जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो : प्राकृतिक संसाधनों पर गांव सभा के अधिकार के लिए प्रतिरोध मार्च
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के आदिवासी आंदोलित हो रहे हैं. 18 सितम्बर 2018 को केसला विकासखंड में सैकड़ो की संख्या में जुलूस निकालकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.
समाजवादी जन परिषद, किसान आदिवासी संगठन और श्रमिक आदिवासी संगठन के संयुक्त तत्वावधान में जुलूस निकाला गया. वे नारे लगा रहे थे जीना है तो मरना सीखो, कदम कदम पर लड़ना सीखो, हमारी मांगें पूरी करो, आदिवासियों का एका जिंदाबाद, गांव का एका जिंदाबाद.
इस प्रदर्शन में दूरदराज के करीब 50 गांवों के स्त्री-पुरूष शामिल हुए। ये लोग अपनी मांगों को लेकर अपने खुद के पैसे से चलकर पहुंचे थे. जब जुलूस में बुलंद आवाज में नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारी केसला की सड़क पर निकले तो लोग भौचक्के रह गए. दुकानों और मकानों में से निकल-निकल कर देखने लगे.
उनकी मांगें कुछ इस प्रकार हैं
यह इलाका 5 वीं अनुसूची में आता है यानी इसके रीति-रिवाज, संस्कृति और परंपरा आदिवासियों के हिसाब से चलना चाहिए. पेसा एक्ट के तहत् यहां के जंगल, नदी और प्राकृतिक संसाधनों पर ग्रामसभा का अधिकार होना चाहिेए.
इसी तरह वन अधिकार कानून 2006 का पालन नहीं हो रहा है. इस कानून के तहत् ग्राम सभा को जंगल पर अधिकार मिलना चाहिए. गैर आदिवासियों को भी जंगल पर अधिकार व जमीन का अधिकार मिलना चाहिए.
• वृद्ध व बेवाओं की पेंशन बढ़नी चाहिए.
• स्कूलों में विषयवार शिक्षक होना चाहिए.
• गरीबी रेखा में लोगों का नाम जुड़ना चाहिए.
• अस्पताल में इलाज की सुविधा होना चाहिए.
किसान आदिवासी संगठन 1985 से इस इलाके में आदिवासियों की हक और इज्जत की लड़ाई लड़ रहा है.
सुनील भाई और राजनारायण ने इसका नेतृत्व किया था. समाजवादी विचारों से और किशन पटनायक से प्रभावित दोनों साथियों ने इस संगठन को धार दी थी. उनके जाने के बाद आदिवासी खुद अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
आज किसान आदिवासी संगठन के प्रमुख फागराम, गुलिया बाई, बिस्तोरी, रावल सिंह, राजीव बामने, सरपंच दिनेश काजले, पूर्व सरपंच सम्मर, जिला जनपद सदस्य तारा बरकड़े, श्रमिक आदिवासी सेगठन के जुझारू कार्यकर्ता राजेन्द्र गढ़वाल, सदाराम, बसंत तेकाम, आलोक सागर आदि मौजूद थे. इस मौके पर संगठन के कार्यकर्ताओं ने झोली फैलाकर कार्यकर्ताओं से 2000 हजार रूपया चंदा एकत्र किया जिसका हिसाब संगठन सार्वजनिक करता है.