2 सितम्बर मजदूर हड़ताल : भूमि अधिकार आंदोलन का समर्थन का ऐलान; गांधी प्रतिमा, लखनऊ में जनप्रदर्शन
भूमि अधिकार आंदोलन देश में मोदी सरकार के भूमि विरोधी नीतियों के खिलाफ एक जनमोर्चा है ने 2 सितम्बर 2016 को इस देश व्यापी मजदूर हड़ताल में पूरे देश में और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तथा कई जिलों जैसे बलिया, सोनभद्र, सहारनपुर, पलिया लखीमपुर खीरी, मानिकपुर बांदा आदि में शामिल होने का फैसला लिया है। भूमि अधिकार आंदोलन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ व भूमि अधिकार के लिए देश भर के जनसंगठनों व जनांदोलनों का साझा मंच है जिसने मोदी सरकार को पिछले वर्ष भूमि अध्यादेश जो कि गैरसंवैधानिक तरीके से संसद में पारित किया जा रहा था को रोकने का काम किया है। भूमि अधिकार आंदोलन, उत्तर प्रदेश का पर्चा आप से साझा कर रहे है ;
2 सितम्बर 2016 को मजदूरों की आम हड़ताल के समर्थन में गांधी प्रतिमा जी.पी.ओ., लखनऊ ,उत्तर प्रदेश में जनप्रदर्शन
समय : सुबह 11 बजे
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रजनीश -9410471522
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अंशुमान 9238666320
आदिवासी दलित-मजदूर-महिला एकता जिन्दाबाद!
‘‘हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे
इक खेत नहीं इक बाग़ नहीं हम सारी दुनिया मांगेगे’’
भूमि अधिकार आंदोलन का मज़दूर संगठनों द्वारा 2 सितम्बर 2016 को घोषित राष्ट्र व्यापी हड़ताल के समर्थन में विरोध प्रर्दान
भाजपा सरकार के 2014 से केन्द्र में सत्तासीन होते ही सबसे पहले श्रम अधिकारों पर हमला किया गया था ताकि कम्पनियों को फायदा पहुंचाया जा सके। सब जगह मज़दूरों पर हमले व अत्याचार बढ़े हैं। जैसे स्थाई मज़दूरों की छटंनी, ठेका श्रमिकों के अधिकारों पर हमला, मारूति, होंड़ा हिंडाल्को आदि में मज़दूरों की छंटनी आदि असंगठित क्षेत्र में न् यूनतम वेतन का लागू न करना, नरेगा में मज़दूरी का भुगतान न करना आदि शामिल है। लेकिन इसके खिलाफ मज़दूरों का भी विरोध बड़े पैमाने पर हो रहा है जिसमें केरल के मुन्नार एवं बैंगलूर में महिला कामगारों की वेतन व पेंशन को लेकर ऐतिहासिक हड़ताल शामिल है।
ये समय अधिक से अधिक प्रगतिशील संघो व प्रगतिशील ताकतों का व्यापक संयुक्त मोर्चा बनाने का है, जिसे बनाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। हम देश में संघर्ष को और शक्तिशाली बनाने के साथ-साथ दूसरे देशों में भी चल रहे दमन और शोषण के खिलाफ चल रहे संघर्षों का समर्थन करेंगे और एकजुटता दिखाऐंगे और मजबूत गठबंधन करेंगे।
- भूमि अध्यादेश को वापिस लिया जाए व भू अधिकारों एवं श्रमाधिकारों के साथ कानून के साथ किसान व श्रम विरोधी छेड़छाड़ बंद की जाए।
- आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी अभी तक देश में प्रभावी भू अधिकार कानून को पारित नहीं किया गया है अब भूअधिग्रहण नहीं भूअधिकार कानून की जरूरत है।
- सभी मज़दूर, कर्मचारी, दस्तकारों, पासमांदा बुनकरों और शोषित वंचित मेहनतकशों के बुनियादी श्रमाधिकार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- मेहनतकश वर्ग को अभिव्यक्ति की आज़ादी, संगठन बनाने की आज़ादी व सरकारी जनविरोधी नीतियों के विरोध करने की आज़ादी संविधान के अनुरूप मिली है इसके साथ छेड़छाड़ बर्दाश नहीं की जाएगी।
- प्रदेश में किसी भी परियोजना चाहे वो कचरी पावर प्लांट हो, सड़कहाईवे कारीडोर हो, बांध जैसे कनहर बांध परियोजना हो या फिर अन्य विकराल योजनाए उसके लिए पहले स्थानीय जनसमुदाय से सहमति ली जाए व इन परियोजनाओं के किए जा रहे अवैध भू-अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए।
- प्रदेश में असंवैधानिक व गैरकानूनी प्रक्रिया से बनी राजस्व संहिता को रदद किया जाए।
- दलित, आदिवासीयों, अल्पसंख्यकों, श्रमजीवी समाज पर किए जा रहे माओवादी, आतंकवाद के नाम पर हमलों, फर्जी मुकदमों, फर्जी मुठभेड़ों एवं उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए।
- महत्वपूर्ण उद्योग जैसे रक्षा सम्बन्धी उद्योग और खुदरा व्यपार में विदेशी कम्पनियों को शामिल होने की छूट को वापिस किया जाए।
- महिलाओं का उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए व उनके लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
- प्रदेश में वनाधिकार कानून के तहत प्राप्त सामुदायिक अधिकारों को प्रभावी प्रक्रिया के तहत मान्यता दी जाए।
- लघुवनोपज जैसे मछली, तेंदु पत्ता, शहद आदि सहित तमाम लघुवनोपज वनाधिकार कानून संशोधन-2012 के तहत पर समुदाय के पूर्ण अधिकार दिए जाए व वनविभाग व वननिगम की वनाधिकार कानून के खिलाफ काम करने की भूमिका की जांच कर कर्मचारीयों को दंडित किया जाए।
- देश में गौ रक्षा के नाम पर गौरक्षों द्वारा साम्प्रदायिक माहौल व गुंड़ागर्दी से पूरे श्रमजीवी समाज पर किए जा रहे जानलेवा हमलों को बंद किया जाए।
- साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल को जल्द पारित किया जाए।
- प्रदेश में एम्स जैसी अस्पताल की सुविधा क्षेत्रीय स्तर पर प्रदान की जाए व स्वास्थ एवं शिक्षा के निजीकरण को बंद कर शिक्षा को सार्वजनिक क्षेत्र के तहत लागू किया जाए।