UP: श्रमकोड और मनरेगा भुगतान में देरी के विरोध में संगतिन किसान मजदूर संगठन का विरोध प्रदर्शन
मनरेगा में देरी से मजदूरी भुगतान के लिए कानून के अनुसार तय मुआवजा न मिलने और चार श्रम कोड के विरोध में 20 मई को संगतिन किसान मजदूर संगठन से जुड़े सैकड़ों मजदूरों ने सीतापुर में विकास भवन के सामने धरना दिया स्थल पर एकत्रित होकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
विरोध प्रदर्शन में आयीं महिलाओं ने कहा – ग्रामीण महिला, युवा, मजदूर, किसान मिश्रिख, मछरेहटा, गोंदलामऊ, महोली पिसावां, हरगाँव, खैराबाद, एलिया से हैं। अपनी जिंदगी चलाने के लिए हम मनरेगा में काम करते हैं और हमारे युवा अधिकांश किसी महानगर में फैक्ट्री या कम्पनी में काम करते हैं।
संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, ज्ञात हो कि मनरेगा में काम करने वाले हम मजदूर समय पर काम नहीं मिलने, आधार आधिारित भुगतान और ऑनलाइन हाजिरी जैसे समस्याओं से जूझते हुए किसी तरह से अगर काम कर पाते हैं तो समय पर मजदूरी भुगतान नहीं होने से और अधिक परेशान हो रहे हैं। 2024-25 में 15 नवम्बर के बाद मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ। (माह दिसम्बर में हुए कुछ एक छिटपुट भुगतान को छोड़कर)। हमें मिली जानकारियों के अनुसार सीतापुर में 120 करोड़ से अधिक मजदूरी का भुगतान बकाया था।
यह सारा भुगतान 28 अप्रैल के बाद होने शुरु हुए जबकि मनरेगा कानून के अनुसार मजदूरी का भुगतान कार्य समाप्त होने के अधिकतम 14 दिन के अंदर होना चाहिए। यह मनरेगा कानून का खुलेआम उल्लंघन है। दूसरी तरफ मजदूरों के हित में बने 29 श्रम कानूनों को चार श्रम कोड में बदलकर सरकार उसे लागू करने के लिए तत्पर है। चार श्रम कोड के अनुसार- श्रमिकों को 12 घंटे काम करना पड़ेगा, कंपनी संविदाकर्मियों को जब चाहे रखेगी, जब चाहे निकाल देगी। श्रमिकों को मिलने वाले राज्य बीमा योजना के लाभ,पीएफ आदि कमजोर होगा और अपने हक के लिए हम श्रमिकों को यूनियन बनाने का अधिकार भी नहीं होगा।
एक तरफ मनरेगा का अत्यधिक तकनीकीकरण और बजट कम करते हुए मनरेगा कानून को कमजोर किया जा रहा है दूसरी तरफ पिछले तीन बरसों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिको के सामजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आवंटित बजट में कोई खर्च नहीं हुआ। यह अपने आपमें शोचनीय स्थिति है। और अब चार श्रम कोड से हमारी स्थितियां और बदतर हो जाएंगी।
हमारी मांगे निम्नलिखित हैं :
1.मनरेगा कानून के अनुभाग 7-1 के अनुसार काम की मांग करने के बाद 14 दिन के अंदर काम नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ता मिलना सुनिश्चित किया जाय।
2.प्रत्येक जाॅबकार्ड धारक को 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय।
3.मनरेगा कानून के अनुसूची 2 के पैरा 29 के अनुसार देरी से मजदूरी भुगतान का मुवायजा दिया जाय।
4.केन्द्र सरकार से कहें कि चार श्रम कोड वापस लिए जायें और मजदूरों के संघर्ष द्वारा हासिल 29 श्रम कानूनों को लागू किया जाय।
5.असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के हित के सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाएं बनाकर उन्हें लागू किया जाय। उनका क्रियान्वयन किया जाय।
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