संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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वनाधिकार

लघु वन उत्पादों से बेदखल होते आदिवासी

अपने तरह-तरह के जैविक, सामाजिक और प्राकृतिक उपयोगों के आलावा आजकल जंगल व्यापार-धंधे में भी भारी मुनाफा कूटने के काम आ रहे हैं। इसमें सेठों, सरकारों की बढ़-चढ़कर भागीदारी हो रही है। कैसे किया जाता है, यह कारनामा? और क्या होते हैं, इसके नतीजे? प्रस्तुत है, इसी विषय पर प्रकाश डालता राज कुमार सिन्हा का यह लेख; देश के 625 जिलों में से 190 जिलों में…
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वन जमीन डायवर्जन नियम में संशोधन : कारपोरेट के सामने नतमस्तक सरकार

मोदी सरकार की “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” नीति के तहत केंद्रीय वन, पर्यावरण एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 जून…

वन संरक्षण कानून 1980 में प्रस्तावित संशोधन जंगल को कॉरपोरेट्स के हाथों बेचने की…

नई दिल्ली : 2014 में एनडीए सरकार द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण अधिनियम का विरोध करने के लिए शुरू किए गए भूमि…

मध्य प्रदेश सरकार बना रही 11 नए अभयारण्य : हजारों आदिवासियों पर विस्थापन का खतरा

मध्यप्रदेश का वन विभाग 11 नए अभयारण्य और रातापानी को टाईगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा है। राज्य के…

मध्य प्रदेश : अवैध बेदखली और लूट के विरोध में आदिवासियों का प्रदर्शन

3000 से ज्यादा आदिवासियों ने धरना कर किया खंडवा प्रशासन द्वारा अवैध बेदखली और लूट का विरोध; कानून का उल्लंघन कर रहे अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग कर कहा कि- "सरकार को कानून नहीं मालूम तो हम से सीखें" खंडवा के ग्राम नेगांव, (जामनीया) में हुई 40 आदिवासी परिवारों की अवैध बेदखली, और उनके घरों के समान की लूट के खिलाफ जागृत आदिवासी दलित संगठन से
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पच्चीसवें साल में पेसा : ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आया कानून खुद कितना मजबूत!

-कुंदन पाण्डेय पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून 1996 में आया था। इस कानून को…

संसद द्वारा एकमत से पारित वनाधिकार कानून के बाद भी आदिवासियों, वनाश्रितों के साथ…

2006 में देश की संसद द्वारा ऐतिहासिक अन्याय खत्म करने को एकमत से 'वनाधिकार' कानून बनाया गया था। कानून से आस जगी थी…