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राज्यवार रिपोर्टें
एक बूँद पानी भी अभिजीत ग्रुप के प्लांट को नहीं देंगे : किसानों का ऐलान
बिहार के बाँका जिले में चन्दन नदी पर लक्ष्मीपुर (बौंसी प्रखण्ड) में केवल सिंचाई कार्य के लिए करीब 40 वर्ष पूर्व चन्दन बाँध का निर्माण किया गया था. बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के पत्रांक 885 दिनांक 23.06.2011 अभिजीत ग्रुप (ताप विद्युत गृह) को दिये जाने का लाभान्वित किसानों द्वारा जवर्दस्त विरोध किया जा रहा हैं। 'चन्दन डैम बचाओ संघर्ष मोर्चो' के…
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नवउपनिवेशवाद का नया दौर : अफ्रीका में जमीन की लूट में भारत भी शामिल
मई 2009 में प्रकाशित इस समाचार के बाद …
दमनकारी कानूनों के विरूद्ध: सम्मेलन
गुजरी 20 जनवरी को चंडीगढ़ में गदर आंदोलन की 100वीं बरसी के अवसर पर दमनकारी कानून विरोधी कमेटी, चंडीगढ़ के बैनर तले…
जिंदल, जंगल और जनाक्रोश: 2008 का पुलिस दमन नहीं भूलेंगे रायगढ़ के लोग
रायगढ़ में 5 जनवरी को काला दिवस मनाया गया। यह आयोजन 2009 से हर साल इसी तारीख को मनाया जाता है ताकि 2008 में ग्रामीणों पर हुए पुलिसिया हमले की याद जिंदा रहे और उसके खिलाफ गुस्से की आग सुलगती रहे। जिंदल को ज़मीन न देने पर जन सुनवाई में आए लोग बर्बर पुलिसिया दमन के शिकार हुए जिसमें बत्तीस लोग बुरी तरह घायल हुए थे. पेश है रायगढ़ के सामाजिक…
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बिहार राज्य आवास बोर्ड की मनमर्जी के खिलाफ दस्तक
पटना के दीघा आवासीय कॉलोनी के लोग पिछले तीन दिन से अपनी जमीन और घर बचाने के लिये बिहार राज्य आवास बोर्ड के…
किसानों की बेबसी बनाम सरकारी बेदिली
देश की राजधानी से मुश्किल से 250 कि.मी. की दूरी पर किसान अपनी ज़मीन बचाने के लिए लगातार 876 दिनों से धरने पर…
‘1885 के बाद अफ्रीका को लूटने का यह नया सिलसिला है’
पिछले दिनों जर्मनी में ‘एफेक्टिव कोऑपरेशन फॉर ए ग्रीन अफ्रीका’ के जर्मनी में आयोजित पहले अधिवेशन में ओबांग मेथो ने विस्तार के साथ बताया कि किस तरह अफ्रीका के अनेक देशों और खास तौर पर उनके देश इथियोपिया की जनविरोधी और तानाशाह सरकारें पैसे के लालच में अपने ही देश की जनता के खिलापफ काम कर रही हैं और अपार प्राकृतिक संपदा से भरपूर उपजाउफ जमीनों को…
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कारपोरेट लूट- पुलिसिया दमन के विरोध में दुर्ग में दस्तक: किसान-मजदूर-आदिवासियों ने…
कंपनियों की जागारी नहीं, छत्तीसगढ़ हमारा है!
लाठी गोली की सरकार नहीं चलेगी, नहीं चलेगी!! …
मंत्री जी, देश की वनभूमि पर कारपोरेट का जंगलराज कायम हो गया है !
देश आज उस मुहाने पर खड़ा है जहां या तो जंगल बचाने वाले आदिवासी बचेंगे, या जंगलराज लाने वाले कारपोरेट. देश का क़ानून…
आप आंदोलन में हैं, तो व्यक्तिगत मुकदमों के लिए तैयार रहें : दयामनी बारला
जेल से छूटने के बाद दयामनी बारला से आज दिल्ली में मुलाकात हुई. कारपोरेट-सरकारी गठजोड आज जिस शातिर तरीके से उन सबकी आवाज़ चुप कराने में लगा है जो अपने आस-पास लोकतंत्र और लोगों के हक को लेकर बोलते हैं, इसकी ताज़ा मिसाल हैं दयामनी बारला. डॉ. सुनीलम की रिहाई के लिए 12 जनवरी को मुलताई में हुई जन-सुनवाई से होकर आईं दयामनी जी ने देश भर में इस तरह…
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