झारखंड के सारंडा जंगल में आदिवासियों पर पुलिसिया जुल्म: एक सच्ची तस्वीर
10 अक्टूबर, 2011 को झारखंड मानव अधिकार आन्दोलन द्वारा तैयार सारंडा का शाब्दिक अर्थ सात सौ छोटी पहाड़ियों वाला जंगल है। यह एशिया में सबसे बड़ा साल के जंगल के रूप में प्रसिद्ध है। यह झारखंड के जिले पश्चिम सिंहभूम में स्थित है। लगभग 20,000 आदिवासी परिवारों वाली सवा लाख आदिवासी जनसंख्या जंगल में रहती है।
आदिवासी कृषि, जंगली उत्पादों एवं पशुपालन के सहारे जीवन-यापन करते हैं। जंगल लौह अयस्कों से भरपूर है। इसलिए इस समुदाय की टकराहट व्यापारी हितों से बराबर होती रहती थी, जिससे माओवादियों के लिए स्थान बना। फलस्वरूप आसपास के इलाकों में माओवादियों का शासन है। झारखंड पुलिस तथा अर्द्धसैनिक बलों ने यहां माओवादियों के विरुद्ध संयुक्त कार्यवाहियों की झड़ी लगा दी है। 1 अगस्त से 31 अगस्त तक सारंडा जंगल में इस तरह की कार्यवाहियों की आखिरी कड़ी ‘‘आपरेशन अन्नाकोंडा’’ थी, जिसमें आदिवासियों के खिलाफ कार्यवाहियॉं मानव अधिकारों को तार-तार करके की गयीं।
एक उभरते क्षेत्रीय मानवाधिकार संगठन ‘झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट्स’ (JHRM) ने क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय मीडिया की मदद से सारंडा जंगल में मानवाधिकारों के अनियंत्रित उल्लंघन का पर्दाफाश किया। ‘झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट्स’ (JHRM) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा अन्य समर्थ प्रतिष्ठानों के पास मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायत की। ‘झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट्स’ (JHRM) के सेक्रेटरी ग्लैड्सन डुंगडुंग ने 13 सितम्बर 2011 को कलकत्ता में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के क्षेत्रीय विमर्श में इस मुद्दे को उठाया और राष्ट्रीय मानवाधिकार से सारंडा जंगल में एक जॉच टीम भेजने का अनुरोध किया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अनुरोध स्वीकार करते हुए एक 5 सदस्यीय जॉच टीम डी.आई.जी. ममता सिंह के नेतृत्व में भेजी, जिसमें डीएसपी श्री के.एच.सी. राव, डी.एस. बंसलु, इन्स्पेक्टर राजवीर सिंह और इन्स्पेक्टर राजेश कुमार थे, क्योंकि ‘झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट्स’ (JHRM) इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता हैं इसलिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उसकी टीम को जरूरी दस्तावेजों और गवाहों के साथ घटनास्थल पर मौजूद रहने को कहा। खोजबीन में मदद करने तथा तथ्य जमा करने के लिए ‘झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट्स’ (JHRM) के अध्यक्ष श्री सुनील मिंज, महासचिव श्री गलैंड्सन डुंगडुंग, सदस्य श्री सुशील बारला, श्री बीजू टोप्पो और डायल कुजुर सारंडा जंगल में गये। – ग्लैड्सन डुंगडुंग