संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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राज्यवार रिपोर्टें

मणिपुर भवन पर प्रदर्शन करने गये आंदोलनकारियों पर बर्बर पुलिसिया दमन

7 जून को मणिपुरी ट्राइबल फोरम दिल्ली द्वारा 31 अगस्त 2015 को मणिपुर में पास किए गए तीन विवादास्पद बिलों के विरोध में मणिपुर भवन, नई दिल्ली के बाहर प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस एवं मणिपुर राइफल्स द्वारा बर्बर लाठी चार्ज किया गया। पुलिस तथा मणिपुर राइफल्स द्वारा किए गए इस क्रूर कृत्य पर परिवर्तनकामी छात्र संगठन का बयानः 7 जून…
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बफर जोन के नाम पर आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन छीनने का अधिकार किसी को नहीं : डॉ.…

पाथरी, 6 जून 2016 : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के बिछुआ ब्लाक के ग्राम पाथरी में मछुआरा संघर्ष समिति के…

पेंच बांध : 30 गाँव पानी में डूबेंगे; जिला प्रशासन ने धारा 144 से कसा शिकंजा

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा पेंच व्यपवर्तन परियोजना के अंतर्गत माचागोरा बांध में 15 जून के बाद बारिश का पानी एकत्र होना शुरू हो जाएगा, लेकिन अब तक प्रभावित गांवों के लोगों ने विस्थापन स्थल पर रहना शुरू नहीं किया है। पानी भराव के बाद जब ये गांव डूब में आ जाएंगे, तब तनाव बढऩा शुरू हो जाएगा। यह प्रतिवेदन पुलिस अधीक्षक जीके पाठक ने कलेक्टर जेके जैन को…
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9 अगस्त 2016 : भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पुरे होने के अवसर पर देश भर के जन…

प्रिय साथी, जिंदाबाद! आशा है आप 9 अगस्त 2016 को अगस्त क्रांति की याद में जनक्रांति दिवस मनाने के कार्यक्रम की…

डाला सीमेंट फैक्ट्री के मजदूर नहीं भुलेगे 2 जून का दमन

शिव दास सपा प्रमुख मुलायम सिंह पहली बार 5 दिसंबर 1989 को सूबे के मुख्यमंत्री बने और 2 जून 1991 को डाला में सीमेंट फैक्ट्री को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे मजदूरों और स्थानीय लोगों पर गोली चला दी गई जिसमें नौ लोगों की हत्या हो गई। 24 जून को उनकी सत्ता गई लेकिन सूबे की सत्ता में काबिज भाजपा के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने मजदूरों के हत्यारों के…
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करछना के किसानों पर कहर जारी : 9 सितम्बर के दमन के बाद गांवों में मेधा पाटेकर का…

पिछले वर्ष 2015 की 9 सितम्बर को उत्तर प्रदेश सरकार ने करछना में किसानों की जमीन हड़पने के लिए क्रूर पुलिसिया…

श्री श्री यमुना विवाद : नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन के इतिहास में ऐसी दबंगई पहली बार

नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन (एनजीटी) के आदेश की अवमानना करना इस देश में कोई नई परिघटना नहीं है। अब तक न जाने कितने…

वनाधिकार ही वन आग का समाधान है

जंगल बचाने की आड़ में वनवासी समुदाय को वनों से बेदखल कर दिया गया। परिणामस्वरूप वन अनाथ हो गए। वन विभाग और वनों का रिश्ता तो राजा और प्रजा जैसा हैं। यदि वन ग्राम बसे रहेंगे तो उसमें रहने वाले अपना पर्यावास, आवास व पर्यावरण तीनों का पूरा ध्यान रखते है। परंतु आधुनिक वन प्रबंधन का कमाल जंगलों की आग के रूप में सामने आ रहा है। सुरेश भाई का आलेख…
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