पूंजी की प्रभुता में लोकतंत्र की हैसियत
दुनियाभर की भांति-भांति की शासन-प्रणालियों को देखें तो उनमें सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र ही दिखाई देता है, लेकिन पूंजी के बेशर्म सम्राज्य में उसकी कितनी हैसियत बची है? आज दुनिया का कोई भी देश, अपनी खामियों-खूबसूरतियों के बावजूद लोकतंत्र और पूंजी के रिश्तों को सुधार नहीं पा रहा है। ऐसे में क्या लोकतंत्र कारगर उपाय हो सकेगा? प्रस्तुत है, इसकी पड़ताल करता…
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