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राज्यवार रिपोर्टें
लघु वन उत्पादों से बेदखल होते आदिवासी
अपने तरह-तरह के जैविक, सामाजिक और प्राकृतिक उपयोगों के आलावा आजकल जंगल व्यापार-धंधे में भी भारी मुनाफा कूटने के काम आ रहे हैं। इसमें सेठों, सरकारों की बढ़-चढ़कर भागीदारी हो रही है। कैसे किया जाता है, यह कारनामा? और क्या होते हैं, इसके नतीजे? प्रस्तुत है, इसी विषय पर प्रकाश डालता राज कुमार सिन्हा का यह लेख;
देश के 625 जिलों में से 190 जिलों में…
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मध्य प्रदेश : मोदी सरकार द्वारा परमाणु प्लांट की मंजूरी के बाद चुटका संघर्ष की राह…
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले दिनों चार राज्यों (कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ के कैगा, राजस्थान के बांसवाड़ा के माही,…
भारतमाला-एक्सप्रेस भूमि अधिग्रहण : “जब तक नई बाज़ार दर से मुआवज़ा नहीं, तब…
बिहार के कैमूर सहित कई ज़िलों में अपनी ज़मीन के उचित मुआवज़े की मांग को लेकर किसान महीनों से आंदोलनरत हैं और इस…
हरियाणा : बेलसोनिका यूनियन की छंटनी के खिलाफ सामूहिक भूख हड़ताल, आंदोलन तेज करने कान
हरियाणा के गुरुग्राम में दिनांक 26 मार्च 2023 को बेलसोनिका यूनियन ने आठ घंटे की सामूहिक भूख हड़ताल की। मजदूर विरोधी लेबर कोड रद्द करने, ठेका प्रथा खत्म करने, खुली-छुपी छंटनी बंद करने, तीन बर्खास्त मजदूरों को काम पर वापस लेने, तीन निलंबित यूनियन प्रतिनिधियों को तत्काल काम पर वापस लेने, तथा बाउंसरों और असामाजिक तत्वों को फैक्ट्री परिसर से बाहर करने…
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हरियाणा : बेलसोनिका प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ बेलसोनिका मजदूर यूनियन का संघर्ष…
हरियाणा, गुड़गांव स्थित बेलसोनिका ऑटो कंपनी लगभग पिछले दो सालों से कंपनी के अंदर फर्जी दस्तावेजों के नाम पर स्थाई…
गांव तक पहुंचा, कचरे का कहर
कहा जाता है कि शहरी लोग कचरे का सर्वाधिक विसर्जन करते हैं, लेकिन अब यह व्याधि गांवों तक भी पहुंच गई है। प्रस्तुत…
निर्यात हेतु ‘जीएम’ बासमती नहीं, देशवासियों के लिए ‘जीएम’ सरसों क्यों?
खेती में अनेक सरकारी हस्तक्षेपों की तरह ‘जीन-संवर्धित’ बीजों को लाने के पीछे भी उत्पादन बढ़ाने का बहाना किया जा रहा है, लेकिन क्या बिना जांच-पड़ताल के किसी अज्ञात कुल-शील बीज को खेतों में पहुंचाना ठीक होगा? सरसों और धान में हाल में यही किया जा रहा है। प्रस्तुत है, ‘जीएम’ बीजों को लाने की जिद को उजागर करता राजेंद्र चौधरी का यह लेख;
अक्तूबर 2022…
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बांध तो नहीं रुका, लेकिन क्या आंदोलन भी असफल रहा?
करीब चार दशकों के लंबे अनुभव में ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ को अपनी सफलता-असफलता के सवालों का सामना करते रहना पड़ा है। एक…
मध्य प्रदेश : ‘पेसा कानून’ के बरक्स बसनिया बांध
आज के विकास की मारामार में सरकारें और कंपनियां उन कानूनों तक को अनदेखा कर रही हैं जिन्हें बाकायदा संसद में पारित…
जोशीमठ त्रासदी : अगली पीढ़ी के वृक्ष
अपने रहन-सहन और बसाहट के लिए समाज पर्यावरण में हस्तक्षेप करता है, कई बार इसके नतीजे दुखद भी होते हैं, लेकिन आमतौर पर वही समाज इसे दुरुस्त भी कर लेता है। प्रस्तुत है, करीब पांच दशक पहले जोशीमठ में ही घटी त्रासदी पर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ समूह की तत्कालीन साप्ताहिक समाचार-पत्रिका ‘दिनमान’ (27 जून – 3 जुलाई 1976) में छपा अनुपम मिश्र का यह आलेख, संपादित कर…
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