बीना बांध परियोजना : डूब प्रभावित किसानों ने राज्यपाल से मिलने का समय माँगा
मध्य प्रदेश, बेगमगंज 11 जुलाई 2018। बीना परियोजना प्रभावित किसानों की महापंचायत आज सुमेर में मुन्ना दाना की अध्यक्षता में आयोजित की गई। प्रभावित किसानों ने बताया की डूब में आने वाले गाँव सेमरी जलाशय से सिंचित हैं । तुल्सिपर जलाशय कीरतपुर जलाशय उमरखोह जलाशय तथा बीना नदी पर बने चंदामाऊ खिरिया परासरी, बहेरिया घाट, मानकी सलैया, महूना गुजर बीना नदी पर है। बेरखेडी घाट, चंदोरिया घाट, सोंठिया घाट, मानपुर घाट, सेमरी नदी व दुधई नदी में, सागर रोड पर सुमेर में एक वैराज, बेगमगंज में जल संवर्धन का डैम, कोलुआ घाट पर डैम, बेगमगंज के पास डैम, सलैया घाट वैराज, रहटवास तथा नैनविलास वैराज, देवलापुर के पास दुधई नदी मैं डेम, मडदेवरा के पास डैम, मडिया के पास डेम तथा कोकलपुर तालाव, ये सभी जलाशय बांध की डूब में आ रहे हैं। जिसके चलते न केवल शासन का करोंड़ों रुपया वर्वाद होगा साथ ही सिंचित जमीने भी डूब जाएँगी। प्रभावित किसानों ने शिकायत की कि उन्हें अँधेरे में रख कर परियोजना बनाई गई हैं। किसानों द्वारा चकरपुर एवं मडिया बांध के टेंडर निकाले जाने का विरोध किया। किसानों ने कहा कि हम बांध नहीं बनने देंगे। महापंचायत में 25 जुलाई तक सभी प्रभावित ग्रामों में किसान संघर्ष समिति बनाए का निर्णय किया गया । ग्रामवार समितियां गठित करने के लिए संचालन समिति का गठन किया गया। प्रभावित किसानों ने 16 जुलाई को राज्यपाल एवं जलसंसाधन मंत्री से मिलने का समय माँगा है साथ ही भोपाल में प्रेस वार्ता की जायेगी।
सुमेर में किसान महापंचायत को संवोधित करते हुए किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.सुनीलम ने कहा कि एक तरफ मडिया बांध के डूब क्षेत्र में भू-अर्जन की कार्यवाही के नोटिस तक नहीं दिए गये हैं, दूसरी तरफ खुरई में भूमि पूजन कर दिया गया है। उन्होंने कहा की सेमरी जलाशय से सिचित कृषि भूमि का भूमि अधिग्रहण गैर कानूनी है क्योंकि नये भू अर्जन कानून में बहुफसली जमीन का अधिग्रहण नहीं किये जाने तथा सहमती लेकर ही भू-अर्जन किये जाने का उल्लेख है। डॉ.सुनीलम ने कहा की जन प्रतिनिधियों द्वारा डूब प्रभावित किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया की चकरपुर बांध प्रभावित ग्रामों के किसान भी जमीन देने को तैयार नहीं हैं। हालाकि उन्हें भू अर्जन के नोटिस दे दिए गये हैं। राहतगढ़ तथा बेगमगंज के राजस्व विभाग के अनुविभागीय अधिकारी माडिया बांध के लिए भू अर्जन की कार्यवाही से इंकार कर रहे हैं। जबकि राजपत्र में 22 जून को अधिसूचना जारी की जा चुकी है तथा 154 करोड़ का टेंडर भी ऑनलाइन निकाला जा चुका है।
सामाजिक कार्यकर्ता श्रीराम सेन ने कहा कि जिन मतदाताओं ने मुख्यमंत्री को संसद तक पहुँचाया आज उनके द्वारा ही अपने ही क्षेत्र के 75 गाँव को उजाड़ने का कार्य किया जा रहा है जो निंदनीय है। उन्होंने दावा किया कि उजाड़ने वालों को अव मतदाता नहीं बख्शेंगे। परियोजना में 75 गाँव तथा वन क्षेत्र के लगभग 40 लाख पेड़ डूबेंगे जिनकी भरपाई अगले पचास वर्षों में भी नहीं की जा सकेगी।
पार्षद मुन्ना दानं ने कहा की हमने संघर्ष करके गत 15 वर्षों से परियोजना को रोका हुआ था ताकि 50 हजार की आवादी विस्थापित न हो लेकिन कल्याण और सेवा के नाम पर चुनी जाने वाली सरकार अपने ही किसानों को उजड़ने पर आमादा है।
मंडी सदस्य निर्भय सिंह ने कहा की मैं मंडी में किसानों का प्रतिनिधि हूँ उनके हितों के खिलाफ होने वाली किसी भी कार्यवाही का विरोध करूँगा। सरकार किसानों से पानी छुड़ा कर कम्पनियों को देना चाहती है यही कारण है की किसानों की सिंचाई के नाम पर बीना परियोजना बनाई जा रही है जबकि उसका असली मकसद कम्पनियों को पानी देना है।
महेंद्र आठ्या ने कहा कि किसानों की विना सहमती लिए परियोजना बनाया जाना अलोकतांत्रिक एवं गैरकानूनी है. महापंचायत को जगदीश यादव सुमेर, लक्ष्मण अहिरवार हसराई, अमजद हसन, सेमरामेंढा, नर्वदा प्रसाद मुड़ियामेंढा, राजेश यादव शिकारपुर, मौजीलाल भानगढ़, कुवेरसिंह कुर्मी परासरी खुर्द, धर्मेन्द्र चौबे गावरी, बालकिशन यादव विलासपुर, नेतराम गुर्जर महुना गूजर, यशपाल यादव, अमित यादव सगोनी, प्रतापसिंह जाट बेगमगंज, आरिफ अली, इश्माइल खान काकरूआ, दशरथ सिंह, ओमकारसिंह लोधी, रामकृष्ण लोधी, राकेश लोधी पेखलोन धनसिंह लोधी अलीनगर आदि किसानों ने संवोधित किया।