गोरखपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र विरोधी आंदोलन किसानों ने किया मिनी सचिवालय के सामने धरना, प्रदर्शन
किसानों का प्रदर्शन: 31 मार्च 2011
फरवरी, मार्च 2011 के महीनों में भी जनसंपर्क, बैठकें जारी रहीं तथा 80 से ज्यादा गांवों में बैठकों, परचों तथा फिल्म शो के जरिये लोगों को परमाणु खतरों तथा इसके दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। आगे आने वाले समय में भी यह प्रक्रिया जारी रखने का निर्णय लिया गया है। जिला मुख्यालय पर धरना चल रहा है। 31 मार्च 2011 को किसानों की तरफ से एक जुझारू प्रदर्शन का आयोजन जिला मुख्यालय फतेहाबाद पर किया गया तथा परमाणु ऊर्जा संयंत्र रद्द करने तथा भूमि अधिग्रहण की नोटिस वापस लेने की मांगें एक स्वर से उठायी गयीं।प्रदर्शन से पहले अनाज मण्डी फतेहाबाद में विरोध सभा का आयोजन किया गया जिसे किसान संघर्ष समिति के हंसराज प्रधान, राजेन्द्र शर्मा, सुभाष पूनिया, आजादी बचाओ आंदोलन के यशवीर आर्य तथा शहीद भगत सिंह नवजवान सभा (हरियाणा, पंजाब) एवं ग्रीन पीस (नयी दिल्ली) के साथियों ने भी सम्बोधित किया। सभा के बाद गोरखपुर, काजल हेड़ी के साथ ही साथ 80 गांवों से आये किसान प्रतिनिधियों, राजस्थान-पंजाब से आये किसान नेताओं का जुलूस सभा स्थल से जिलाधिकारी कार्यालय (मिनी सचिवालय) के गेट पर पहुंचा तथा एक बार फिर से सभा में बदल गया। इसी स्थान पर लगभग 8 महीने से किसानों का धरना चल रहा है। किसान मिनी सचिवालय के मेन गेट पर नारेबाजी करते रहे तथा डी.सी. को गेट पर आकर मांगपत्र लेने के लिए विवश किया। डी.सी. को हंसराज प्रधान ने मांगपत्र सौंपा तथा प्रभावित होने जा रहे सभी के सभी गांवों की ग्राम पंचायतों के वे प्रस्ताव भी सौंपे जिसमें सभी ग्राम सभाओं ने भूमि-अधिग्रहण को स्वीकार न करने तथा परमाणु ऊर्जा संयंत्र अस्वीकार का प्रस्ताव पारित किया है। मांगपत्र लेते हुए डी.सी. फतेहाबाद ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि वे उनकी मांगों से राज्य तथा केन्द्र सरकार को अवगत करायेंगे।
किसान संघर्ष समिति-गोरखपुर तथा परमाणु ऊर्जा संयंत्र विरोधी मोर्चा हरियाणा की तरफ से आयोजित इस प्रदर्शन के मौके पर हंसराज प्रधान ने कहा कि ‘‘एक इंच जमीन भी नहीं देंगे तथा परमाणु ऊर्जा संयंत्र हमें किसी भी हाल में मंजूर नहीं’’।
26 जनवरी 2011 को जब प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस की खुशियां मना रहे थे, तब राजधानी से मुश्किल से 200 कि.मी. दूरी पर किसान अपनी ज़मीन बचाने के लिए लगातार 164 दिनों का धरना पूरा कर रहे थे। इन किसानों की ज़मीन गोरखपुर (फतेहाबाद) में बन रहे परमाणु संयंत्र में जा रही है। वे परमाणु संयंत्र रद्द करने की मांग कर रहे हैं। फतेहाबाद के गोरखपुर में प्रस्तावित परमाणु संयंत्र के लिए 1503 एकड़, 4 कनाल, 19 मरले भूमि का अधिग्रहण करने की योजना है। इसके लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है, जिसमें 1313 एकड़, 5 कनाल, 8 मरले भूमि गोरखपुर गांव की , 185 एकड़, 3 कनाल, 17 मरले भूमि बड़ोपल गांव की तथा 4 एकड़, 3 कनाल तथा 14 मरले भूमि गांव काजलहेड़ी की अधिग्रहीत की जाएगी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस संयंत्र में 640-640 मेगावाट के चार हैवी वाटर रिएक्टर लगाए जायेंगे। योजना के अनुसार यहां से गुज़र रही नहर से संयंत्र को पानी उपलब्ध करवाया जायेगा।
हरियाणा सरकार के विद्युत विभाग ने परमाणु संयंत्र के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत भूमि अधिग्रहण अधिसूचना 29 जुलाई 2010 के समाचार पत्रों के माध्यम से आम आदमी तक पहुंचाई। जैसे ही यह अधिसूचना समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई तो किसान तुरंत परमाणु संयंत्र के विरोध में एकत्रित हुए तथा किसान संघर्ष समिति का गठन किया गया। गोरखपुर के किसान हंसराज प्रधान के नेतृत्व में ग्रामीणों ने 17 अगस्त 2010 से फतेहाबाद जिले के मुख्यालय पर धरना व प्रदर्शन आरंभ कर दिया।
किसान संघर्ष समिति के साथी हंसराज प्रधान कहते है कि ‘‘हम अपनी भूमि किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। हम भूमि के मालिक हैं, हमारी भूमि अत्यधिक उपजाऊ है तथा परमाणु तकनीक प्रकृति व मानव विरोधी है इसलिए हम किसी भी कीमत पर अपनी भूमि संयंत्र के लिए नहीं देंगे।’’
अनेक सामाजिक-राजनीतिक संगठनों तथा ग्रामीणों के प्रयासों से परमाणु तकनीक के खिलाफ बने माहौल के कारण भूमि अधिग्रहण अधिसूचना के संदर्भ में आपत्ति दर्ज करने और सरकार को जवाब दिए जाने की अंतिम तारीख 13 सितंबर 2010 तक 85 प्रतिशत से ज़्यादा भूमि मालिकों ने जिला राजस्व अधिकारी को भूमि न देने संबंधी पत्र लिखकर सौंप दिये। किसान संघर्ष समिति व साझा मंच के साथी ग्रामीणों को परमाणु तकनीक के घातक खतरों से परमाणु दुर्घटनाओं पर बनी फिल्में दिखाकर व परमाणु तकनीक दस्तावेज उपलब्ध करवाकर जागरूक कर रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीणों को ग्रामसभा की ताकत के बारे में जानकारी देते हुए कानूनी रूप से परमाणु संयंत्र का विरोध कैसे किया जाय यह भी समझाया जा रहा है।
किसानों को धरने पर हर रोज़ अनेक सामाजिक संगठनों का सहयोग मिलना आरंभ हो गया है। आज़ादी बचाओ आंदोलन, साझा मंच, जनसंघर्ष मंच हरियाणा, शहीद भगत सिंह नौजवान सभा-पंजाब-हरियाणा, किसान सभा, जन संगठनों के राष्ट्रीय समन्वय, समाजवादी जनपरिषद, उत्तराखंड वाहिनी सहित अनेक संगठनों ने किसानों के संघर्ष का समर्थन किया है।