धिनकिया ग्रामसभा: पॅास्को के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित
पॉस्को स्टील प्लांट के विरोध में ग्राम सभाएं खुलकर सामने आने लगी हैं । हाल ही में धिनकिया ग्राम सभा ने सर्वसम्मति से वन भूमि को पॅास्को के स्टील प्लांट को न दिए जाने का निर्णय किया है। लोगों के प्रस्ताव ने सरकार को एक मजबूत संदेश दिया कि लोग वन भूमि को गैरकानूनी तरीके से पॉस्को को दिए जाने के खिलाफ हैं, साथ ही लोगों ने पॉस्को के सीएमडी यौंग वॉन यून को भी जवाब दिया है। यून ने जल्द ही प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान किया था। पेश प्रशांत पैकरा कि रिपोर्ट;
स्टील प्लांट के लिए प्रस्तावित 4004 एकड़ भूमि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के आनुसार ग्राम के सभा के निर्णय के अधीन आती है। धिनकिया ग्रामसभा जो वयस्क सदस्यों की पंचायत स्तरीय सभा थी में दो हजार से भी अधिक लोगों ने भाग लिया। संविधान द्वारा ग्राम सभाओं को बुनियादी स्तर पर प्रजातंत्र में रक्षा के लिए निर्णय लेने के अधिकार प्रदान किए गए हैं।
जो प्रस्ताव पास किया गया और मीटिंग में पढ़कर सुनाया गया उसमें निम्न निर्णय शामिल थे-
- घिनकिया पंचायत की ग्राम सभा 18 अक्टूबर, 2012 को हुई अपनी मीटिंग में तय करती है और संबंधि मामले में अनुसूचित जनजाति व अन्य वनवासियों से संबंधित अधिनियम, 2006 को गांव में लागू करने का निर्णय लेती है। यह अनुसूचति जनजाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा जारी किए गए पत्र संख्या-टीडी 11 एफआरए-06/2011 के संदर्भित है। 7 सितंबर, 2012 को निर्देश जारी किए गए थे कि विचार विमर्श और योजना के संबंध में वन अधिकार अधिनियम के अधीन लंबित दावों और आगे की निगरानी और मामलों के निपटान के लिए सूची सुनष्चित की जाए।
- इस पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव वन भूमि पर अधिकार रखते हैं और वन अधिकार अधिनियम के तहत दावे के हकदार हैं। धिनकिया, गोविंदपुर गांव की पाली सभा द्वारा किए गए वन अधिकार भूमि के दावे और सिफारिशें अभी भी लंबित पड़ी हुई हैं और इसे वन भूमि की पहचान देने संबंधी कदम नहीं उठाए गए हैं। नियम के अनुसार अभी तक वन अधिकार अधिनियम से संबंधित कोई सूचना और प्रषिक्षण गांव वालों को मुहैया नहीं कराया गया है। इस संदर्भ में ग्रामसभा जिला स्तारीय समीति को निर्देश देती है कि क्षे़़त्र की पहचान और लोगों के अधिकारों को सुनिष्चित करने के लिए प्रक्रिया को पूरा किया जाए जैसा कि वन अधिकार समीति/पाली सभा द्वारा सिफारिश की गई है और जो अभी तक लंबित है। इस मामले में ग्राम सभा पाली सभा कें दावे के स्टेटस और गांव वालों के एफआरसी के बारे में हुई प्रगति को लेकर एसडीएलसी और डीएलसी से सवाल पूछती है।
- अनुसूचति जनजाति और अन्य आदिवासी और वनवासी संशोधित नियम, 2012 की अधिसूचना 6 सितंबर, 2012 को जारी की गई। संशोधित नियम की रोशनी में जरूरी है कि पाली सभा के दावे की प्रक्रिया को वन संसाधन अधिनियम की धारा 3 (1) (i) वन अधिकार अधिनियम लाया जाए। वन अधिकार अधिनियम में संषोधन के संदर्भ में ग्राम सभा मांग करती है कि जिला स्तरीय समीति समूदाय को वन संधानों पर हक दिलाने और पहचान दिलाने के लिए गांवों को संषोधित अधिनियम 12 (B)(3) के अधीन लाए।
- ग्राम सभा सरकार और जिला प्रशासन से मांग करती है कि वन संसाधानों के इस्तेमाल और प्रबंधन से संबंधित पाली सभा के निर्णय को वन अधिकार अधिनियम की धारा 5 के संदर्भ में देखा जाए। ग्राम सभा घिनकिया और गोविंदपुर की पाली सभा के फैसले को दोहराती है और सर्थन करती है जिसमें वनों, बायोडायवर्सिटी और पंचायत की सीमा में आने वाले सभी आजीविका के साधनों को बचाए रखने की वकालत की गई है।
- ग्राम सभा इस संदर्भ में धिनकिया गांव की पाली सभा द्वारा पारति प्रस्ताव जो 3 अक्टूबर, 2012 को पारित किया गया समर्थन करते हुए एसडीएलसी और डीएलसी से पूछती है कि क्या वन भूमि का में कोई बदलाव किया गया और इस मामले में गांवों की पाली सभा को सूचना दी गई। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का भूमि प्रयोग में बदलाव वन अधिकार अधिनियम की धारा 7 के अनुसार आपराधिक कृत्य होगा।
- ग्राम सभा ने धिनकिया गांव की पाली सभा जो 4 अक्टूबर, 2012 को हुई थी की व्यवस्था भंग किए जाने का भी संज्ञान लिया है जिसमें वन अधिकार अधिनियम के तहत लिए गए निर्णय और वन भूमि के प्रयोग में बदलाव न किए जाने के प्रस्ताव को पारित किए जाने पर बाधा उत्पन्न की गई। इस मीटिंग की प्रक्रिया में उत्पन्न किया गया व्यावधान पाली सभा के अधिकारों का वन अधिकार अधिनियम की धारा 6 के तहत उल्लंघन है। यह ग्राम सभा इसे वन अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के तौर पर देखती है और वन अधिकार अधिनियम की धारा 7 के तहत एक अपराध मानती है और इसकी जांच के लिए एक राज्य स्तरीय मौनिटरिंग कमेटी की मांग करती है,जो जिला स्तरीय समीति और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ जांच करे। ग्राम सभा यह भी निर्णय लेती है कि गांव गोविंदपुर में पाली सभा का फिर से आयोजन किया जाए और इसकी सुरक्षा के लिए प्रषासन आवश्यक सहयोग प्रदान करे।
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ग्राम सभा पाली सभा से कहती है कि वन भूमि को प्रस्तावित पॉस्को स्टील प्लांट के लिए अपनी भूमि को न सौंपे किसी अन्य कार्य के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत को न दे। साथ ही जिला स्तरीय समीति और राज्य सरकार को निर्देष देती है कि वह वन अधिकारों को सुनिष्चत करने के लिए उचित कदम उठाए, इस मामले में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 30 जुलाई, 2009 और आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा 12 जुलाई, 2012 को जारी दिशानिर्देषों का पालन किया जाना चाहिए। वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को पूरा किए बगैर और उल्लेखित दिशानिर्देषों का पालन न किया जाना और वन भूमि के प्रयोग में बदलाव वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन और आपराधिक कार्य है।
यहां यह बताना जरूरी है कि 3 अक्टूबर, 2012 को धिनकिया ग्राम पंचायत के गांव वालों ने पाली सभा का आयोजन किया था जो वयस्क लोगों की गांव स्तरीय सभा है। इस सभा में प्रस्ताव पास किया गया था कि पॉस्को स्टील प्लांट के लिए वन भूमि नहीं दी जाएगी। वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत किसी भी वन भूमि को अन्य प्रयोग में ग्राम सभा और स्थानीय लोगों की अनुमति के बिना नहीं लिया जा सकता है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 3 अगस्त, 2009 को जारी आदेश के अनुसार वन अधिकार अधिनियम में इसे जरूरी माना गया है।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि गेविंदपुर गांव के लोगों ने 4 अक्टूबर, 2012 को पाली सभा का आयोजन किया और एक मिलता जुलता प्रस्ताव पारित किया जिसके तहत उन्होंने प्रस्तावित स्टील प्लांट पॉस्को को वन भूमि दिए जाने का विरोध किया। इसके बावजूद कंपनी के समर्थक और राज्य एजेंसियों ने बाधा उत्पन्न की और एक पूर्व निर्धारित योजना के तहत जबरन प्रस्ताव के पेपर ले लिए। इसके विरोध में पीपीएसएस के सदस्यों ने इरासमा ब्लॉक के सामने एक दिन का विरोध प्रदर्षन किया। आखिरकार गोविंदपुर के गांववालों को प्रस्ताव की कॉपीया हासिल करने में कामयाबी मिली।
लेगों के प्रस्ताव ने सरकार को एक मजबूत संदेश दिया दिया कि लोग वन भूमि के गैरकानूनी तरीके से पॉस्को को दिए जाने के खिलाफ हैं, साथ ही लोगों ने पॉस्को के सीएमडी यौंग वॉन यून को भी जवाब दिया है। यून ने जल्द ही प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान किया था। इस प्रस्ताव ने सरकार और पॉस्को के उस दावे की भी कलई खोल दी है जिसमें कहा गया था कि लोग पॉस्को स्टील प्लांट का समर्थन कर रहे हैं।
पॉस्को और सरकार की ओर से यह ऐलान किया गया है कि जबरन भूमि अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। इस ग्राम सभा ने प्रास्ताव के माध्यम से सरकार और पॉस्को को मजबूत संदेश दिया है कि लोगों का बहुमत स्टील प्लांट के खिलाफ है। इस प्रकार उन्हे लोगों के फैसले का सम्मान करना चाहिए और पॉस्को प्रोजेक्ट को तुरंत निरस्त कर देना चाहिए।