ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ धरने को 6 माह : किसान नहीं जमीन देने को तैयार
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 25 फ़रवरी 2016 से किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है. अखिल भारतीय किसान महासभा और किसान संघर्ष परिषद के सयुक्त बैनर तले किसान अपनी जमीन बचने की लड़ाई लड़ रहे है.
स्पेशल इकोनोमिक जोन (विशेष आर्थिक क्षेत्र) की बड़ी विफलता के बाद अब पूंजीवादी समर्थक लॉबी ने लाखों लोगों को बेघर करने का, भूमि छीनकर उन्हें बंधुआ मजदूरी के जंजाल में फ़साने का नया तरीका ढूँढ लिया है। इसी को औद्योगिक कॉरिडोर के नाम से जाना जा रहा है और इस तरह के शोषक अर्थनीति को सरकार किसी भी हद तक जाने को तैयार है। देश में अब तक 11 से अधिक कॉरिडोर योजनाबद्ध है, जिससे लाखों लोगों के बेघर होगे और साथ ही साथ उनकी आजीविका और आत्मनिर्भर व्यवसाय भी खत्म हो जायेगे।
ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा) 1900 किमी. लंबी रेल लाइन है जो पूरी तरह से कोलकाता के नजदीक डानकुनी और पंजाब के लुधियाना के बीच सामान और कच्ची सामग्री को ढोने के लिए समर्पित है और यह विश्व बैंक की एक परियोजना है। फ्रेट कॉरिडोर के इर्दगिर्द विशाल औद्योगिक और शहरी विस्तार किये जाने की योजना को ही अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर के नाम से जाना जा रहा है।
अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर का विस्तार सात राज्यों के 20 शहरों में होगा जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं।
एडीकेआईसी (अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारा) परियोजना के दायरे में अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, दिल्ली, रूड़की, मोरादाबाद, बरेली, अलीगढ, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, पटना, हजारीबाग, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर और कोलकाता शहर आयेंगे।
एडीकेआईसी परियोजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी और कम से कम 5,50,000 वर्ग किमी. बेल्ट इसके अंतर्गत सम्मिलित किया जायेगा। परियोजना का पहला चरण पायलट प्रोजेक्ट के रूप में होगा और इसमें सभी सात राज्यों में से प्रत्येक राज्य में 10 वर्ग किमी. में कम से कम एक एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर की स्थापना की जाएगी।