संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मोदी सरकार ने चुपके से बदली पर्यावरण नीति : अब कंपनियों को 50 हजार वर्गमीटर तक के प्रोजेक्ट्स के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन की जरूरत नहीं

गिरीश मालवीय ने फेसबुक पोस्ट के जरिये वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय  द्वारा जारी  एक नई अधिसूचना का मसला उठाया है। उन्होंने जिक्र किया है कि मोदी सरकार ने 2 दिन पहले 18 मई 2019 को बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स, खनन और नई औद्योगिक यूनिट शुरू कर रही कम्पनियों के लिए पर्यावरण छूट बढ़ा दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना जारी की है जिसके तहत अब 20 हजार से 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाए जा रहे निर्माण के लिए पर्यावरण की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। अभी तक यह छूट 20 हजार वर्गमीटर तक के प्रोजेक्ट्स के लिए थी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट;

केदारनाथ, आखिरी चरण के मतदान ओर एग्जिट पोल के हल्ले में मोदी सरकार चुपके से अपना काम कर गयी, कोई मीडिया इस ख़बर की चर्चा तक नही करेगा,………

मोदी सरकार ने 2 दिन पहले बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स, खान और नई औद्योगिक यूनिट शुरू के लिए पर्यावरण छूट बढ़ा दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना जारी कर दी है जिसके तहत अब 20 हजार से 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाए जा रहे निर्माण के लिए पर्यावरण की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। अभी तक यह छूट 20 हजार वर्गमीटर तक के प्रोजेक्ट्स के लिए थी।

अभी तक पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत बनाए गए नियमों में जिला स्तर, राज्य स्तर और केंद्र सरकार के स्तर पर इन्वार्यनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी EIA का गठन वर्ष 2006-07 से किया जाता रहा है। इसके तहत हर बड़ी परियोजनाओं की मंजूरी से पहले पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कराना होता है। साथ ही सामाजिक, आर्थिक असर भी इसमें शामिल करना होता था। यही नहीं, ज्यादा बड़े प्रोजेक्ट्स के मामले में लोगों की राय भी ली जाती थी। ऐसे ही कई स्तरों की जांच से गुजरने के बाद ही पर्यावरण अनुमति मिल पाती थी

लेकिन अब ऐसा सिर्फ 50 हजार वर्गमीटर से बड़े प्रोजेक्ट के लिए करना होगा पर्यावरणविदों का मानना है कि इस अधिसूचना के जरिए बिल्डरों और खनन कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है तथा इससे ‘EIA’ कमजोर होगा जन सुनवाई जैसे महत्वपूर्ण अधिकार के साथ समझौता किया जा रहा है।

साल 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 50 हजार वर्ग मीटर तक की निर्मित क्षेत्र वाली भवन परियोजनाओं तथा डेढ़ लाख वर्ग मीटर तक की औद्योगिक शेड, शैक्षणिक संस्थानों एवं अस्पताल परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी से छूट देने से संबंधित दो अधिसूचनाओं पर रोक लगा दी थी लेकिन एक बार फिर से उद्योगपतियों बड़े बिल्डरों को फायदा पुहचाने के लिए मोदी सरकार अपनी मनमानी करने पर उतर आई है।

इसको भी देख सकते है