कोर्ट में सिर्फ एफिडेविट देने से काम नही चलेगा, हसदेव की खदानों को दी गई स्वीकृतियां निरस्त करे भूपेश सरकार: हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति
कोर्ट में सिर्फ एफिडेविट देने से काम नही चलेगा, हसदेव की खदानों को दी गई स्वीकृतियां निरस्त करे भूपेश सरकार- हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति
हसदेव की महिलाएं प्रदेश की विधानसभा क्षेत्रों में जाकर हसदेव को बचाने की करेंगी अपील।
25 अगस्त 2023 को धरना स्थल हरिहरपुर में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने भेंट मुलाकात का कार्यक्रम आयोजित कर आंदोलन की आगे की रूपरेख तय की। हसदेव अरण्य के समृद्ध जंगल, जमीन, पर्यावरण, आजीविका और आदिवासी संस्कृति को बचाने चल रहे अनिश्चितकालीन धरने को 550 से अधिक दिन हो चुके हैं।
धरना में बैठे ग्रामीण आदिवासियों ने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह शपथ पत्र दिया है कि वर्तमान संचालित खदान के अलावा कोई अन्य नई कोयला खदान हसदेव अरण्य क्षेत्र में नही खुलनी चाहिए । सरकार के इस निर्णय का हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने स्वागत करते हुए मांग की है कि शपथ पत्र अनुसार परसा कोल ब्लॉक को दी गई पर्यावरण और वन स्वीकृति को भी सरकार तत्काल निरस्त करे। सिर्फ शपथ पत्र देने से काम नही चलेगा ।
धरना को संबोधित करते हुए रामलाल कारियम, मुनेश्वर पोर्ते, सुनीता पोर्ते आदि ने कहा कि हम पदयात्रा करके मुख्यमंत्री से मुलाकात किए थे लेकिन आज तक हमारे गांव की फर्जी ग्रामसभा की जांच और कार्यवाही नही हुई। राज्य सरकार यदि सच में हसदेव को बचाना चाहती है तो कोल ब्लॉक को राज्य सरकार द्वारा दी गईं अनुमतियां निरस्त क्यों नही करती।
बिलासपुर के कवि व लेखक अजय पाठक ने कहा कि आज जो लोग खदान का समर्थन करते हैं वह कल पछताएंगे । जब जंगल उजड़ जायेगा, कोयला निकल जायेगा उसके बाद सिर्फ विनाश ही रह जायेगा। पूर्व की पीढ़ियों ने जो खूबसूरत जंगल, जमीन हमे सौंपा है उसका विनाश नही बल्कि हमे उसे और अधिक समृद्ध करना चाहिए।