मोदी सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 9,10,11 नवम्बर 2017 को दिल्ली चलो
अगले माह 9, 10, 11 नवम्बर 2017 को सरकार को चेताने के लिए देश के केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने दिल्ली चलो’ का आहवान किया है व देश के सभी श्रमिक वर्ग से धरने में शामिल होने की अपील की है।
भाजपा सरकार के 2014 से केन्द्र में सत्तासीन होते ही सबसे पहले श्रम अधिकारों पर हमला किया गया था ताकि कम्पनियों को फायदा पहुंचाया जा सके। सब जगह मज़दूरों पर हमले व अत्याचार बढ़े हैं। जैसे स्थाई मज़दूरों की छटंनी, ठेका श्रमिकों के अधिकारों पर हमला, मारूति, होंड़ा हिंडाल्को आदि में मज़दूरों की छंटनी आदि असंगठित क्षेत्र में न् यूनतम वेतन का लागू न करना, नरेगा में मज़दूरी का भुगतान न करना आदि शामिल है।
1991 में उदारीकरण व नई आर्थिक नीतियों के लागू होने के बाद जो 8 फीसदी संगठित क्षेत्र था, वह अब फिसल कर 4 फीसदी पर आ गया है। जो संगठित थे वे भी इन नीतियों के चलते असंगठित क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर कर दिए गए हैं। भारत सरकार बड़ी बेशर्मी के साथ खुले आम कम्पनियों व कारपोरेट की दलाल बन गई है। हालांकि यह सिलसिला तो पिछली सभी सरकारों में भी ज़ारी था, लेकिन 2014 में बनी एन.डी.ए सरकार ने सत्तासीन होते ही सबसे पहले श्रम अधिकारों पर ही कुठाराघात किया और जिसमें ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को श्रमाधिकारों से बाहर लाने की योजना है, श्रम संगठन बनाने पर रोक आदि जैसे काम किये जा रहे हैं।
सिर्फ मजदूर, किसानों की एकता से ही एक मज़बूत लोकतांत्रिक, लडाकू, संघर्षशील ताकत उभर कर सामने आ सकती है। सभी श्रमजीवी समाज, नौकरी पेशा किसान मजदूर गरीब महिलाए संघर्ष के लिए इकटठा हो रहे हैं। सभी से आग्रह है कि इस तीन दिवसीय क्रमिक धरना को अपना समर्थन दे कर इस ऐतिहासिक धरने को सफल बनायें व अपने सम्मानजनक जीने के अधिकारों, सामाजिक न्याय व सामाजिक समानता को बहाल करें।
मांगे –
- महंगाई पर रोक लगाओ, राशन प्रणाली को सर्वव्यापी बनाओं।
- बेरोजगारी खत्म करो, सभी को बेहतर नौकरी दो।
- श्रम कानून लागू करो।
- सभी को सामाजिक सुरक्षा का लाभ दो।
- सभी को कम से कम 18000रू न्यूनतम वेतन दो।
- सभी को 3000रू प्रतिमाह पेंशन दो ।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमो (पीएसयू) का निजीकरण बंद करो।
- ठेकेदारी बंद हो और ठेका मजदूरों को समान काम के लिए समान वेतन दो।
- स्कीम कर्मियों को श्रमिक की मान्यता दो।
- बोनस और प्रोविडेंट फंड के भुगतान और पात्रता पर लगी सभी सीमावंदियों को हटाओं तथा ग्रेच्युटी की राशि बढ़ाओं।
- श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन नहीं चलेगा।
- ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण 45 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से हो।
- आईएलओं कन्वेशन 87 और 98 का तत्काल अनुमोदन करो।
- रेलवे, इश्ंयोरेस और डिफेंस में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) बंद करों।
आयोजक
INTUC AITUC HMS CITU AITUC TUCC SEWA AICCTU LPF UTUC
And Independent Federation of Workers and Employees