बुलेट ट्रेन क्यों? कौन चुकाएगा कीमत? 2 अगस्त 2018, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली
आमंत्रण / जनसभा
गलत प्राथमिकताएं या सत्ता का दंभ:
बुलेट ट्रेन क्यों? कौन चुकाएगा कीमत?
2 अगस्त 2018,
डिप्टी स्पीकर हॉल, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली
मुम्बई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (जो बुलेट ट्रेन नाम से लोकप्रिय है) का रास्ता महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी और कृषि इलाको को काटकर निकाला जाने वाला है। क्षेत्र के किसान इस परियोजना के विरोध में है क्योंकि उनकी उपजाऊं ज़मीन ले ली जाएगी। इसके साथ ही ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह कि अतिआवश्यक विकासात्मक और सामाजिक क्षेत्र के मुद्दों के लिए पैसा ना देकर उन्हें नज़रंदाज़ किया जा रहा है। और इस बात को लेकर जनता में रोष बढ़ा है। रेलवे क्षेत्र में वर्तमान में जरूरत है – मौजूदा ट्रैक्स को उन्नत बनाने और सुधारने की, भारतीय प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए तीव्र सेवाओं को लागू करने की और बेहतर सुरक्षा उपायों की, जिन सभी को नज़रंदाज़ किया जा रहा है।
दोनों शहरों के बीच रेल और हवाई यातायात के मौजूदा आंकड़ों को देखते हुए प्रस्तावित बुलेट ट्रेन परियोजना की आर्थिक व्यवहार्यता पर प्रश्न उठता है। ऋण की शर्तें हमारे अनुकूल होने के दावों के विपरीत बिगड़ती हुई रुपया-येन विनिमय दर आदि को देखते हुए ये संभावना ज्यादा है कि ऋण चुकाने का भार हम पर भारी पड़ेगा। पूरी परियोजना में पारदर्शिता के अभाव और अस्पष्ट शर्तों जिनमें JICA द्वारा पुनर्भुगतान भी शामिल है, को लेकर लगभग सभी राजनैतिक दल बुलेट परियोजना के विरूद्ध जनता के साथ खड़े है।
भारत को 508 किमी लंबी बुलेट ट्रैन परियोजना के लिए 1.1 बिलियन यूएस डॉलर की भारी भरकम राशि नहीं चाहिए बल्कि पैसा चाहिए हमारे ढहते हुए शहरों, सार्वजनिक परिवहन और अन्य आधारभूत आवश्यकताओं के लिए। इन परियोजना के बारे में जनसाधारण की राय और इसके राजनैतिक प्रभावों को देखते हुए ये समझ में आता है कि ये परियोजना महज़ सत्ताधारी सरकार के अहंकारोन्माद और मोह को संतुष्ट करने के लिए है। यह बुलेट सिर्फ भारत की जनता को मारने और अपंग बनाने के लिए है।
इसी संदर्भ में हम एक पूरे दिन की विचार सभा में इस परियोजना के विभिन्न पहलुओं, जारी अतिक्रमण, लोकतांत्रिक मानकों पर हमला; और बुलेट परियोजना के विरुद्ध ज़मीन और जंगल पर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत लोगों के साथ एकजुट होने के लिए आपको 2 अगस्त, 2018 को डिप्टी स्पीकर हॉल, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में परिचर्चा के लिए आमंत्रित करते है।
कार्यसूची
9:00 – 9:30 | रजिस्ट्रेशन और चाय
9:30 – 11:30 बजे |परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुति
11:30 – 1:30 बजे | आर्थिक दृष्टि से लाभप्रदता तथा पर्यावरणीय प्रभाव
01:30 – 2:30 pm | भोजन
02:30 – 04:00 बजे | भूमि अधिग्रहण की राज्यवार प्रक्रियाएं और इसके प्रभाव
04:00 – 06:00 बजे | राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ परिचर्चा
भूमि अधिकार आन्दोलन की तरफ से
हन्नान मौला, उल्का महाजन, ब्रायन लोबो, कृष्णकांत, श्वेता त्रिपाठी, मधुरेश और संजीव कुमार
जन अधिकार जन एकता आन्दोलन, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM), अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी संगठन ,अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन ) , अखिल भारतीय किसान सभा (कैनिन लेन ), अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, लोक संघर्ष मोर्चा, जन संघर्ष समन्वय समिति, छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन ,अखिल भारतीय किसान महासभा, किसान संघर्ष समिति, संयुक्त किसान संघर्ष समिति, इंसाफ, दिल्ली समर्थक समूह, किसान मंच, महाराष्ट्र किसान राज्य सभा , काश्तकारी संगठन , शोषित जन आन्दोलन , गुजरात खेदुत समाज , पर्यावरण सुरक्षा समिति, भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक असली, आदिवासी एकता परिषद्, माइंस मिनरल्स एंड पीपल्स तथा अन्य
संपर्क: उमा 9971058735, एम्लोंन : 9599565372 |bhumiadhikarandolan@yahoo.com|