संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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forest rights Act

14 साल बाद : वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत

वन अधिकार कानून 2006 के प्रस्तावना में उल्लेख है कि औपनिवेशिक काल के दौरान तथा स्वतंत्र भारत में राज्य वनों को समेकित करते समय उनकी पैतृक भूमि पर वन अधिकारों और उनके निवास को पर्याप्त रूप से मान्यता नहीं दी गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप वन में निवास करने वाली उन अनुसूचीत जनजातियों और अन्य परम्परागत वन निवासियों के प्रति ऐतिहासिक अन्याय हुआ है, जो वन…
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