उत्तराखण्ड : चार दिन की भूख हड़ताल के बाद प्रशासन ने लाठियों से ली सुध प्रिकोल के मजदूरों की
2 सितम्बर को प्रिकोल, रुद्रपुर (उत्तराखण्ड) के 6 मजदूर अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए. तीन दिन तक प्रशासन ने हड़तालियों की कोई सुध नहीं ली. चौथे दिन यानि 5 सितम्बर 2016 को एसडीएम समेत महिला पुलिस ने अनशन पर बैठी लड़कियों समेत 20 मजदूरों पर बर्बर लाठीचार्ज किया. लाठीचार्ज के दौरान अनशन पर बैठी लड़कियों से बदसलूकी भी की गई है. जबरन मजदूरों को धरना स्थल से उठाकर हल्द्वानी के सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया गया है. हम यहाँ पर प्रिकोल मजदूर संगठन की रिपोर्ट साझा कर रहे है;
ज्ञात रहे कि अगस्त से प्रिकोल लि. के 150 ठेका मजदूरों की कम्पनी ने गेटबंदी कर दी जिसमें करीब 45-50 महिला मजदूर भी हैं। मजदूर अपनी कार्यबहाली की मांग हेतु सहायक श्रमायुक्त महोदय रुद्रपुर के कार्यालय पर धरने पर बैठे हैं। जिला प्रशासन द्वारा मजदूरों व मैनेजमेण्ट के बीच करायी गयी वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।
प्रिकोल लि. पंतनगर सिडकुल के सेक्टर 11, प्लाॅट न. 45 में स्थित है। मालिक का दूसरा प्लांट पंतनगर सिडकुल के सेक्टर 10, प्लाॅट न. 8 में स्थापित है जो काफी समय से बंद रहने के बाद अभी कुछ दिन पूर्व ही चालू हुआ है। इसके अलावा मालिक के 2 प्लांट कोयम्बटूर (तमिलनाडु), 1 प्लांट गुडगांव मानेसर, 1 प्लांट पूना में एवं एक प्लांट इण्डोनेशिया में भी है।
पंतनगर सिडकुल के सेक्टर 11 प्लांट न.45 में स्थित प्लांट में करीब 350 मजदूर काम करते हैं जिनमें 13 स्थायी, 19 ट्रेनी बाकी ठेकेदारी के मजदूर हैं। ठेकेदारी के मजदूरों को भी फैक्टरी में काम करते हुए 8-9 साल हो गये हैं। यह प्लांट आॅटो सेक्टर के तहत है और कई कम्पनियों को माल सप्लाई करता है। फैक्टरी में स्पीडो मीटर, आॅयल पम्प, स्पीड सेंसर, टैंक यूनिट, टी.एफ.आर., टी.वी.एस. कलस्टर आदि उत्पाद तैयार कर टाटा, बजाज, हीरो, टीवीएस, अशोक लीलैण्ड, महिन्द्रा आदि को सप्लाई किये जाते हैं।
फैक्टरी में 2 शिफ्टों में काम होता है और करीब 60-70 महिला मजदूर हैं। ठेका मजदूरों का वेतन 7300 /- ट्रेनी को 9000-10,000 व स्थायी मजदूरों का 10,000-12,000 रुपये वेतन है। फैक्टरी में कैण्टीन सुविधा है, ई.एस.आई. व पी.एफ. कटता है। इसके अलावा कोई अन्य सुविधा एवं सुरक्षा उपकरण वर्दी-जूता आदि मजदूरों को नहीं दिये जाते हैं।
ठेका मजदूरों द्वारा अपने वेतन वृद्धि की बात करना मैनेजमेण्ट व ठेकेदार को नहीं भाया और उसने 8 अगस्त से 150 मजदूरों की गेटबंदी कर दी। मजदूर 8 अगस्त से सहायक श्रमायुक्त कार्यालय रुद्रपुर में धरने पर बैठ गये।
इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा मजदूरों को बताया गया कि श्रमायुक्त कार्यालय में बैठने मात्र से उनकी समस्या का समाधान नहीं होगा। मजदूरों को जिला प्रशासन पर दबाव बनाना चाहिए और त्रिपक्षीय वार्ताएं बुलाकर मांग पूरी करने का दवाब बनाना होगा। इस बीच स्थानीय विधायक (राजकुमार ठुकराल- भाजपा) के माध्यम से मैनेजमेण्ट व ठेकेदार द्वारा मजदूरों के बीच मैसेज आया कि 10-12 मजदूरों को छोड़कर बाकी मजदूरों की कार्यबहाली करने को तैयार है। मजदूरों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि यही 10-12 मजदूर मुखर एवं नेतृत्वकारी भूमिका वाले थे।
इंकलाबी मजदूर केन्द्र द्वारा मजदूरों के बीच से एक कार्यकारिणी का चुनाव कराकर बिखरे मजदूरों को सांगठनिक रूप दिया गया। और ‘प्रिकोल मजदूर संगठन’ का गठन किया। और सिडकुल की अन्य यूनियनों से सहयोग एवं समर्थन लेने की बात की।
प्रिकोल लि. आॅटो सेक्टर की फैक्टरी है और इंजीनियरिंग उद्योग में आती है। फैैक्टरी में स्थाई एवं ट्रेनी मिलाकर कुल 32 मजदूर हैं। जबकि करीब सवा सौ मशीनें हैं और फैक्टरी दो शिफ्ट में चलती है। पिछले 8-9 सालों से ठेकेदार के मजदूरों से मशीनों पर काम करवाने का गैरकानूनी काम मैनेजमेण्ट कर रहा है और अब जब मजदूर अपने वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं तो उनका गेट बंद कर दिया गया और उनके स्थान पर ठेकेदारी के तहत नई भर्ती की गयी। मजदूरों द्वारा फैक्टरी में गैरकानूनी काम होने एवं अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ श्रम विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन में न्याय हेतु गुहार लगाई गयी। लेकिन 13 अगस्त तक उनकी मांगों की तरफ ध्यान देना तो दूर की बात रही प्रशासन ने कोेई वार्ता तक नहीं करवाई।
13 अगस्त को सभी मजदूर सायं करीब 5:00 बजे जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचे और नारेबाजी की जब डी.एम. साहब गाड़ी में बैठकर जाने लगे तो मजदूरों ने डी.एम. साहब की गाड़ी घेर ली। मजबूरन उन्हें उतरकर अपने दफ्तर मेें जाना पड़ा। मजदूरों के आक्रोश को देखते हुए डी.एम. साहब ने महिला पुलिस की बटालियन एवं पी.ए.सी. सहित कई गाड़ी पुलिस बुला ली। महिला मजदूरों के नेतृत्व में बाकी मजदूर एवं इमके एवं अन्य यूनियनों के कार्यकर्ताओं ने भी मजदूरों का हौंसला बढ़ाया। पुलिस इमके के एक साथी एवं ओटोलाइन के एक सदस्य को जबरदस्ती पुलिस गाड़ी में बैठाना चाहती थी लेकिन मजदूरों के आक्रोश एवं नारेबाजी से पुलिस को पीछे हटना पड़ा। जिला प्रशासन द्वारा पुलिस का भय दिखाना काम नहीं आया। तब एस.डी.एम. रुद्रपुर मजदूरों के बीच आये और मजदूरों को किसी तरह समझाने का प्रयास करने लगे व वार्ता कराने की बात करने लगे तब मजदूरों ने वार्ता की तिथि एवं समय लिखित में देने की शर्त रखी। मजदूरों के आक्रोश को देख एस.डी.एम. साहब को लिखित में 16 अगस्त 11:00 बजे वार्ता का पत्र मजदूरों को देना पड़ा तब कहीं जाकर मजदूरों ने डी.एम. साहब की गाड़ी की घेराबंदी छोड़ी।
15 अगस्त को मजदूर ए.एल.सी. कार्यालय से डी.एम. कार्यालय के लिए एक साथ निकले तो सिडकुल चैकी इंचार्ज ने उन्हें डी.एम. कार्यालय पर जाने से रोक दिया पुलिस को भय था कि कहीं ये मजदूर स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में विघ्न न डाल दें जबकि मजदूर झण्डारोहण कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे।
16 अगस्त को एस.डी.एम. कार्यालय पर हुई वार्ता में मैनेजमेण्ट एवं ठेकेदार के 10-12 लोगों को छोड़ बाकी को लेने की बात करता रहा और ठेकेदार बोला इन 10-12 लोगों को अपने ठेके के तहत सिडकुल की अन्य फैक्टरियों में लगा देगा। मजदूरों ने इस प्रस्ताव को नहीं माना। मैनेजमेण्ट भाग खड़ा हुआ वार्ता विफल रही।
अगली वार्ता 24 अगस्त को एस.डी.एम. कार्यालय में रखी गयी थी। 23 अगस्त को मजदूरों ने डी.एम. कोर्ट तक रैली निकाली व धरना दिया वहां पर मिण्डा एवं डेल्टा के मजदूर भी पहुंचे थे। डी.एम. साहब ने प्रिकोल के मजदूरों से कहा कि कल तुम्हारा फैसला हो जायेगा जब तक फैसला नहीं होगा मैनेजमेण्ट नहीं जायेगा।
22 अगस्त को कार्यरत स्थाई एवं ट्रेनी मजदूरों में से 14 मजदूर, ‘ठेका मजदूरों’ के समर्थन में बाहर आ गये और आंदोलन में शामिल हो गये। 24 अगस्त की वार्ता में मैनेजमेण्ट एक सिरे से सभी मजदूरों को अपना मजदूर मानने से इंकार कर भाग खड़ा हुआ। मजदूरों की एस.डी.एम. के साथ काफी गहमा गहमी रही। बाद में डी.एम. साहब ने 26 अगस्त को ए.डी.एम. की मध्यस्थता में वार्ता रखवाई।
18 अगस्त को ए.एल.सी. द्वारा कम्पनी में जांच की और पाया कि मशीनों पर ठेका मजदूर काम कर रहे थे।
लेकिन इस जांच की रिपोर्ट मजदूरों को नहीं दी। 26 अगस्त को एक किस्म की मध्यस्थता में हुई वार्ता में भी ए.एल.सी. द्वारा इसका जिक्र किया गया लेकिन रिपोर्ट पेश नहीं की। वार्ता में मैनेजमेण्ट ट्रेनी के मजदूरों की कार्यबहाली कर उन्हें स्थाई नियुक्ति पत्र देने की बात कहने लगा तो ठेकेदार सभी मजदूरों को दूसरी फैक्टरियों में काम पर लगाने की बात कहता रहा। मजदूरों ने सभी की कार्यबहाली एवं स्थायी नियुक्ति पत्र की मांग की एवं फैक्टरी में गैरकानूनी कृत्य की बात एवं ठेकेदार को लाइसेंस लोडिंग-अनलोडिंग के होने की बात की और ए.एल.सी. की रिपोर्ट के आधार पर कार्यबहाली या फैक्टरी सीज करने की मांग की लेकिन ए.डी.एम. महोदया ने मजदूरों की एक नहीं सुनी। और पुनः वार्ता विफल रही।