कृषि बजट का विश्लेषण 2018 – 2025: खेती और किसानों की दुर्दशा क्यों!
क्या सरकार की नीतियां किसानों की भलाई के लिए काम कर रही हैं?
अगर आप समझना चाहते है कि खेती और किसानों की दुर्दशा क्यों हो रही है और सरकार देश की जनता को कैसे गुमराह करती है। तो आप को कृषि बजट समझना बहुत जरुरी है। सरकार हर साल बजट को किसानों को समर्पित बजट होने का दावा करती है। लेकिन सच्चाई क्या है? क्या वास्तव में यह बजट किसानों के हित में है? क्या सरकार की नीतियां किसानों की भलाई के लिए काम कर रही हैं? यह जानने के लिये पिछले कुछ बजट का विश्लेषण करते हैं।
केंद्र सरकार के बजट में कृषि मंत्रालय के तहत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग पर बजट आवंटित किया जाता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पर हर साल कुल बजट का मात्र 2 से 3.5 प्रतिशत बजट आंवटित किया जाता है। जोकि कुल बजट का बहुत छोटा हिस्सा है। इसमें कृषि विभाग का स्थापना व्यय, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च और अन्य व्यय का समावेश है। केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर आवंटित बजट राशि ही खेती और किसानों के लिये होती है। लेकिन यह आवंटित बजट भी ईमानदारी से खर्च नही किया जाता।
2018-19 का कुल बजट 24.42 लाख करोड़ रुपये था। जिसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये मात्र 46.70 हजार करोड रुपये आवंटित किये गये थे। लेकिन वास्तविक खर्च 46.07 हजार करोड़ रुपये किया गया। जो बजट अनुमान से 623 करोड़ रुपये कम है।
2019-20 का कुल बजट 27.86 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये आवंटित बजट मात्र 1.30 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन वास्तविक खर्च मात्र 94.25 हजार करोड रुपये किया गया। जो बजट अनुमान से 36.23 हजार करोड़ रुपये कम है।
2020-21 का कुल बजट 30.42 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये मात्र 1.34 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। लेकिन वास्तविक खर्च 1.08 लाख करोड़ रुपये किया गया। जो बजट अनुमान से 26.12 हजार करोड रुपये कम है।
2021-22 का कुल बजट 34.83 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये मात्र 1.23 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। लेकिन वास्तविक खर्च 1.14 लाख करोड़ रुपये किया गया। जो बजट अनुमान से 8.55 हजार करोड़ रुपये कम है।
2022-23 का कुल बजट 39.45 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये मात्र 1.24 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। लेकिन वास्तविक खर्च 99.87 हजार करोड़ रुपये किया गया। जो बजट अनुमान से 24.12 हजार करोड़ रुपये कम है।
2023-24 का कुल बजट 45.03 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये मात्र 1.15 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। लेकिन वास्तविक खर्च 1.08 लाख करोड़ रुपये किया गया। जो बजट अनुमान से 7.17 हजार करोड़ रुपये कम है।
2024-25 का कुल बजट 48.20 लाख करोड़ रुपये था। इसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिये मात्र 1.22 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे। वास्तविक खर्च अभी आना बाकी है।
2025-26 का कुल बजट 50.65 लाख करोड़ रुपयें है। जिसमें कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पर 1.27 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जो कुल बजट का केवल 2.51 प्रतिशत है। इसमें केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिये 1.09 लाख करोड़ रुपये आवंटित है। जोकि कुल बजट के मात्र 2.15 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को 500 रुपये प्रति माह की राशि दी जाती है, जिसके लिए 63,500 करोड़ रुपये आवंटित हैं। यदि हम इसे अलग कर दें, तो कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का बजट मात्र 45.41 हजार करोड़ रुपये रह जाता है। जोकि केवल 0.89 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 12.24 हजार करोड़ रुपये, संशोधित ब्याज सहायता योजना के लिये 22.60 हजार करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना के लिये 6.94 हजार करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री किसान मन-धन योजना के लिये 120 करोड़ रुपये बजट राशि आवंटित है। इसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ब्याज सहायता योजना जैसी योजनाएं किसानों के वास्तविक लाभ के मुकाबले कंपनियों और बैंकों के हित में ज्यादा काम करती हैं।
बजट | कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय | |||||
(₹ करोड़ में) | ||||||
वर्ष | कुल बजट | बजट अनुमान
(1) |
प्रतिशत
(%) |
संशोधित अनुमान | वास्तविक व्यय
(2) |
(1) – (2) |
2018-19 | 2442213.00 | 46700.00 | 1.91 % | 67800.00 | 46076.19 | 623.81 |
2019-20 | 2786349.00 | 130485.21 | 4.68 % | 101904.00 | 94251.62 | 36233.59 |
2020-21 | 3042230.00 | 134399.77 | 4.42 % | 116757.92 | 108272.83 | 26126.94 |
2021-22 | 3483236.00 | 123017.57 | 3.53 % | 118294.24 | 114467.56 | 8550.01 |
2022-23 | 3944909.00 | 124000.00 | 3.14 % | 110254.53 | 99877.01 | 24122.99 |
2023-24 | 4503097.00 | 115531.79 | 2.56 % | 116788.96 | 108355.77 | 7176.02 |
2024-25 | 4820512.00 | 122528.77 | 2.54 % | 131195.21 | —– | —– |
2025-26 | 5065345.00 | 127290.16 | 2.51 % | —– | —– | —– |
2019-20 का कुल बजट 27.86 लाख करोड़ रुपये था। वह हर साल 3 से 4 लाख करोड़ से बढ़कर 2025-26 तक 50.65 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कुल बजट में लगातार बढ़ोत्तरी होती रही लेकिन कृषि और किसान कल्याण विभाग का बजट आवंटन 1.30 लाख करोड़ से निचे स्थिर रहा। जिससे जो कृषि बजट 2019-20 में जो 4.68 प्रतिशत था, वह 2025-26 में कम होते होते केवल 2.51 प्रतिशत रह गया।
बजट अनुमान से वास्तविक खर्च और भी कम किया गया है। 2019-20 में वास्तविक खर्च, बजट अनुमान से 36.23 हजार करोड़ रुपये कम खर्च किया गया। 2020-21 में 26.13 हजार करोड़ रुपये, 2021-22 में 8.55 हजार करोड़ रुपये, 2022-23 में 24.12 हजार करोड़ रुपये और 2023-24 में 7176 करोड़ रुपये कम खर्च किया गया।
पिछले कुछ सालों में वास्तविक खर्च प्रतिवर्ष औसतन 95 हजार करोड़ रुपये हुआ है। इसमें से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को अलग कर दें, तो खेती के लिए औसतन प्रति हेक्टेयर केवल 2,000 से 2,500 रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
भारत में करीब 14 करोड़ हेक्टेअर खेती की जमीन है, और लगभग 60 प्रतिशत (लगभग 17 करोड़ परिवार) लोग खेती पर निर्भर है। क्या सालाना प्रति हेक्टेयर 2,500 रुपये खर्च करने से खेती और किसानों की स्थिति सुधारी जा सकती है और क्या इस बजट को किसानों के लिये समर्पित बजट कहां जा सकता है!
यदि सरकार किसानों की वास्तविक स्थिति को सुधारने के लिए ईमानदारी से काम करना चाहती है, तो कृषि क्षेत्र के लिए खेती की जमीन और उसपर निर्भर लोगों की संख्या के आधार पर बजट आवंटित करना होगा और उसे खर्च करने में ईमानदारी बरतनी होगी, तभी किसानों की दुर्दशा का अंत होगा।
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(लेखक राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के संयोजक हैं)