झारखण्ड : पांचवी अनुसूची, सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर हो रहे हमलों के खिलाफ 21 नवम्बर को राजभवन पर महाधरना
आज पूरे झारखण्ड के आदिवासी कोर्पोरेट लूट से भयभीत है, पलामू-लातेहार, गुमला जिला के ग्रामीण प्रस्तावित नेतरहात फील्ड फायरिंग रेंज और वाइल्ड लाइफ कोरिडोर के खिलाफ जूझ रहें है तो हजारीबाग में कोयला परियोजना, गोडड़ा में अदानी पावर प्लांट, खूंटी-गुमला में मित्तल स्टील प्लांट, पूर्वी सिंहभूम में जिदल स्टील प्लांट, भूषण स्टील प्लांट से होने वाले विस्थापन के खिलाफ संघर्षरत है. जो लोग जनता के अधिकारों की रक्षा की बात करते है, उन्हें देशद्रोह के फर्जी केसों में फंसा दिया जा रहा है. पेसा कानून 24 साल बाद भी लागू नहीं हो पाया है. जनांदोलन का सयुंक्त मोर्चा के बैनर तले 21 नवम्बर 2018 को राजभवन के सामने महाधरना का आयोजन किया जा रहा है;
झारखण्ड में पांचवी आनुसूचि में प्रावधान अधिकारों की रक्षा के लिए 21 नवम्बर को रांची चलो
21 नवम्बर को राजभवन के सामने महाधरना-प्रदर्शन
मित्रो,
झारखण्ड को आबाद करने सजाने, सवारने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी जान दी है. झारखण्ड की हरियाली कलकल करते नदी-नाला, उचा-नीचा पहाड़, पर्वत, लहलहाते खेत-टांड को बचाने ले लिए हमारे पूर्वजों ने सांप, भालू जैसे जंगली जानवरों ले लड़ाई लड़कर इस धरती को आबाद किया है. आज इस धरती को यहाँ की माटी, पानी, जंगल-झाद्म नदी-नाला, खेत-तांड को देश-विदेश की पूंजीपतियों, कारपोरेट घरानों और सरकार के विनाशकारी नीतियों द्वारा किया जा रहा हमला और लूट से बचना होता, झारखण्ड में आज क्या हो रहा है आप सभी जानते है.
हमारे पूर्वज सिद्धू, कान्हू, सिंदराय, विंदराय, तिलका, माझी, वीर बुधु भगत, वीर विरसा मुंडा, धोका मुंडा, जत्रा टाना भगत, माकी मुंडा, फूलो, झानों, देवमणि जैसे हजारों वीर शहीदों ने अंग्रेजों की खिलाप संघर्षकर देश को आज़ादी दी. आज भारत ने भारतीय साविधान में पांचवी अनुसूची के तात हम आदिवासी मूलवासी किसान मजदूरों को विशेष अधिकार दिया है. इसकी रक्षा करना अधिकारों को भाल करवाना हमारी जिम्मेदारी है.
सरकार ने अभी तक कुल चार मोमेंटम झारखण्ड का आयोजन क्र हजारो कारपोरेट कंपनियों तथा पूंजी-पतियों के साथ खर्खंड आदिवासी-मूलवासी किसानों के जल-जंगल-जमीन को उनके हाथ देने का समझोता क्र लिए है, जो पूरी तरह से पांचवी अनुसूचि तथा पेसा कानून में प्रावाधान ग्रामीणों के अधिकारों पर हमला ही माना जायेगा. वर्तमान में चल रहे रिविजन सर्वे जिसके पूर्ण होते ही, जसके आधार पर नया खतियान बनेगा, इसके साथ हे 1932 का खतियान स्वत: निरस्त हो जयेगा. जिससे यहाँ के आदिवासी-मूलवासी किसानों सभी समुदाय के परम्परागत अधिकार समाप्त होंगे.
आज विस्थापन के खतरों से पूरा राज्य भयभीत है, पलामू-लातेहार, गुमला जिला के ग्रामीण प्रस्तावित नेतरहात फील्ड फायरिंग रेंज से होने विस्थ्पन व्याघ्र परियोजना, वाइल्ड लाइफ कोरिडोर से होने वाले विस्थापन की खिलाप जूझ रहा है. हजारीबाग के बडगाँव में कोयला परियोजना से होने विस्थापन खिलाप किसान संघर्षरत है. गोडड़ा में अदानी पावर प्लांट द्वरा जबरन किसानों से जमीन छीन कर रहे है उन्हें कहा जा रहा है-जमीन नही दोगे, तो जमीन में गाड देंगे, किसानों का लहलहाता धान खेत को बुलडोज़र से रौंद दिया गया. राज्य के हर इलाके में लोग विस्थापन के खिपल लड़ाइ लड रहे है. खूंटी-गुमला जिला के ग्रामीण पहले से ही मित्तल स्टील प्लांट, पूर्वी सिंघभूम के पोटका क्षेत्र में जिदल स्टील प्लांट, भूषण स्टील प्लांट से होने वाले विस्थापन के खिलाप संघर्षरत है. खूंटी क्षेत्र में आदिवासी समुदाय के सामूहिक एकता को तोड़ने के कई सडयंत्र चलाया जा रह्य है, जाती-धर्म के नाम पर समाज को एक दूसरे से लड़ाया जा रहा . जो जनता के अधिकारों के रक्षा की बात करते है, उन पर देशद्रोह में फंसा दिया जा रहा है. धर्म मानने की आज़ादी, बोलने की आज़ादी भी खत्म किया जा रहा है. झारखंडी समाज पर चारो तरफ से हमला हो रहा है. इन जनसंघर्षों के बीच रघुवर सरकार उपरोक्त जनविरोधी कानूनों को झारखंडी झ्नता के उपर थोपने का काम कर रही है.
उपरोक्त तमाम खतरों एवं हमलों को रोकने की मांग राज्यपाल महोदय के पास रखने के लिए २१ नवम्बर को भरी संख्या में महाधरना-प्रदर्शन में आप सभी उपस्थित हो. क्योकि राज्यपाल महोदय पांचवी अनुसूचि क्षेत्र के संरक्षक है –उनके सामने सभी ये मांगे रखेंगे-
- सीएनटी एक्ट को कढाई से लागु किया जाय.
- 5वी अनुसूचि को कढाई से लागु किया जाय.
- गैर मजरूवा आम, गैर मजरूवा खास, जंगली-झाड़ी, सरना-मसना, अखड़ा, हदगाड़ी नदी-नाला, पाइन-झरना चरागाह, परंपारिक-खेत जैसे भूत खेता, पहनाद्र डाली कतारी चरागाह, जतरा, टांड, इंद्र-टांड, मांढा टांड सहित सभी तरह के समुदाहिक जमीन को भूमि बैंक में शामिल किया गया है को उसे भूमि बैंक से मुक्त किया जाय तथा किसी बाहरी पूंजी-पतियों को हस्तांतरित नहीं किया जाय.
- भूमि-सुधार/भूदान कानून के तहत जिन किसानों को गैर मजरूवा खास जमीन का हिस्सा बंदोबस्त कर दिया गया है – उसे रद्द नहीं किया जाय.
- जमीन अधिग्रहण कानून 2013 को लागू किया जाय.
- किसी तरह का जमीन अधिग्रहण के पहले गाँव सभा के इजाजत के बिना जमीन अधिग्रहण किसी भी कीमत में नहीं किया जाय.
- परस्तावित हाथी कोरिडोर वाइल्ड लाइफ कोरिडोर, पलामू प्रोजेत एवं नेतराइट फारिंग रेंज से होने वाले विस्थापना को रोका जाय.
- गोद्दा में अडानी द्वरा जबरन जमीन हडपने की कोसिस को रोका जाय.
- सामाजिक कार्यकताओ पर दर्ज देशद्रोह के केस वापस लिया जाया.
- भूमि अधिकार कानून 2017 को रद्द किया जाय.
- ग्रामीण क्षेत्रो से पलायन रोकने के लिए मनरेगा मजदूरों का मजदूरी दर 159 रू से बढ़ा कर 500 रू किया जाय.
- आदीवासी –मूलवासी विरोध वर्तमान स्थानीय निति को ख़ारिज किया जाय तथा सदियों से जल-जंगल-जमीन के साथ रचे-बसे आदिवासी-मूलनिवासियो के सामाजिक मूल्यों, सांस्कृतिक मूल्यों, भाषा-संस्कृति इनके इतिहास को आधार बना कर 1932 के खतियान को आधार बना कर स्थानीय निति को पुनरभासित करके स्थानीय निति बनाया जाय.
- पंचायत मुख्यालयों, प्रखंड मुख्यालयों, स्कूलों अस्पतालों, जिला मुख्यालयों में स्थानीय बेरोजगार युवाओं को सभी तरह के नौकरियों में बहाली की जाय.
- सरना कोड लागू किया जाय.
नोट: मोहरबादी- मैदान से राजभवन रैल्ली जायेंगी
समय: 10 बजे
संपर्क – दयामनी बरला -9431104386, जेराम जेराल्ड – 9431705062, कुमार चंद मांडी – 9934165214, राजू लोहरा-8969503347, तुरतन तोपनो-इतवा मुंडा-8809841348, जगेश्वर लकडा-7739806699, मिथलेश डांगी-9430708229
निवेदक – जनांदोलन का सयुंक्त मोर्चा.