चुटका परमाणु पॉवर प्लांट के विरोध में सदबुद्धि सत्याग्रह; 13 फरवरी, 2017
मध्य प्रदेश के पांचवीं अनुसूची वाले आदिवासी क्षेत्र मण्डला जिले में नारायणगंज तहसील के भूकम्प संवेदी एवं बरगी बांध से विस्थापित ग्राम चुटका, कुण्डा, टाटीघाट और मानेगांव में ग्रामसभा के विरोध के बावजूद चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार कटिबद्ध है।
17 फरवरी, 2014 को पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन हेतु सम्पन्न जन-सुनवाई में क्षेत्रीय जनता ने हजारों की संख्या में विरोध प्रदर्शन किया तथा विधिवत् लिखित आपत्ति दर्ज की। क्षेत्र के प्रभावित होने वाले आदिवासी ग्रामों के असंख्य महिला-पुरुष विगत पांच वर्षों से परियोजना के विरोध में संघर्षरत हैं। 250 से अधिक आदिवासी प्रतिनिधियों ने भोपाल जाकर माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री के समक्ष आपत्ति दर्ज की। केन्द्र और राज्य के अनुसूचित जनजाति आयोग में भी विविधत् लिखित आपत्ति दर्ज की ।इन सभी को नकारते हुए राज्य सरकार परियोजना को आगे ले जा रही है तथा भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही अन्यापूर्ण ढंग से आगे बढ़ाई जा रही है। 70 प्रतिशत लोग मुआवजा लेने को तैयार नहीं हैं, फिर भी उनके बैंक खाते में राशि जमा की जा रही है।
स्ंविधान में पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को सर्वोच्च प्रधानता दी गई है तथा ग्रामसभा की अनुमति से ही भूमि अधिग्रहण का प्रावधान है। इसकी सरकार द्वारा अवहेलना की जा रही है। इस कारण आदिवासियों की संस्कृति, संसाधन (जल, जंगल, जमीन) एवं सामाजिक पहचान खत्म होती जा रही है। आदिवासी हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल को असीमित अधिकार हैं।
दूसरी ओर म.प्र. सरकार नर्मदा के संरक्षण हेतु नम्रदा सेवा यात्रा चला रही है और उसी नर्मदा नदी पर बने रानी अवंती बाई जलाशय (बरगी बांध) जलग्रहण क्षेत्र में चुटका परियोजना को बनाने में राज्य सरकार हर संभव मदद कर रही है, जबकि इस परियोजना से नर्मदा जल में रेडियोधर्मी विकिरण का प्रदूषण फैलेगा। म.प्र. में बिजली उपलब्धता 18300 मेगावाट तक पहुंच चुकी है, जबकि बिजली की अधिकतम मांग 11,501 मेगावाट ही है। जबकि म.प्र. सरकार की सार्वजनिक 11 विद्युत इकाई जिर्वशट डाउन की मार झेल रही हैं। इसलिए 1400 मेगावाट बिजली के लिए 25,000 करोड़ की चुटका परमाणु परियोजना बनाने का औचित्य क्या है ?
क्षेत्रीय जनता संवैधानिक पदों पर आसाीन राष्ट्रपति एवं राज्यपाल से अपेक्षा करती है कि शासन की हठधर्मिता पर अंकुश लायें एवं निम्न मांगों को तत्काल प्रभाव से लागू करवाएं-
• चुटका परमाणु बिजली परियोजना को रद्द किया जावे।
• बरगी विस्थापितों के पुनर्वास संबंधी सभी लंबित मामले का तत्काल निराकरण किया जावे।
• क्षेत्र में वनाधिकार कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार देने की कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाया जाए।
• मछुआरों के हित में बरगी जलाशय में ठेकेदारी प्रथा खत्म कर मत्स्याखेट एवं विपणन का पूर्ण अधिकार बरगी मत्स्यसंघ को दिया जाए।
इन्हीं मांगों को लेकर 13 फरवरी, 2017 से चुटका ग्राम में सरकार को ‘सद्बुद्धि सत्याग्रह’ का आयोजन किया जा रहा है। आप सभी से इस सद्प्रयास से एकजुटता के साथ तन-मन-धन से सहयोग करने का विनम्र आग्रह है।
अपीलः आप अपने गांव से सहयोग हेतु राशि एवं अनाज साथ लावें।
निवेदक
चुटका परमाणु विरोध संघर्ष समिति, युवा समाज संगठन ‘‘आजाद-56, मण्डला, बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ, नागरिक अधिकार मंच, नर्मदा बचाओ आन्दोलन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एन.ए.पी.एम.), आजादी बचाओ आन्दोलन, स्वराज अभियान, मध्यप्रदेश महिला मंच, जन संघर्ष मोर्चा, ढीमर-मांझी महासंघ, मण्डला, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (माले) रेड स्टार।