संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

अमेरिकी कंपनियों के लिए परमाणु मुआवजा क़ानून को धता बताती सरकार

ओबामा शासन द्वारा लगातार पड़ रहे दबावों के प्रभाव में मनमोहन सिंह की सरकारनाभिकीय जिम्मेदारी कानून के बारे में भारत के महाधिवक्ता द्वारा दिये गये विकल्प का इस्तेमाल करने की तय्यारी में है. यह विकल्पनाभिकीय जिम्मेदारी कानून के तहत अमरीकी कम्पनियों को घटिया और दोषपूर्ण उपकरणों की आपूर्ति के कारण होने वाली दुर्घटना की जिम्मेदारी से बरी करने के…
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नियमगिरि की जंग : कारपोरेट और राज्य सत्ता को कड़ी टक्कर

नियमगिरि का सवाल अपने आप में कोई स्वायत्त और स्वतंत्र सवाल नहीं है. यह बहुराष्ट्रीय कंपनी वेदांता के 40,000…

चुटका : घुप्प अंधियारे में रोशनी का खेल

चुटका ने सत्ताधारियों को पुनः जतला दिया है कि अब उनकी चुटकी बजाते ही आदिवासी व अन्य वंचित समुदाय घुटने नहीं टेक…

नियामगिरि: 7 ग्राम सभाओं ने वेदांता को खारिज किया

ओड़िसा के कालाहांडी ज़िले के फुल्दुमेर में 29 जुलाई 2013 को हुई 7वीं ग्राम सभा की बैठक ने भी नियामगिरि पर्वत में बॉक्साइट के खनन के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से ख़ारिज कर दिया है. अब तक सात ग्राम सभाओं की बैठके हुईं है. सभी ने परियोजना लगाने के खिलाफ मतदान किया। यहां वेदांता कंपनी प्लांट लगाना चाहती है. कलाहांडी से लन्दन तक नियमगिरी…
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चुटका में दुबारा जन-सुनवाई की नौटंकी : परमाणु ऊर्जा कारपोरेशन पिछली फजीहत के बाद…

चुटका परमाणु संयंत्र परियोजना जन-सुनवाई 31 जुलाई, 2013साथियों, हमें एक बार फिर अपनी पूर्ण ऊर्जा एवं जोश के साथ…

परमाणु ऊर्जा पर जनता का अधिकार-पत्र

परमाणु ऊर्जा पर जनता का यह अधिकार-पत्र हमारे जन-आन्दोलनों के साझा अनुभवों, संघर्षों तथा परमाणु-मुक्त भविष्य के प्रति हमारी दृष्टि का दस्तावेज है. परमाणु ऊर्जा पर जनता का अधिकार-पत्र प्रिय साथियों, परमाणु ऊर्जा पर जनता के इस अधिकार-पत्र को अहमदाबाद में 25-26 जुलाई को होने वाले सम्मलेन में अंतिम रूप दिया जाएगा. परमाणु ऊर्जा के खिलाफ,युरेनियम…
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मारुति सुजुकी दमन और प्रतिरोध का एक साल : 18 जुलाई को चलो मानेसर

गुजरी 24 जून को मारुती सुजुकी वर्कर्स युनियन की गुडगांव के हुडा सेक्टर 5 के ग्राउंड में वर्कर्स की आमसभा हुई…

हम मरब, कउ नहीं बचाई बाबू: जीतलाल वैगा

यह केवल जीतलाल वैगा की कहानी नहीं हैं, बल्कि सिंगरौली से करीब 30 किलोमीटर दूर रिलायंस के पावर प्लांट के बनने के बाद अमजौरी में विस्थापन के बाद बनी बस्ती में सबकी यहीं कहानी है. ये उन लाखों-करोड़ो आदिवासी में शामिल हैं, जिन्हें भारत सरकार विकास के मुख्यधारा में लाने के बहाने विस्थापित कर रही है। विस्थापन सिर्फ जमीन-जंगल से ही नहीं…
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