संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

महाराष्ट्र : नर्मदा यात्रा में उमड़ा आदिवासी महिलाओं तथा बच्चों का हुजूम

 21 जुलाई 2018 के रोज गोपालपुर से निकली संघर्ष, नवनिर्माण संवाद यात्रा गोपालपुर से निकलकर महाराष्ट्र के नन्दूरबार जिले की पुनर्बसाहटों में चेतन साल्वे, खेमसिंह, सियाराम, रोहित सिंह, पूनया वसावे, कृष्णा व गुलाबसिंह पावरा, जोरदार व रिमन पावरा, नाथा व इरमल पावरा, नूरजी वसावे व लालसिंह वसावे , लतिका राजपूत, मेधा पाटकर आदि के नेतृत्व में निकाली गई दसों मोटरसाइकिलों व क्षेत्र के वाहनों के साथ चली दस घंटे की यात्रा ने पुनर्बसाहट में आदिवासी, बच्चे व बहनों की भीड़ उमड़ पड़ी आंदोलनकारी बुजुर्गों ने पहले दौर से चले संघर्ष और सफलता की बात के साथ साथ पुनर्वास के बाकी कार्यों की पोलखोल भी की 4300 परिवारों को महाराष्ट्र में मिली वैकल्पिक खेती के साथ मिले पुनर्वास का हरापन तथा पहाड़ी से उतारकर बसाये आदिवासी पद्धति के घरों की बसाहट की यात्रा रंग लाई कहीं भर बारिश में छाताओं के साथ साथ भीगती हुई बहने,बच्चें ने सभा को पूरी ताकत दी ।

माँगल्या भाई पावरा और नूरजी भाई वसावे ने संगठन की शक्ति और प्रेरणा के साथ साथ ही भविष्य की चुनोतियों का सामना करना पड़ेगा, इस बातकी चेतावनी दी। पुन्या वसावे ने नर्मदानगर में हजारों की भीड़ ने आंदोलन से कटिबद्धता के साथ क्षेत्र की कई पंचायते जितने के बाद अब निर्माण का दौर शुरू करने की घोषणा की । लतिका राजपूत ओर चेतन साल्वे ने जीवनशाला के कार्य के साथ साथ पुनर्बसाहटों में बसे परिवारों के कार्य को तथा वनाधिकार जैसे कार्य को पूरी ताकत से आगे बढ़ाने का ऐलान किया। मान्या भाई, रेन्जा भाई तथा कृष्णा भाई ने हर छुटे या बचे परिवार को हर शिक्षित परिवार के रोजगार का हक लेकर रहेंगे यह घोषित किया ।

सरपंच यमुना ताई, विधा ताई व मंगला ताई ने आंदोलन को पूरा साथ देने की मनीषा जाहिर की । रोहित ठाकुर ने मध्यप्रदेश के संघर्ष 31 जुलाई 2017 के रोज गावँ खाली न होने की सफलता और हासिल किए तथा हासिल किए पुनर्वास का ब्यौरा दिया ।

मेधा ताई ने संघर्ष के 33 साल पूरे होने की स्थिति में तीनों राज्यों के विस्थापतों के तथा नर्मदा की स्थिति का जायजा लेकर नगद राशि नकारते हुए जमीन का ही हक लेने वाले महाराष्ट्र के आदिवासीयों को सलाम करते हुए कहा की अभी भी संघर्ष की जरूरत है नर्मदा का पानी आपने त्याग और प्राकृतिक तथा आर्थिक करोड़ो की पूंजी लगाकर गुजरात को देने का महाराष्ट्र शासन का अनुबंध आदिवासीयों के साथ धोखाधड़ी है। नर्मदा घाटी के जंगल तथा रेत खनन करने से नर्मदा सुखी पड़ी है; समुद्र अंदर घुस आया है इसीलिए नर्मदा बचाओ का नारा तीनों राज्यों में दिया जा रहा है और 31 जुलाई से फिर से गूँजने जा रहा है ।

31 जुलाई से शुरू होगा नया दौर , 31 जुलाई की निसरपुर( बड़वानी के पास और 1 अगस्त को काथरडे डीगर, शहादा, नन्दूरबार जिला) में होगा विशाल संकल्प मेला उन्होंने कहा कि जैविक खेती, नशामुक्ति , रोजगार , निर्माण, जल ऊर्जा नियोजन जैसे विविध कार्यो के लिए युवा और महिलाओं का सहभाग जरूरी है, लड़ना होगा किसानों की कर्जमुक्ति ओर उपज के सही दाम के लिए भी उन्होंने ऐलान किया कि शिक्षित व अन्य युवा आन्दोलन को एक वर्ष देने का संकल्प लें तथा गावँ गावँ का संकल्प पत्र निर्माण के मुद्दों पर हर गावँ बसाहटों के महिलाओ, बच्चो के हस्ताक्षर व संकल्प मेले में आने वाला हर व्यक्ति मुठी भर अनाज, तथा मुठी भर मिट्टी लेकर ही पहुंचे यात्रा का दूसरा दौर महाराष्ट्र की बसाहटों तथा मध्यप्रदेश कर गावँ गावँ से होकर फिर होगा नर्मदा की पुकार का कार्यक्रम 31 जुलाई से 2 अगस्त तक बड़वानी से शुरू होकर मणिबेली बेली में 2 अगस्त दोपहर बाद पूरा होगा ।

इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में रहेंगे योगेंद्र यादव, डॉ सुनीलम ओर अन्य विशेष अतिथियों के नाम भी जल्दी ही जाहिर होंगे ।

कार्यक्रमों का दौर सभी आदिवासी, किसान, मजदूर, दलित विस्थापतों के महिला, युवा तथा विस्थापितों के महिला युवा के संगठन तथा नर्मदा समर्थक व नर्मदा भक्तों का स्वागत |

हमें हमारा हक सरकार को चुनौती देखकर ले ही लिया लेकिन एक भी भूमिहीन व महिला खातेदार वंचित न रहे यह देखना जरूरी है |

मांगल्या पावरा,नूरजी वसावे,पून्या वसावे,मान्या भाई,रेनजा भाई, कृष्णा भाई,खेमसिंग पावरा,सियाराम पाडवी, चेतन सालवे, रोहित ठाकुर, लतिका राजपूत, यमुना ताई ( सरपंच ), मेधा पाटकर

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