नर्मदा किसानी बचाओ जंग का हुआ आगाज : 4 जून को भोपाल में ‘जन अदालत’
29 जून, 2018| बड़वानी, मध्य प्रदेश : आज नर्मदा किनारे से बड़वानी के झंडा चौक से निकली हैं दसोंगाड़ियाँ। किसान, मजदूर, मछुआरे, केवट, धनगर और कारीगर भी शामिल है। इस आदिवासी क्षेत्र के हम भाई, बहन और सभी एकजुटता से अपनी माँ नर्मदा को बचाना चाहते हैं।
हमें पता है क्यों सूख रही है नर्मदा। हमें पता है कहाँ मोड़ रहे हैं नर्मदा का पानी। हमें पता है सरदार सरोवर में 13800 हेक्टेयर इंदिरा सागर में 40000 हेक्टेयर, बर्गी में 8000 हेक्टेयर जंगल डूबाया। आज भी सरदार सरोवर के डूब क्षेत्र में मात्र 40 गाँवों में 95000 बड़े पेड़ हैं – जो काटेंगे तो नर्मदा घाटी का भूजल, घाटी की भूमि खत्म हो जाएगी।
नर्मदा की घाटी का अवैध अंधाधुंध रेत खनन से भी सूख रही है नर्मदा। भूखी है जनता।इस साल डूब नहीं, सूखा भुगतने पर अब नहीं सहेगी जनता यह अत्याचार। डूब और सूखे का चक्र न किसान – मजदूरों को, न मछुआरों को, नहि घाटी के गाँव व शहरवासियों को जीने देगा। इस साल एक-एक किसान कोलाखोंरुपये का नुकसान हुआ है। यह सब शासन की गलत नीतियों का नतीजा है। नर्मदा पर बने बड़े बाँध माँ नर्मदा की जान ले रहे हैं। भरूच में समुन्द्र 60 किoमीo अंदर घुस आया है।
और तो और, नर्मदा से हर सेकंड 15000-20000 लीटर पानी उठाने वाली नर्मदा-गंभीर, नर्मदा-मही, नर्मदा-कालीसिंध, नर्मदा-चंबल, नर्मदा-शिप्रा, नर्मदा-पार्वती जैसी कई बड़ी-छोटी परियोजना नर्मदा पर पहले ही होते हुए, कहाँ से दे पाएगी दूर-दराज तकऔर पानी? यह तो दोनों छोर के लोगों से धोखाधड़ी है। इन तमाम परियोजनाओं की जानकारी से घाटी के लोगों को अनभिज्ञ रखा गया है। हर योजना की जानकारी वेबसाइट पर डालना, सूचना के अधिकार कानून की धारा 4 अनुसार ज़रूरी है।
नर्मदा घाटी में जबलपुर, सिवनी, मंडला, खंडवा, खरगोन के साथ बड़वानी, धार में भी बड़े उद्योग और औद्योगिक क्षेत्र बना रही है सरकार। पर्यटन की भी योजनाएँ हैं। इन के लिए कितनी ज़मीन, कहाँ ली जाएगी, यह तक घोषित नहीं।किसानों की आजीविका, समृद्ध खेती जबरन या धोखे से अर्जित या खरीदी जाने का कारण है, खेती घाटे का सौदा होना।
इसलिए किसान मांग रहे हैं सम्पूर्ण कर्जमाफ़ी और हर उपज का सही दाम।192 संगठनों के अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति ने राष्ट्रपति से मांग की है कि संसद का विशेष सत्र किसानी के मुद्दों पर आयोजित की जाए।
हम नर्मदा घाटी के किसान इस राष्ट्रीय स्तर के संघर्ष को प्रदेश में आगे बढ़ाएंगे, विकास के नाम पर हो रहे विस्थापितों से भ्रष्टाचार के साथ, नर्मदा जैसी प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहर को कंपनियों की ओर मोड़ना, आदि को चुनौती देंगे। नर्मदा और किसानी बचाओ जंग की मांगे साथ जुड़ी हुई हैं।
हम सीहोर से, भोपाल पैदल चल कर 4 जून को ‘जन अदालत’ में पेश होंगे। 31 मई के रोज़ नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण पर होगा धरना या खुली चर्चा।
डॉo विनोद यादव, भागीरथ धनगर, राहुल यादव, कैलाश अवास्या,हिमशी सिंह, मुकेश भगोरिया, देवीसिंह तोमर, श्यामा भदाने