संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

परमाणु खतरे, सैन्यीकरण और राज्य-हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय सम्मलेन – अगस्त 30-31, 2014

प्रिय साथी
परमाणु निरस्त्रीकरण और शान्ति गठबंधन (सीएनडीपी) ने परमाणु खतरे, सैन्यीकरण और राज्य-हिंसा के खिलाफ  दिल्ली में दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन का आह्वान आगामी 30 और 31 अगस्त को किया है, जिसकी रूपरेखा और निमंत्रण आपसे साझा किया जा रहा है.
आपसे अनुरोध है कि इस सम्मलेन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और अपने सुझाव हमें cndpindia@gmail.com पर  भेजें।

अगस्त 30-31, 2014 नई दिल्ली, भारत

देश की राजनीतिक धुरी के दक्षिण की तरफ खिसकने के साथ ही सैन्यवाद, परमाणु खतरे में इज़ाफ़े तथा  दलित, स्त्रियों और अल्पसंख्यकों जैसे कमजोर तबकों प्रति हिंसा बढ़ने की हम सबकी आशंका सही साबित होती दिख रही है. असल में इन सभी खतरों का रुझान पहले से ही बढ़ रहा था और पिछली सरकार में भी  दमनकारी और विभाजक नीतियां आम बात हो चुकी थीं. इस अर्थ में नई हुकूमत उन्हीं हथियारों को ज़्यादा तेजी से आगे बढ़ा रही है.
न्यूनतम परमाणु तैयारी और पहले अणु-हमला न करने की भारतीय नीति को बदलना हाल के चुनावों में दक्षिणपंथ के घोषणापत्र का अहम हिस्सा था. यह इस तथ्य के सामने एक के सामने एक क्रूर मजाक ही था कि इस बार पाकिस्तान में आम-चुनाव भारत के साथ रिश्ते सुधारने के नारे पर लड़ा गया था. भारत इस साल दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है, जिसकी सबसे बड़ी सप्लाई इज़रायल से होती है. हाल ही में हिन्द महासागर में चीन के खिलाफ भारत द्वारा साझा नौसेना अभ्यास में शामिल होने से एशिया में तनाव बढ़ा है. इस तरह के सैन्यवादी दुःसाहस का खुला विरोध होना चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ हमारी सुरक्षा और सामूहिक शान्ति बाधित होती है बल्कि युद्ध-उन्माद के सहारे समाज में न्याय, बराबरी और जीविका के ज़्यादा ज़रूरी सवालों से हमारा ध्यान भी हटाया जाता है. आदिवासी इलाकों में सैन्य हिंसा की वृद्धि भी नई हुकूमत के सबसे शुरुआती कदमों में शामिल रहा है.

सैन्य-केंद्रित ऐसी राज्य व्यवस्था की तार्किक परिणति असहमति की आवाज़ों के बर्बर दमन और ख़ास तौर पर परमाणु, जी.एम. बीज और भूअधिग्रहण के मुद्दे पर विरोधियों के दानवीकरण के रूप में हमें दिखती है. विकास का नवउदारवादी मॉडल अब राष्ट्रीय सुरक्षा का केंद्र बन गया है और इससे असहमति रखने वाले देशद्रोही घोषित हो चुके हैं.

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के अक्षरधाम मामले में फर्जी तरीके से फंसाए गए छः युवाओं को बरी करते हुए राज्य में तत्कालीन गृहमंत्री की इस क्रूर भेदभाव के लिए कड़ी आलोचना की है. इस किस्म का व्यवस्थागत भेदभाव हमारे सार्वजनिक जीवन का हिस्सा बनता गया है और दूसरे कई राज्यों तथा पिछली केंद्र सरकार के दौरान भी इसके खिलाफ आम नागरिकों ने अपनी आवाज़ बुलंद की थी. हरियाणा में बलात्कार और हिंसा से पीड़ित दलित समुदाय अब भी जंतर-मंतर पर बैठा न्याय का आसरा देख रहा है. दलितों, अल्पसंख्यकों और वंचित वर्ग को न्याय दिलवा पाना ही लोकतंत्र की कसौटी है. AFSPA, धारा 377 और ग्रीन हंट इत्यादि के खिलाफ अपने संघर्षों को एकजुट करना और मूलभूत मानवाधिकार सबके लिए सुनिश्चित करना हमारे सामूहिक एजेंडे पर सबसे ऊपर होना चाहिए।

आज की स्थिति में लोकतंत्र, न्याय और सद्भाव की आवाज़ों को एकसाथ लाना हमारे लम्बे संघर्ष के लिए सबसे पहली सीढ़ी है.

इस परिप्रेक्ष्य में परमाणु निरस्त्रीकरण और शान्ति गठबंधन (सीएनडीपी) ने दिल्ली में दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन का आह्वान किया है. देशभर से सरोकारी नागरिकों और जनांदोलनों को इस सम्मलेन के लिए निमंत्रित किया जा रहा है. सीएनडीपी इस सम्मलेन का आर्थिक बोझ वहन करेगा लेकिन कोशिश है कि मुहिम में ज़्यादा-से-ज़्यादा संगठनों, आन्दोलनों और नागरिक समूहों को शामिल किया जाय. सम्मलेन के लिए दिल्ली में एक साझा तैयारी मीटिंग के बाद दो दिन के कार्यक्रम की एक रूपरेखा प्रस्तावित की गई है जिसमें उदघाटन सत्र, विषय-केंद्रित सत्रों तथा एक समापन सत्र के साथ-साथ साझे घोषणापत्र का भी समावेश  है,जिसके माध्यम से हम नई सरकार के सामने अपने मुद्दे स्पष्ट तौर पर रख सकें।

सीएनडीपी 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद गठित जनांदोलनों और शांतिवादी नागरिकों का एक साझा मंच है जो अमन, इन्साफ और लोकतंत्र के लिए संघर्षरत हैं.

स्थान: काॅन्स्टीट्यूशन क्लब, रफ़ी मार्ग, नई दिल्ली

कार्यक्रम की रूपरेखा –

पहला दिन – अगस्त 30, 2014 (सुबह 9 बजे से शाम 5.30 तक)
उदघाटन सत्र
‘बढ़ते सैन्यीकरण के खतरे’ पर चर्चा
भोजन
‘परमाणु-हथियारों और अणु ऊर्जा से मुक्त भारत’ पर चर्चा

दूसरा दिन – अगस्त 31, 2014 (सुबह 9 बजे से शाम 5.30 तक)
राज्य हिंसा और दमन पर चर्चा
‘आगे का रास्ता’
भोजन
साझा घोषणापत्र पर चर्चा और समापन

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