, 15 मार्च को निजीकरण विरोधी…
संयुक्त किसान मोर्चा प्रेस नोट
97वाँ दिन, 2 मार्च 2021
संयुक्त किसान मोर्चा ने आज सिंघू बॉर्डर पर एक आम बैठक…
क्यों किसान इन तीन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे है ?
-उर्मिलेश
क्या कहते हैं ये तीनों कृषि कानून?
हमारे कुछ दोस्तों ने बताया कि यूपी-बिहार में ज्यादातर किसानों को ठीक से मालूम ही नहीं कि ये कृषि कानून क्या बला हैं? वहां के हिंदी अखबारों में भी इन तीन कानूनों का वास्तविक और तथ्यपरक विवरण या सम्यक विश्लेषण नही छपा है। कानूनों की मूल प्रति छप भी जाय तो दुरूह सरकारी-अनुवाद(अंग्रेजी से हिंदी)की भ्रष्ट…
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