रेणुका बांध के खिलाफ संघर्ष जारी है. . . .
दिनांक 15 दिसंबर 2010 को हिमाचल प्रदेश के रेणुका, सिरमौर में जबरदस्ती भू-अधिग्रहण के खिलाफ स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) तथा राजस्व विभाग ने भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के सेक्शन 9 के तहत रेणुका बांध परियोजना के लिए पनार गांव की 680 बीघा जमीन (लगभग 57 हैक्टेयर) को अधिसूचित कर दिया। रेणुका बांध संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट को एक पत्र भेजकर जबरदस्ती भूमि-अधिग्रहण को रोकने की अपील की है।
इस जमीन पर मालिकाना हक रखने वाले 60 से ज्यादा परिवारों ने 15 दिसम्ब्र 2010 को भू-अधिग्रहण ऑफीसर से मिलकर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाईं।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे गये इस पत्र में रेणुका बांध संघर्ष समिति ने इस सवाल को भी उठाया है कि इस परियोजना के लिए 775 हैक्टेयर भूमि की वन मंजूरी को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय 31 अगस्त 2010 को रद्द कर चुका है। इसके बावजूद भूमि-अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। रेणुका बांध संघर्ष समिति का कहना है कि भू-अधिग्रहण की यह प्रक्रिया पर्यावरण मंत्रालय के निर्णय का तो मखौल उड़ती ही है साथ ही साथ वन संरक्षण एक्ट 1980 के सिद्धांतों की भी धज्जियां उड़ाते हुए वन अधिकार अधिनियम को भी महत्व नहीं देती।